फेक न्यूज़ : सोशल मीडिया कंपनियों को भारत सरकार ने दी चेतावनी, कानून का पालन करें या मुकदमे का सामना करें

सोशल मीडिया के भारतीय प्रमुखों को यह संदेश दिया जा सकता है कि कानून का पालन करें या मुकदमे का सामना करें। फर्जी खबरों और अफवाहों के अलावा चाइल्ड पोर्नोग्राफी पर रोक लगाने के संबंध में चर्चा के लिए गठित उच्चस्तरीय सरकारी समिति ने गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाले मंत्रियों के समूह को अपनी रिपोर्ट सौंप दी हैं। गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, "केंद्रीय गृह सचिव की अध्यक्षता वाली समिति ने समाज के सभी वर्गों के लोगों तथा अन्य से सलाह-मशविरा किया, और उसके बाद अपनी रिपोर्ट मंत्रिसमूह को सौंपी है... अब मंत्रिसमूह अपनी सिफारिशों को अंतिम फैसले के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष रखेगा..." सरकार अब व्हॉट्सऐप जैसे प्लेटफॉर्मों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए तैयार है। फोन-मैसेजिंग ऐप व्हॉट्सऐप तथा सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट फेसबुक पर फैली फेक न्यूज़ की बदौलत मॉब किंलिंग की कई वारदात हो चुकी हैं। माइक्रो-ब्लॉगिंग वेबसाइट ट्विटर पर नफरत फैलाने वाले मैसेजों और रेप की धमकियों की वजह से बहुत-से लोगों ने सोशल मीडिया साइट का इस्तेमाल करना ही बंद कर दिया है।

पिछले एक साल के दौरान देश में करीब 40 लोगों की उन्मादी हिंसा में मौत होने के बाद गठित सचिव स्तर के अधिकारियों की समिति ने मुद्दे पर विचार किया। वाट्सएप जैसे लोकप्रिय सोशल मीडिया में फर्जी समाचार फैलने के कारण हत्याएं होने का संदेह है। केंद्रीय गृह सचिव राजीव गउबा की अगुआई वाली समिति द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट पर विचार के बाद मंत्रियों का समूह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपनी सिफारिश सौंपेगा। मंत्रियों के समूह में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत शामिल हैं।

भारत में 20 करोड़ यूज़रों के साथ सबसे बड़ा बाज़ार रखने वाले व्हॉट्सऐप ने सरकार की इस मांग को मानने से इंकार कर दिया है कि वह सरकार को किसी भी मैसेज को भेजने वाले वास्तविक व्यक्ति की पहचान बताए। सरकार ने मैसेजिंग प्लेटफॉर्म से एक शिकायत अधिकारी भी नियुक्त करने के लिए कहा है, और इसी मांग को लेकर दायर की गई एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई हो रही है।