दिन-प्रतिदिन बढ़ते इंटरनेट के प्रयोग ने जहाँ तकनीकी दुनिया में तहलका मचा रखा है, वहीं दूसरी ओर यह अपराध का नया जरिया बन गया है। हाल ही में हुए एक सर्वे में ज्ञात हुआ है कि इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले करीब-करीब हर शख्स ने कोई न कोई साइबर क्राइम जरूर किया है। जरूरी नहीं इसके जरिये कोई कानून तोड़ा गया है, कानूनी नहीं तो नैतिक अपराध तो किया ही है। इनके द्वारा यह अपराध किया गया है उनमें से ज्यादातर को तो इसका अंदाजा तक नहीं होता। वर्तमान में सर्वाधिक साइबर क्राइम डॉट कॉम अर्थात् वेब साइडों द्वारा किया जाता है। वे कहीं से भी कोई चित्र, लेख या वीडियो कॉपी-पेस्ट करते समय जरा भी नहीं झिझकते। इंटरनेट पर ऐसे तमाम काम हैं, जो साइबर क्राइम के तहत आते हैं। आइए जानते हैं कुछ ऐसे अपराध जो साइबर क्राइम में शामिल होते हैं—
कॉपी-पेस्ट या सामग्री की चोरी
हर क्रिएटिव चीज बनाने वाले के पास एक खास हक होता है जो उसे अपनी सामग्री को गैरकानूनी ढंग से नकल किए जाने के खिलाफ सुरक्षा देता है। इसे कॉपीराइट कहते हैं। आपके लेख, कहानी, कविता, व्यंग्य, फोटो, संगीत की धुन, सॉफ्टवेयर, विडियो, कार्टून, एनिमेशन, किताब, ई-बुक, वेबसाइट वगैरह पर आपको यह खास हक हासिल है। कोई भी शख्स आपकी इजाजत के बिना आपकी रचना की कॉपी नहीं कर सकता और न ही उसे दूसरों को दे सकता है। ऐसा करना कॉपीराइट कानून का उल्लंघन है और आप उसके खिलाफ अदालत जा सकते हैं।
गूगल एक सर्च इंजन है, वह फ्री डाउनलोड साइट नहीं है। इसीलिए वह किसी भी पिक्चर के साथ उस वेब पेज को भी दिखाता है, जहां से उसे ढूंढा गया है। ऐसा करके वह पिक्चर चुराए जाने के मामले में किसी भी तरह की जिम्मेदारी से आजाद हो जाता है।
मान लीजिए आपको गूगल इमेज सर्च पर मौजूद कोई फोटो इस्तेमाल करना है, तो कायदे से उस वेब पेज के संचालक से इजाजत लेनी चाहिए।
यदि कोई शख्स अपनी रचना को लेकर ज्यादा ही गंभीर हो, तो यह छोटी सी चोरी आपको भारी पड़ सकती है। जिस गूगल के जरिये आपने वह लेख, फोटो या विडियो ढूंढा है, उसी के जरिये आपकी चोरी भी पकड़ी जा सकती है।
कई लोग गूगल पर दिखायी जा रही सामग्री को अपने उपयोग में लेते हैं और उसके नीचे गूगल का साभार देते हैं। यह बिलकुल गलत है। गूगल पर दिखने वाले सर्च नतीजों, फोटो वगैरह पर गूगल का कोई मालिकाना हक नहीं है। वे तो महज रेफरेंस के तौर पर दिए गए हैं, जिससे आप सही ठिकाने तक पहुंच सकें। आभार ही जताना है तो उस वेबसाइट का जताइए, जहां से गूगल ने उसे ढूंढा है।
पॉर्नोग्राफीइंटरनेट पर पॉर्नोग्राफी देखना और दिखाना साइबर क्राइम में आता है। हालांकि तमाम प्रतिबंधों के बावजूद इंटरनेट में बहुत सी ऐसी साइट हैं जिन पर सिर्फ और सिर्फ पॉर्नोग्राफी ही चलती है। आप इसे देख रहे हैं तो यह साइबर क्राइम है और यदि आपने इसे किसी और को फारवर्ड कर दिया है तो यह आपके द्वारा किया गया दूसरा क्राइम है। 18 साल से कम उम्र वालों से संबंधित अश्लील सामग्री देखना, इंटरनेट से भेजना और सहेजना साइबर क्राइम है। इन्हें न खुद देखें, न किसी को फॉरवर्ड करें।
किसी अन्य के लोगो, प्रतीक चिह्नों का उपयोग करनाइंटरनेट के जरिए व्यक्ति किसी भी लोगो, आइकंस, प्रतीक चिह्नों आदि को उठाकर या उनकी नकल करके उनसे मिलते जुलते बनाकर जनता को ठगने का काम करते हैं। यह साइबर क्राइम में सबसे बड़ा अपराध माना जाता है। इंटरनेट सर्च का सबसे बेहतरीन जरिया है। आपको कोई अच्छा सा लोगो दिखाई दिया और आपने उसे कॉपी कर इस्तेमाल कर लिया। किसी डिजाइनर की सेवा ली जिसने झटपट इंटरनेट से किसी कंपनी का अच्छा सा लोगो इस्तेमाल कर आपका विजिटिंग कार्ड, ब्रोशर और लेटरहेड तैयार कर दिया। ऐसा करके आप न सिर्फ कॉपीराइट का उल्लंघन कर चुके हैं बल्कि ऑनलाइन ट्रेडमार्क के उल्लंघन मामले में भी आपको दोषी करार दिया जा सकता है। अच्छा होगा आप ऐसे किसी भी लोगो, आइकन, प्रतीक चिह्न का उपयोग अपने व्यवसाय आदि में न करें।
वाई-फाई सुविधा का दुरुपयोग करनाइंटरनेट पर वाई-फाई सुविधा उपलब्ध है। इसका अपराधियों द्वारा दुुरुपयोग किया जाता है। कई ऐसे मामले सामने आए हैं जब अपराधियों ने आम जनता के वाई-फाई का दुरुपयोग किया है। पुलिस उन अपराधियों तक नहीं पहुंच पाती है, लेकिन वह उन लोगों तक जरूर पहुंच जाती है जिनका वाई फाई उपयोग में लिया गया है। अगर वाई-फाई इंटरनेट कनेक्शन इस्तेमाल करते हैं तो उसे पासवर्ड प्रोटेक्ट करना और एनक्रिप्शन का इस्तेमाल करना न भूलें।
वायरस, स्पाईवेयरकम्प्यूटर में वायरस पाया जाना आम बात है। लेकिन यदि यह वायरस जोम्बी में तबदील हो गया है तो समझिए आप साइबर क्राइम में फंस सकते हैं। वायरस का जोम्बी में तब्दील होने से आपके कंप्यूटर का डेटा असुरक्षित हो जाता है। उसे आसानी से कोई भी उठा सकता है। कुछ वायरस और स्पाईवेयर न सिर्फ आपके कंप्यूटर के डेटा और निजी सूचनाएं चुराकर अपने संचालकों तक भेजते हैं बल्कि आपके संपर्क में मौजूद दूसरे लोगों तक अपनी प्रतियां पहुंचा देते हैं। कभी इंटरनेट के जरिये, कभी ईमेल के जरिये तो कभी लोकल नेटवर्क के जरिये। जिन लोगों के कंप्यूटर में आपके जरिये वायरस या स्पाईवेयर पहुंचा और कोई बड़ा नुकसान हो गया, उनकी नजर आप दोषी माने जायेंगे। इस समस्या से बचने के लिए कंप्यूटर में अच्छा एंटिवायरस, एंटिस्पाईवेयर और फायरवॉल जरूर लगवाएं। ये सिर्फ आपकी साइबर सुरक्षा के लिहाज से ही जरूरी नहीं है बल्कि इसलिए भी है कि कहीं आप अनजाने में कोई साइबर अपराध न कर बैठें।
किसी का अकाउंट खोलना या उसका पासवर्ड यूज करनावर्तमान में अपराधियों द्वारा किसी का भी अकाउंट हैग करना आम बात हो चुकी है। कुछ लोग सिर्फ पर काम कर रहे हैं। वे इंटरनेट पर अपने दोस्तों के ईमेल अकाउंट, फेसबुक आदि के पासवर्ड तलाश करते रहते हैं जिसमें वे सफल भी हो रहे हैं। पासवर्ड हासिल करने के बाद उसके खाते में लॉग इन करते हैं तो यह साइबर क्राइम होता है। ऐसा तब भी होता है, जब किसी ने आप पर भरोसा करके आपको अपना पासवर्ड बताया हो। यह खाता ईमेल, सोशल नेटवर्किंग, ब्लॉग, वेबसाइट, ऑनलाइन स्टोरेज सविर्स, ई-कॉमर्स साइट, इंटरनेट-बैंकिंग जैसा हो सकता है। किसी की प्राइवेसी में सेंध लगाने पर आप डेटा प्रोटेक्शन कानून के साथ-साथ सूचना प्रौद्योगिकी कानून 2000 की धारा 72 के तहत दोषी करार दिए जा सकते हैं। किसी का पासवर्ड चुराकर उसका अकाउंट खोलने की कोशिश न करें। साथ ही अगर कोई साथी कहे कि मेरा ईमेल खोलकर देख लेना, यह मेरा पासवर्ड है, तो उससे माफी मांग लेने में ही भलाई है।
सॉफ्टवेयर पायरेसीभारत के ज्यादातर कंप्यूटर यूजर किसी न किसी सॉफ्टवेयर का पाइरेटेड वर्जन इस्तेमाल कर रहे हैं। चाहे विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम हो, ऑफिस सॉफ्टवेयर सूइट हों या फिर ग्राफिक्स, पेजमेकिंग के सॉफ्टवेयर। अब सॉफ्टवेयरों के भीतर एडवांस किस्म के पाइरेसी प्रोटेक्शन और मॉनिटरिंग सिस्टम आने लगे हैं और हो सकता है आपके बारे में भी कंपनियों को जानकारी हो। ऐसे सॉफ्टवेयरों का इस्तेमाल करना साइबर क्राइम के तहत आता है। हमेशा ऑरिजनल सॉफ्टवेयर ही यूज करें।
गूगल क्लिक फ्रॉडइंटरनेट पर विज्ञापनों के बदले भुगतान की व्यवस्था थोड़ी अलग है। यह विज्ञापनों को क्लिक किए जाने की संख्या पर आधारित है। जैसे दस क्लिक यानी तीन डॉलर या करीब 160 रुपये। ऐसे में कुछ लोग खुद ही अपने ब्लॉगों पर लगे विज्ञापनों को क्लिक करते रहते हैं या फिर कुछ दूसरे लोगों के साथ गठजोड़ कर लेते हैं। उन्हें पता नहीं कि इंटरनेट पर ऐसे फर्जी क्लिक की निगरानी रखी जा सकती है। इस तरह के क्लिक से बचें। यह बड़ा आर्थिक अपराध है और पता लगने पर आपके विज्ञापन तो बंद हो ही सकते हैं, भारी-भरकम जुर्माना या दूसरी सजा भी मिल सकती है।
बैंडविड्थ की चोरीकुछ लोग अपनी वेबसाइट पर दूसरी जगहों से ली गई भारी-भरकम ग्राफिक फाइलें (कुछ एमबी के फोटो या विडियो आदि) डालने के लिए शॉर्टकट अपनाते हैं। वे फाइलों को अपनी वेबसाइट पर सीधे नहीं डालते बल्कि ऑरिजनल वेबसाइट से ही उन्हें लिंक कर देते हैं। होता यह है कि विडियो या चित्र दिखता तो आपकी वेबसाइट पर है लेकिन असल में वह अपनी ऑरिजनल वेबसाइट पर ही लगा हुआ है, आपके वेब सर्वर पर नहीं है। यहां आप दो तरह के साइबर क्राइम कर रहे हैं। पहला कॉपीराइट संबंधी और दूसरा बैंडविड्थ की चोरी। बैंडविड्थ की चोरी को ऐसे समझ सकते हैं। हर वेबसाइट को डेटा डाउनलोड का एक खास कोटा मिला होता है और इस सीमा से बाहर जाने पर उसके संचालक को अलग से पैसे का भुगतान करना होता है। जब आप किसी और की साइट पर मौजूद भारी-भरकम विडियो को लिंक करके अपनी साइट पर लगाते हैं तो आपकी साइट पर आने वाले हर विजिटर के लिए वह विडियो ओरिजनल साइट से डाउनलोड होता है। डाउनलोड की इस प्रक्रिया में उसकी बैंडविड्थ खर्च होती है, जबकि आप अपनी बैंडविड्थ बचा लेते हैं। यह किसी अनजान व्यक्ति की जेब काटने जैसा है। हमेशा अपनी बैंडविड्थ ही खर्च करें, दूसरों की नहीं।