जगदीप धनखड़ के उपराष्ट्रपति पद से अचानक इस्तीफा देने को लेकर देश की राजनीति में उथल-पुथल मच गई है। जहाँ एक ओर बीजेपी नेता और सांसद इसे स्वास्थ्य से जुड़ा व्यक्तिगत निर्णय बता रहे हैं, वहीं विपक्षी दल इसमें किसी गहरी साजिश या राजनीतिक रणनीति की बू सूंघ रहे हैं। भाजपा सांसद और अभिनेता रवि किशन ने विपक्ष पर पलटवार करते हुए कहा, कब कौन बीमार हो जाए, कौन गिर पड़े — कोई नहीं जानता। आज के दौर में तो स्वस्थ दिखने वाले भी अचानक दुनिया छोड़ जाते हैं। उन्होंने विपक्ष के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि किसी की सेहत को लेकर राजनीति हो रही है। उन्होंने यह भी जोड़ा, अगर डॉक्टर ने उन्हें आराम की सलाह दी है, और उन्होंने इस्तीफा देकर वैयक्तिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी है, तो विपक्ष को उसका सम्मान करना चाहिए।
वहीं भाजपा सांसद कंगना रनौत ने भी अपनी प्रतिक्रिया में कहा, हम जगदीप जी की अब तक की सेवाओं के लिए कृतज्ञ हैं। उन्होंने अपने कर्तव्यों का पूरी निष्ठा से निर्वहन किया है।
विपक्ष ने उठाए गंभीर सवालहालांकि कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने उपराष्ट्रपति के इस्तीफे को लेकर कई गंभीर प्रश्न खड़े किए। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार और उपराष्ट्रपति के बीच लंबे समय से मतभेद चल रहे थे। जगदीप धनखड़ जी ने दिन में राज्यसभा की कार्यवाही में भाग लिया और शाम को अचानक इस्तीफा दे दिया। यह स्वाभाविक नहीं है, गोगोई ने कहा। उन्होंने यह भी बताया कि कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में केंद्रीय मंत्री गैरहाजिर थे, जो इस बात की ओर संकेत करता है कि कुछ बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम हुआ है।
शिवसेना और जेडीयू की ओर से भी प्रतिक्रियाएंशिवसेना (उद्धव गुट) के सांसद संजय राउत ने बयान देते हुए कहा कि सितंबर में कोई बड़ा फैसला होने वाला है और यह इस्तीफा उसी की तैयारी का हिस्सा है। वहीं, जेडीयू के सूत्रों का कहना है कि बिहार से किसी चेहरे को उपराष्ट्रपति बनाए जाने की संभावना है ताकि आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में राजनीतिक लाभ उठाया जा सके।
मीडिया की रिपोर्ट और विश्लेषणराजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि भले ही स्वास्थ्य कारणों को इस्तीफे की वजह बताया गया हो, लेकिन घटनाक्रम की टाइमिंग और केंद्र सरकार की चुप्पी कई सवाल खड़े करती है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स का कहना है कि उपराष्ट्रपति और सरकार के बीच कुछ समय से नीतिगत असहमति चल रही थी, विशेषकर राज्यसभा में विपक्ष को पर्याप्त समय और सम्मान देने को लेकर।
इसी बीच सोशल मीडिया पर भी इस्तीफे को लेकर चर्चाओं का दौर जारी है। कुछ लोग इसे संवैधानिक पदों की स्वतंत्रता पर दबाव से जोड़ रहे हैं, जबकि कुछ इसे आगामी चुनावों की तैयारी के तौर पर देख रहे हैं।