राजस्थान : कोरोना के कारण नजरअंदाज हुई अन्य महामारी और बीमारियों की चिंता, 10 लाख पर पहुंचा स्वाइन फ्लू का बजट

कोरोना आने के बाद से सरकार को ऐसा लग रहा हैं जैसे अन्य बीमारियां गायब ही हो गई हो और इसके लिए कई अन्य गंभीर बिमारियों का बजट मामूली रकम पर पहुंच गया हैं।2010 में जब स्वाइन फ्लू आया था और कोरोना और ब्लैक फंगस की तरह लोग डर रहे थे। उस समय स्वाइन फ्लू पर हर साल 15 से 50 करोड़ रुपए रोकथाम और इंफ्रा स्ट्रक्चर पर खर्च किए जाते थे। लेकिन इस साल कोरोना की छाया में स्वाइन फ्लू पर कोई ध्यान नहीं दे रहा। स्वाइन फ्लू की रोकथाम के लिए प्रदेश भर से मांग उठी तो 70 सीएमएचओ और पीएमओ को केवल 10 लाख रुपए का बजट आवंटित किया है। लिहाजा स्वाइन फ्लू रोकथाम का बजट करीब 100 गुणा कम कर दिया गया है। सारा पैसा स्वाइन फ्लू और वैक्सीन खरीदने पर लगाया जा रहा है।

सरकार 32 करोड़ रुपए की वैक्सीन खरीद चुकी है, वहीं 3200 करोड़ रुपए इसके प्रबंधन पर पिछले साल भर से आवंटित किए गए। 2015 में एक अस्पताल या सीएमएचओ को स्वाइन फ्लू के लिए 5 से 10 लाख रुपए प्रचार प्रसार के लिए मिलते थे। इस बार 9 से 15 हजार रुपए दिए जा रहे हैं। अफसरों का कहना है कि सारा बजट कोरोना पर केंद्रित करने से यह करना पड़ रहा।

पहले पूरे राजस्थान में प्रचार-प्रसार कर स्वाइन फ्लू रोकथाम के लिए ही 2 करोड़ रुपए का अलग बजट आवंटित होता था। प्रत्येक सीएमएचओ को 3.97 लाख रुपए आवंटित किए जाते थे। वाहन किराया 14 से 15 लाख, संविदा सेवा के लिए 5.44 लाख, वैक्सीनेशन, पीपीई किट और मास्क आदि के लिए 2 करोड़ रुपए आवंटित किए जाते थे। अब इस राशि को 15 से 35 हजार तक सीमित कर दिया है।