कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपने जीजा रॉबर्ट वाड्रा को लेकर पहली बार खुलकर अपनी बात रखी है। यह कोई आम प्रतिक्रिया नहीं थी, बल्कि उनके शब्दों में वर्षों की पीड़ा और राजनीतिक दुर्भावना के खिलाफ एक स्पष्ट विरोध नजर आया। रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ दायर की गई नई चार्जशीट पर राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला और कहा कि यह सब एक सोची-समझी साजिश का हिस्सा है।
मेरे जीजा को 10 सालों से प्रताड़ित किया जा रहा हैराहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक भावुक बयान जारी करते हुए कहा, मेरे बहनोई रॉबर्ट वाड्रा को इस सरकार ने पिछले दस वर्षों से लगातार प्रताड़ित किया है। अब जो नई चार्जशीट दायर की गई है, वह उसी राजनीतिक विद्वेष और बदले की भावना की अगली कड़ी है। यह बयान सिर्फ एक नेता का नहीं था, बल्कि एक परिवारजन की चिंता और नाराज़गी भी थी।
हम सब एकजुट हैं, डरने वाले नहीं हैंराहुल गांधी ने आगे कहा कि वह रॉबर्ट, प्रियंका गांधी और उनके बच्चों के साथ मजबूती से खड़े हैं और उन्हें इस तरह की राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित कार्रवाइयों से कोई डर नहीं है। मैं जानता हूं कि वे सभी किसी भी तरह के उत्पीड़न को सहने के लिए पर्याप्त साहसी हैं और वे इसे गरिमा के साथ झेलते रहेंगे। अंततः सत्य की जीत होगी। यह एक परिवार के साहस की कहानी भी है, जो सत्ता के दबाव के सामने झुकने को तैयार नहीं।
ईडी की चार्जशीट – पुराना मामला फिर से गर्माया गयाप्रवर्तन निदेशालय (ED) ने एक बार फिर से रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ पूरक आरोपपत्र दाखिल किया है, जिसे कांग्रेस ने पहले ही राजनीति से प्रेरित बताया था। यह मामला हरियाणा के गुरुग्राम में बहुचर्चित भूमि घोटाले से जुड़ा है और सालों पुराना है। लेकिन सवाल उठता है कि क्या अब चुनावी माहौल में इसे फिर से उछालना केवल एक संयोग है?
क्या है मामला? जानिए विस्तार सेईडी की जांच में सामने आया कि रॉबर्ट वाड्रा से जुड़ी एक कंपनी ने 2008 में गुरुग्राम के शिकोहपुर गांव में 3.5 एकड़ जमीन 7.5 करोड़ रुपये में खरीदी थी। जांच एजेंसी का आरोप है कि जमीन का म्यूटेशन कथित तौर पर अनियमित तरीके से किया गया और हरियाणा की तत्कालीन हुड्डा सरकार ने उस जमीन के एक बड़े हिस्से पर व्यावसायिक कॉलोनी के विकास का लाइसेंस दे दिया।
इसके बाद उसी जमीन को वाड्रा की कंपनी ने रियल एस्टेट की दिग्गज कंपनी डीएलएफ को 58 करोड़ रुपये में बेच दिया, जिससे उसे भारी मुनाफा हुआ। लाइसेंस के ट्रांसफर की मंजूरी और राजनीतिक हस्तक्षेप को लेकर भी कई सवाल उठे।
यह सिर्फ व्यापार नहीं, राजनीति का मैदान बन गया हैइस मामले की मूल FIR हरियाणा पुलिस ने 2018 में दर्ज की थी। आरोप हैं:
- भ्रष्टाचार
- धोखाधड़ी
- आपराधिक षड्यंत्र
- जालसाजी
इसके आधार पर ईडी ने पीएमएलए के तहत अपनी स्वतंत्र जांच शुरू की। इसमें न सिर्फ वाड्रा, बल्कि तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, डीएलएफ और एक प्रॉपर्टी डीलर को भी नामजद किया गया है।
कांग्रेस ने जताई कड़ी आपत्तिरॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ इस नई कार्रवाई को लेकर कांग्रेस ने भी नाराजगी जाहिर की है। पार्टी प्रवक्ताओं ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि केंद्र सरकार, राजनीतिक विरोधियों को डराने और दबाव में लाने के लिए जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है।
“यह लोकतंत्र नहीं, राजनीतिक प्रतिशोध है,” कांग्रेस का यह बयान केवल एक पार्टी की प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि आज की राजनीति में बढ़ती असहिष्णुता पर एक बड़ा सवाल है।