26 नवंबर 2008 आज ही के दिन 10 साल पहले करीब 10 आतंकियों ने मुंबई को निशाना बनाया था। तकरीबन 60 घंटे तक चले आतंक के उस हमले में लश्कर-ए-तैयबा के खूंखार आतंकियों ने 166 लोगों की जान ले ली थी। आतंकियों के हमले के बाद भारतीय सुरक्षाकर्मियों ने बड़ी दिलेरी के साथ लड़कर 9 आतंकियों मार गिराया था, जबकि उनमें से एक आतंकी अजमल कसाब को जिंदा पकड़ लिया गया था। भारतीय अदालत से मौत की सजा मिलने के बाद उसे फांसी पर चढ़ा दिया गया था। आतंकी कराची से नाव के रास्ते मुंबई में घुसे थे। इस हमले में मुंबई पुलिस के तीन बड़े अधिकारी शहीद हुए थे। मरने वालों में 28 विदेशी नागरिक भी शामिल थे। इस हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया था और भारत और पाकिस्तान युद्ध की कगार पर आ गए थे। आतंकियों के खात्मे के लिए तत्कालीन बुश प्रशासन ने विशेष बलों के एक दस्ते को भेजने की पूरी तैयारी कर ही ली थी मगर भारत की तरफ से आवश्यक मंजूरी मिलने का इंतजार था। भारतीय कमांडो ने आतंकियों का खात्मा कर साबित कर दिखाया भारत के सुरक्षाकर्मी भी ऐसे हमलो से निपटने के लिए तैयार है। अमेरिका की ओर से मदद भेजे जाने का खुलासा दक्षिण एशिया में व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के निदेशक रहे अनीश गोयल ने किया। इन अहम प्वाइंटों से जाने पूरा घटनाक्रम...
- 26 नवबंर 2008 की रात पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तएबा के 10 आतंकवादी कोलाबा के समुद्री तट से एक नाव के जरिए भारत में घुसे। पूरी तरह हथियारों से लैस और वेशभूषा ऐसी कि कोई पहचान नहीं पाए।
- हथियारों से लैस सभी आतंकी कोलाबा की मच्छीमार कॉलोनी से मुंबई में घुसे और तुरंत अपनी घिनौनी करतूतों को अंजाम देने लगे। मच्छीमार कॉलोनी से बाहर निकलते ही ये आतंकी दो-दो की टोलियों में बंट गए थे।
- आतंकियों ने अपनी-अपनी लोकेशन पर घुसते ही फायरिंग और धमाके करने शुरू कर दिए थे। इनसे निपटने के लिए केंद्र की ओर से 200 एनएसजी कमांडो भेजे गए थे। सेना के भी 50 कमांडो इस ऑपरेशन में शामिल थे। इसके अलावा सेना की पांच टुकड़ियों को भी वहां भेजा गया।
- आतंकियों की पहली टीम में इमरान बाबर और अबू उमर नामक आतंकवादी शामिल थे। ये दोनों लियोपोल्ड कैफे पहुंचे और रात करीब साढ़े नौ बजे जोरदार धमाका किया।
- आतंकियों की दूसरी टीम में अजमल आमिर कसाब और अबू इस्माइल खान शामिल थे। दोनों सीएसटी पहुंचे और अंधाधुंध गोलियां बरसाने लगे। इन दोनों आतंकियों ने यहां 58 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया।
- 26 नवंबर 2011 मुंबई हमले के अकेले जिंदा पकड़े गए गुनहगार अजमल आमिर कसाब को पूरी कानूनी प्रक्रिया के बाद पुणे के यरवदा जेल में फांसी दी गई थी।
- व्हाइट हाउस के 26/11 संकट प्रबंधन समूह का हिस्सा रहे अनीश गोयल ने कहा कि लेकिन इसके लिए भारतीय अधिकारियों से आवश्यक मंजूरी मिलने तथा अमेरिकी विशेष बलों के रवाना होने से पहले ही भारतीय कमांडो ने अपना काम पूरा कर लिया।
- भारत की आर्थिक राजधानी में लश्कर ए तैयबा के 10 आतंकवादियों द्वारा किए गए भीषण हमले में 166 लोग मारे गए थे। मरने वालों में कुछ अमेरिकी नागरिक भी शामिल थे।
- साल 2008 के थैंक्सगिविंग सप्ताहांत के दौरान व्हाइट हाउस में हुए घटनाक्रम को याद करते हुए गोयल ने कहा कि अमेरिका के पास क्षेत्र में कुछ विशेष टीम थीं ‘‘जिन्हें हम तत्काल तैनात करने की योजना बना रहे थे।''
- उन्होंने बताया कि अमेरिका ने यह पता लगाने के लिए फॉरेंसिक मदद की भी पेशकश की थी कि इस हमले के लिए कौन जिम्मेदार है तथा हमलावर कहां से थे? व्हाइट हाउस आतंकी हमले के संबंध में भारत द्वारा मांगी जा सकने वाली कोई भी मदद देने को तैयार था।
- ‘फ्रैगाइल फ्रंटीयर्स: दी सिक्रेट हिस्टरी ऑफ मुंबई आतंकी अटैक्स’ नाम की एक किताब ने खुलासा किया है कि लश्कर-ए-तैयबा ने आतंकी अजमल कसाब को कराची के समुंदर में तैरने की ट्रेनिंग दी थी। इतिहासकार सरोज कुमार राठ द्वारा लिखित इस किताब के अनुसार, उस दौरान कसाब को यह लगा कि इस ट्रेनिंग से उसे समुद्री सैनिक या मछुआरे की नौकरी मिल जाएगी। वहीं इस हमले से पहले एलईटी ने दो बार आतंकियों को भेजने की कोशिश की थी मगर सफल नहीं हो सके थे।
- कसाब का केस हाईकोर्ट में लड़ने वाले दो वकीलों को महाराष्ट्र सरकार से अभी तक उनकी फीस नहीं मिली है। बता दें कि बांबे हाईकोर्ट ने कसाब का केस लड़ने के लिए उनका नाम चुना था। राज्य सरकार का कहना है कि दोनों ने कोई बिल जमा नहीं किया जबकि उनका कहना है कि उन्हें ऐसा करने की कोई जरूरत नहीं है।