पाकिस्तान के नए पीएम बनते ही इमरान खान को तुरंत करने होंगे ये 8 काम

पूर्व क्रिकेटर और पाकिस्तान-ए-इंसाफ पार्टी (पीटीआई) के नेता इमरान खान 'Imran Khan' शनिवार को पाकिस्तान 'Pakistan' के नए प्रधानमंत्री 'Prime Minister' के रूप में शपथ लेंगे। वह देश के 22वें प्रधानमंत्री होंगे। इससे पहले शुक्रवार को पाकिस्तानी संसद के निचले सदन नेशनल असेंबली में हुए एकतरफा चुनाव में इमरान खान को देश का नया प्रधानमंत्री चुना गया। पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री के रूप में इमरान खान के सामने कई समस्याएं मुंह बाए खड़ी हैं। सबसे विकराल समस्या अर्थव्यवस्था की है। जीडीपी की ग्रोथ धीमी है तो देश पर कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है। पाकिस्तान की बतौर 'ब्रांड' दुनिया में नकारात्मक छवि बन गई है। कट्टरपंथियों का दखल बढ़ा है। वहीं रोजगार सृजन न होने से युवाओं में असंतोष का माहौल है। ये वो 8 काम हैं जो इमरान खान को तुरंत करने होंगे।

- पाकिस्तान की जीडीपी ग्रोथ दर बहुत धीमी है

अर्थव्यवस्था किसी भी देश की नींव होती है। इस मोर्चे पर पाकिस्तान की हालत खराब है। जीडीपी की ग्रोथ दर बहुत धीमी है। तो वहीं रुपया (पाकिस्तानी रुपया) भी गिरावट के दौर में है। इन सबके अलावा जो सबसे ज्यादा चिंताजनक है वह यह कि देश कर्ज में डूबा है। पड़ोसी चीन के साथ-साथ आईएमएफ का भी मोटा कर्ज है। विदेशी मुद्रा भंडार के मोर्च पर भी स्थिति डंवाडोल है। ऐसे में इमरान खान को सबसे पहले अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर कड़े कदम उठाने होंगे। साथ ही देश में निवेश का माहौल बनाना होगा।

- देश में निवेश को बढ़ावा देना होगा


देश में निवेश को बढ़ावा देने के लिए जरूरी है कि पाकिस्तान में कट्टरपंथियों और आतंकवाद पर लगाम लगाई जाए। क्योंकि सुरक्षित और सकारात्मक माहौल में ही दूसरे देश पाकिस्तान में निवेश के लिए प्रेरित होंगे। हालांकि कट्टरपंथियों व आतंकियों से निपटना इमरान खान के लिए बड़ी चुनौती होगी। क्योंकि इमरान खान को सेना का नजदीकी माना जाता रहा है और कई मौकों पर पाकिस्तानी सेना द्वारा कट्टरपंथियों को सहयोग-समर्थन की बात भी सामने आ चुकी है।

- बेरोजगारी दर भी काफी ज्यादा है

पाकिस्तान में बेरोजगारी दर भी काफी ज्यादा है। नौजवान खासे परेशान हैं और इमरान खान में वे अपनी आकांक्षाओं को पूरा होते देख रहे हैं। ऐसे में इमरान खान को रोजगार सृजन के मोर्चे पर तत्काल कदम उठाना होगा। दूसरी तरफ, पाकिस्तान में ऐसे नौजवानों की तादाद हजारों में है जो रोजगार के अभाव में कट्टरपंथियों की तरफ आकर्षित हुए हैं। उन्हें वापस लाने और दूसरे नौजवानों को इस राह पर रोकने के लिए भी इमरान खान को पहल करनी होगी।

- 'ब्रांड पाकिस्तान' को नए और सकारात्मक रूप में पेश करने के लिए कदम उठाने होंगे

'ब्रांड पाकिस्तान' की स्थिति पूरी दुनिया में किसी से छिपी नहीं है। खासकर कट्टरपंथियों की वजह से पाकिस्तान की छवि को काफी धक्का लगा है। जिसका खामियाजा उसे हर मोर्चे पर उठाना पड़ रहा है। फिर चाहे वह निवेश का हो या फिर पर्यटन आदि का। पिछले दिनों अमेरिका इसी मुद्दे पर पाकिस्तान को फटकार भी लगा चुका है। ऐसे में इमरान खान को तत्काल 'ब्रांड पाकिस्तान' को नए और सकारात्मक रूप में पेश करने के लिए कदम उठाने होंगे।

- भ्रष्टाचार पर लगाने के लिए कड़े कदम उठाने होंगे

पिछले कुछ महीनों में भ्रष्टाचार की वजह से पाकिस्तान की छवि को अच्छा-खासा धक्का लगा है। खुद पूर्व पीएम नवाज शरीफ को भ्रष्टाचार के मामले में जेल जाना पड़ा है। भ्रष्टाचार को लेकर पाकिस्तान में असंतोष का माहौल है। खासकर युवा इस मुद्दे पर आंदोलित दिख रहे हैं। ऐसे में इमरान खान को भ्रष्टाचार पर लगाने के लिए कड़े कदम उठाने होंगे। अगर ऐसा नहीं हुआ तो नवाज शरीफ की ही तरह भ्रष्टाचार उनकी सरकार के लिए भी दीमक साबित हो सकता है।

- संघर्ष विराम का कड़ाई से पालन करना होगा

इमरान खान के सामने भारत के साथ संबंधों को नई और सकारात्मक दिशा में ले जाने की भी चुनौती होगी। आए दिन सीमा पर पाकिस्तान की तरफ से संघर्ष विराम की खबरें आती रहती हैं। इसमें दोनों तरफ से सैनिकों की जान तो जाती ही है। साथ ही नागरिक भी इसका शिकार होते हैं। ऐसे में इमरान खान को संघर्ष विराम का कड़ाई से पालन करने के लिए पहल करनी होगी।

- सियासत में सेना-आईएसआई का दखल कम करना होगा

पाकिस्तान की राजनीति में सेना और आईएसआई का दखल किसी से छिपा नहीं है। अधिकतर समय या तो सेना सत्ता में रही है या फिर 'मुखौटा सरकार' चलाती रही है। इमरान खान को देश की सियासत में सेना-आईएसआई के दखल को कम करने के लिए भी तुरंत पहलकदमी करनी होगी। खासकर पड़ोसी देशों के साथ पाकिस्तान का संबंध कैसा हो यह सेना नहीं बल्कि खुद सरकार को तय करना होगा।

- पाकिस्तान 'दो नावों की सवारी' कर रहा है

विदेश नीति के मोर्चे पर पाकिस्तान 'दो नावों की सवारी' करता दिख रहा है। वह आर्थिक सहायता के लिए अमेरिका की तरफ तो देख ही रहा है, दूसरी तरफ चीन से भी उसे इसी तरह की उम्मीदें हैं। हालांकि पिछले दिनों अमेरिका ने पाकिस्तान की आर्थ‍िक सहायता रोक दी थी। अब इमरान खान के सामने अमेरिका और चीन के साथ संबंधों में समन्वय बनाना भी बड़ी चुनौती होगी।