पश्चिम बंगाल में बाबरी मस्जिद के पुनर्निर्माण को लेकर सियासी माहौल एक बार फिर गर्म हो गया है। इसी मुद्दे पर सोमवार (8 दिसंबर 2025) को जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने एक तीखा बयान दिया। उन्होंने साफ कहा कि भारत में किसी भी ढांचे का नाम विदेशी आक्रांता के नाम पर स्वीकार नहीं किया जाएगा। उनके शब्दों में— “जो भारत का खाते हैं, उन्हें भारत के प्रति निष्ठावान भी होना चाहिए।”
ममता बनर्जी को लेकर कठोर टिप्पणीउत्तर प्रदेश के संभल जिले में आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए रामभद्राचार्य ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर भी सीधा हमला बोला। उन्होंने कहा कि वह अब ममता बनर्जी को अपनी बहन नहीं कह सकते। उनका कहना था कि— “आज की स्थिति में ममता उन लोगों के साथ खड़ी दिखती हैं जिन्होंने सदियों से हिंदू समाज को कष्ट दिया। वह वोट राजनीति के लिए देशहित से समझौता करने को तैयार हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि संभल से आवाज उठेगी और देश में उन सभी नामों व प्रतीकों का विरोध होगा जो भारत पर आक्रमण करने वालों से जुड़े हैं। उनके अनुसार, इस भूमि पर आक्रांताओं के नाम पर कोई स्थल स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए।
“मस्जिद बनाओ, पर बाबर के नाम पर नहीं” — रामभद्राचार्यजगद्गुरु रामभद्राचार्य ने अपने बयान को और स्पष्ट करते हुए कहा कि उन्हें मस्जिद निर्माण से कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन बाबर के नाम पर मस्जिद बनाना उचित नहीं। उन्होंने कहा— “ममता बनर्जी ध्यान से सुन लें— मस्जिदें बनें, पर उनके नाम अब्दुल कलाम जैसे महान भारतीयों पर हों। भारत का अन्न खाने वाले, भारत का पानी पीने वाले, जब इस धरती पर जीवन बिताते हैं, तो प्रशंसा भी इसी देश की होनी चाहिए।”
उन्होंने दावा किया कि बाबर के नाम पर मस्जिद बनाने का प्रयास न तो जनता मंज़ूर करेगी और न ही यह किसी कीमत पर संभव होगा।
टीएमसी के निलंबित विधायक ने रखी थी नींवपूरा विवाद तब शुरू हुआ जब टीएमसी के निलंबित विधायक हुमायूं कबीर ने पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में बाबरी मस्जिद की नींव रखने की घोषणा की। इसके बाद उनके समर्थक सिर पर ईंटें रखकर पदयात्रा करते हुए नींव स्थापना के लिए पहुँचे। 6 दिसंबर 2025 को बेलडंगा में हुमायूं कबीर ने आधिकारिक रूप से आधारशिला रखी, जिसके बाद यह मुद्दा राज्य और राष्ट्रीय राजनीति में तेजी से चर्चा का विषय बन गया।