सिख विरोधी दंगा केस: दोषी सज्जन कुमार, चायवाले से लेकर एक सांसद बनने तक का सफर...

1984 के सिख विरोधी दंगों से संबंधित एक मामले में उम्र कैद की सजा पाने वाले कांग्रेस के पूर्व नेता सज्जन कुमार ने सोमवार (31 दिसंबर) को अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया है। सज्जन कुमार के अलावा दोषी ठहराए जाने के बाद पूर्व विधायक कृष्ण खोखर और महेन्द्र यादव ने भी सोमवार को आत्मसमर्पण कर दिया। दोनों को 10 साल जेल की सजा सुनाई गई है। ये दोनों उसी मामले में दोषी ठहराये गये हैं, जिसमें पूर्व कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को ताउम्र कैद की सजा सुनाई गई है। कोर्ट द्वारा खोखर और यादव का आत्मसमर्पण का अनुरोध स्वीकार करने के बाद दोनों ने मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अदिति गर्ग के समक्ष समर्पण किया। 23 सितंबर 1945 को दिल्ली में जन्मे सज्जन कुमार का सियासी सफर उतार-चढ़ाव से भरा रहा। वह कैसे एक चायवाले से कांग्रेस सांसद बने पढ़ें उनका पूरा सफर...

- 23 सितंबर 1945 को दिल्ली में जन्मे सज्जन कुमार के परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक शुरुआती दिनों में परिवार के भरण-पोषण के लिए सज्जन कुमार को चाय बेचनी पड़ी।

- 70 का दशक आते-आते सज्जन कुमार (Sajjan Kumar) की राजनीति में दिलचस्पी बढ़ी और उन्होंने पहली बार दिल्ली में नगरपालिका का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इसी दौरान सज्जन कुमार संजय गांधी की नजरों में आए।

- इसके बाद वे धीरे-धीरे संजय गांधी के करीब आते गए। युवा सज्जन कुमार ने 1980 में पहली बार दिल्ली से ही लोकसभा का चुनाव लड़ा और बड़ा उलटफेर कर सबको चौंका दिया। उन्होंने दिल्ली के पहले मुख्यमंत्री रहे ब्रम्हा प्रकाश को चुनावों में पटखनी दे दी।

- लोकसभा चुनाव में जीत के बाद सज्जन कुमार (Sajjan Kumar) का कद संजय गांधी की नजरों में और बढ़ गया। संजय गांधी ने जब अपना 'पांच सूत्रीय' कार्यक्रम शुरू किया तो इसको धरातल पर लाने की जिम्मेदारी जिनको मिली, उनमें सज्जन कुमार भी शामिल थे।

- 2004 में भारतीय राजनीति में उनके नाम दो रिकॉर्ड दर्ज हुए। पहला, तो देशभर में लोकसभा चुनावों में सबसे ज्यादा मत पाने का रिकार्ड हासिल किया। वहीं, दिल्ली से सबसे अधिक मतों से चुनाव जीतने का रिकार्ड भी उनके ही नाम रहा। उन्हें आठ लाख से अधिक मत मिले थे। इन सबके बीच 1984 में इंदिरा गांधी की मौत के बाद पनपे दंगों की आंच उनके राजनीतिक करियर पर भी आई।

- कांग्रेस ने सज्जन कुमार को टिकट नहीं दिया। इतना ही नहीं, सिख समुदाय की नाराजगी से बचने के लिये कांग्रेस ने 1989 में भी उन्हें टिकट नहीं दिया। 1991 में कांग्रेस ने बदले सियासी माहौल में एक बार फिर बाहरी दिल्ली संसदीय क्षेत्र से उन्हें टिकट दिया और वह दुबारा संसद पहुंचे। इस बीच सिख दंगों को लेकर चर्चा काफी गर्म रही। राजनीतिक पार्टियों में आरोप-प्रत्यारोप का दौर चलता रहा। 1993 में दिल्ली विधानसभा चुनाव हुए और सज्जन के कई साथी विधानसभा में चुनकर आ गए, लेकिन बाद में 1996 के चुनाव में बीजेपी के वरिष्ठ नेता कृष्णलाल शर्मा के हाथों उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

- 31 अक्टूबर 1984 को पूर्व पीएम इंदिरा गांधी की उनके सिख बॉडी गार्ड्स द्वारा हत्या के बाद दिल्ली और आसपास के इलाकों में सिख विरोधी दंगा शुरू हो गया। इस दंगे में सैकड़ों सिख मारे गए।

- 1984 के सिख विरोधी दंगों में भीड़ को उकसाने में जिन लोगों का नाम सामने आया, उनमें सज्जन कुमार भी एक थे। दिल्ली कैंट इलाके में पांच सिखों केहर सिंह, गुरप्रीत सिंह, रघुविंदर सिंह, नरेंद्र पाल सिंह और कुलदीप सिंह की हत्या कर दी गई थी। इस मामले में सज्जन कुमार (Sajjan Kumar) पर भीड़ को उकसाने के आरोप लगे।

- 27 अक्टूबर 2018 को दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था और अब सज्जन कुमार को दोषी करार दिया है। सज्जन कुमार को उम्रकैद की सजा और पांच लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है।

घटनाक्रम:

- 31 अक्तूबर 1984: तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या।
-1-2 नवंबर 1984: इसके बाद भड़के दंगों में राजनगर इलाके में भीड़ ने पांच सिखों की हत्या कर दी।
- मई 2000: दंगों की जांच के लिये जीटी नानावती कमीशन का गठन।
- दिसंबर 2002: सेशन कोर्ट ने सज्जन कुमार को एक मामले में बरी कर दिया था।-24 अक्तूबर 2005: जीटी नानावती कमीशन की सिफारिश पर सीबीआई ने दूसरा मामला दर्ज किया।
-1 फरवरी 2010: ट्रायल कोर्ट ने सज्जन कुमार को समन किया।
-24 मई: ट्रायल कोर्ट ने चार्ज फ्रेम किया।
-अप्रैल 2013: अदालत ने सज्जन कुमार को इस मामले में बरी किया।
-19 जुलाई 2013: सीबीआई ने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की।
-22 जुलाई 2013: हाई कोर्ट ने सज्जन कुमार को नोटिस जारी किया।
-29 अक्तूबर 2018: हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित किया।
- 17 दिसंबर 2018: हाई कोर्ट ने सज्जन कुमार को दोषी करार देते हुये आजीवन कारावास की सजा सुनाई।