राज्यसभा की कार्यवाही बुधवार को उस समय गर्मा गई जब कांग्रेस अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने केंद्र सरकार पर करारा प्रहार किया। उन्होंने आरोप लगाया कि चीन लद्दाख में लगातार घुसपैठ कर रहा है, लेकिन मोदी सरकार उसके खिलाफ ठोस कदम उठाने या खुलकर प्रतिक्रिया देने से कतराती है। अपनी कड़ी टिप्पणी में खरगे ने चुटकी ली— “56 इंच की छाती की बात तो खूब हुई, लेकिन इससे देश को आखिर क्या हासिल हुआ?” इस बयान पर सदन में जोरदार हंगामा हुआ और बीजेपी सदस्यों ने कड़ा विरोध दर्ज कराया।
वंदे मातरम को लेकर बढ़ी राजनीतिक तकरारखरगे ने राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम पर जारी विवाद पर भी सरकार को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि वे पिछले छह दशकों से यह गीत गा रहे हैं और बतौर विधायक और सांसद भी इसे सदन में लगातार गाते आए हैं। उनके मुताबिक, जो लोग आज इसे “राष्ट्रभक्ति का पैमाना” बना रहे हैं, वे वही हैं जो पहले इसे अपनाने से कतराते थे। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस ने अपने अधिवेशनों में वंदे मातरम गाने की परंपरा दशकों पहले शुरू की थी। उन्होंने तंज कसा— “जब स्वतंत्रता सेनानी वंदे मातरम गाते हुए जेल जाते थे, तब आज जिन्हें देशभक्ति का ठेकेदार बनने का शौक है, वे अंग्रेजों की सेवा में लगे थे।” खरगे ने सरकार पर लोकतांत्रिक ढांचे और संविधान की मूल भावना को कमजोर करने का आरोप भी लगाया।
'इतिहास को मरोड़कर पेश कर रही है सरकार'अपने भाषण में खरगे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पर गम्भीर आरोप लगाए कि वे राजनीतिक फायदे के लिए इतिहास को deliberately तोड़-मरोड़कर जनता के सामने पेश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम पर कांग्रेस का निर्णय किसी एक व्यक्ति नहीं, बल्कि नेहरू, गांधी, मौलाना आज़ाद, सुभाष चंद्र बोस जैसे नेताओं की सामूहिक सहमति से हुआ था। खरगे ने तीखा बयान देते हुए कहा— “आप चाहे जितनी कोशिश करें, नेहरू को नीचे नहीं ला सकते। वे ऊंचे थे और ऊंचे रहेंगे। नीचे तो आप हैं और वहीं रहेंगे।”
चीन, अर्थव्यवस्था और पड़ोसी देशों पर भी साधा निशानाचीन के मुद्दे पर खरगे का हमला और अधिक तेज था। उन्होंने कहा कि सरकार मौन साधे बैठी है, जबकि चीन सीमा पर अपनी गतिविधियों को लगातार बढ़ा रहा है। उन्होंने कहा— “56 इंच की बात छोड़िए, चीन का नाम लेने की भी हिम्मत नहीं हो रही। रुपये की हालत ऐसी है जैसे कोई व्यक्ति पहाड़ से गिर जाए— संभलने का नाम नहीं।” खरगे ने यह भी आरोप लगाया कि भारत का प्रभाव पड़ोसी देशों में कमजोर हुआ है, जबकि चीन का दखल बढ़ता जा रहा है। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के 19 जून 2020 के उस बयान को भी याद दिलाया जिसमें कहा गया था— “न कोई घुसा है, न कोई घुस आया है” — और दावा किया कि जमीन पर स्थिति इसके बिल्कुल विपरीत है।