जिंदगी और मौत के बीच झूल रही केरल की नर्स निमिषा प्रिया की किस्मत ने आखिरी वक्त में पलटा खाया, जब 16 जुलाई को दी जाने वाली फांसी को टाल दिया गया। इस फैसले ने उनके परिवार के दिलों में फिर एक बार उम्मीद की लौ जलाई है। इस पूरी प्रक्रिया में भारत के ग्रैंड मुफ्ती और केरल के सुन्नी नेता कंथापुरम एपी अबूबकर मुसलियार की भूमिका को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। लेकिन भारत सरकार ने अब तक इस संबंध में कोई ठोस जानकारी नहीं दी है। सरकार ने केवल इतना कहा कि वह एक “पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान” तक पहुंचने के लिए यमन के अधिकारियों और कुछ मित्र देशों के साथ संपर्क में है।
और समय दिलाने की कोशिश में जुटी भारत सरकार38 वर्षीय निमिषा प्रिया को हत्या के मामले में मौत की सजा सुनाई गई है। नियति का वह भयावह दिन — 16 जुलाई — जब उन्हें फांसी दी जानी थी, भारतीय अधिकारियों की सक्रियता ने टाल दिया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बताया कि सरकार निमिषा के परिवार को थोड़ा और वक्त दिलाने की कोशिश कर रही है ताकि वे यमनी नागरिक के परिवार के साथ किसी भावनात्मक और मानवीय समझौते तक पहुंच सकें, जिसके हत्या के आरोप में प्रिया को दोषी ठहराया गया है।
फांसी टलवाने में ग्रैंड मुफ्ती मुसलियार की भूमिका?जब दर्द किसी सरहद को नहीं मानता, तब इंसानियत की आवाज बुलंद होती है। ग्रैंड मुफ्ती मुसलियार के प्रयासों को लेकर जब पत्रकारों ने सवाल उठाया, तो रणधीर जायसवाल ने इस पर टिप्पणी से इनकार कर दिया। लेकिन केरल के सुन्नी धर्मगुरु मुसलियार ने खुद कहा था कि उन्होंने प्रमुख यमनी विद्वानों से प्रिया की सजा को रोकने के लिए बात की।
खबरों के अनुसार, 94 वर्षीय मुसलियार ने यमन के प्रमुख सूफी विद्वान शेख हबीब उमर बिन हाफिज के जरिए तलाल के परिवार से बातचीत की शुरुआत की। जब बात धर्म, करुणा और इंसानियत से होती है — तो शायद दिल बदल जाते हैं। सुन्नी आस्था के इस बंधन ने असर दिखाया और पीड़ित परिवार ने फांसी को अस्थायी रूप से टालने पर सहमति जताई।
मुसलियार के सहयोगी हुसैन साकाफी ने बताया कि शेख हबीब ने अपने छात्रों को पीड़ित परिवार से बातचीत के लिए भेजा — एक ऐसी पहल जो शायद किसी की जिंदगी बदल दे।
भारत सरकार की स्थिति: कूटनीति और संवेदनशीलता के बीच संतुलन
जायसवाल ने बताया कि यमन के स्थानीय अधिकारियों ने प्रिया की सजा की तामील स्थगित कर दी है। हालांकि उन्होंने किसी मित्र देश का नाम नहीं लिया, लेकिन कहा कि भारत सरकार हरसंभव सहायता कर रही है। यमन में भारत की कोई प्रत्यक्ष राजनयिक उपस्थिति नहीं है, इसलिए माना जा रहा है कि सऊदी अरब स्थित भारतीय मिशन इस मामले को देख रहा है।
सना की जेल में बंद हैं निमिषाप्रिया इस वक्त यमन की राजधानी सना की जेल में बंद हैं, जो ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों के नियंत्रण में है। यह जेल सिर्फ लोहे की सलाखें नहीं, बल्कि एक भारतीय मां की उम्मीद और चिंता का प्रतीक भी बन गई है।
प्रेस वार्ता में जायसवाल ने कहा, “यह एक संवेदनशील मामला है और हम हरसंभव सहायता कर रहे हैं।” केरल के पलक्कड़ जिले के कोल्लेंगोडे की रहने वाली निमिषा को जुलाई 2017 में एक यमनी नागरिक की हत्या का दोषी पाया गया था, और 2023 में यमन की शीर्ष न्यायिक परिषद ने उनकी अपील खारिज कर दी।
कानूनी प्रयास और मानवीय पहलसरकार ने न केवल वकील नियुक्त किया, बल्कि दूतावास अधिकारियों के माध्यम से प्रिया से नियमित मुलाकात की व्यवस्था भी की। भारत सरकार स्थानीय अधिकारियों और प्रिया के परिवार के साथ लगातार संपर्क में है ताकि पारस्परिक सहमति का कोई रास्ता निकाला जा सके।
जायसवाल ने बताया कि सरकार ने प्रिया के परिवार को अधिक समय दिलाने के लिए हाल के दिनों में कई ठोस प्रयास किए हैं। यह प्रयास एक बेटी की जिंदगी बचाने की जद्दोजहद हैं, जिन्हें हर भारतवासी महसूस कर सकता है।
एक मां की ममता और सरकार की कोशिशप्रिया की मां प्रेमकुमारी ने अपनी बेटी की रिहाई की कोशिश में खुद यमन की यात्रा की थी। सोचिए, एक मां जिसने शायद कभी देश की सीमाओं से बाहर कदम न रखा हो, अपनी बेटी को बचाने एक युद्धभूमि जैसे देश में चली गई।
माना जा रहा है कि भारत सरकार ने ‘दियात’ यानी ब्लड मनी देने का विकल्प भी तलाशा, लेकिन इसमें कानूनी और सांस्कृतिक अड़चनें हैं।
सुप्रीम कोर्ट में सरकार की जानकारीसरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि वह निमिषा को मौत की सजा से बचाने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है। लेकिन यह भी कहा कि यमन की मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए, “बहुत कुछ नहीं” किया जा सकता।