अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की चेतावनी का असर अब नजर आने लगा है। खबर है कि भारत की प्रमुख सरकारी तेल कंपनियों ने बीते सप्ताह से रूस से कच्चे तेल की खरीद पर रोक लगा दी है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, इस बदलाव के पीछे दो अहम वजहें हैं — एक, रूस द्वारा दी जा रही कीमतों में छूट में भारी कटौती और दूसरी, ट्रंप की धमकी जिसमें उन्होंने कहा था कि जब तक रूस-यूक्रेन युद्ध समाप्त नहीं होता, तब तक जो देश रूस से तेल खरीदते रहेंगे, उन पर अमेरिका 100% आयात शुल्क लगा सकता है।
इन तेल कंपनियों ने लगाई ब्रेकसूत्रों की मानें तो इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOC), भारत पेट्रोलियम कॉर्प (BPCL), हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्प (HPCL) और मैंगलोर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड (MRPL) ने रूस से नई तेल खरीद के लिए कोई ताजा अनुबंध नहीं किया है। पिछले एक सप्ताह से इन कंपनियों की रूस से खरीद पूरी तरह ठप पड़ी है।
सरकारी स्तर पर सन्नाटाजब इस मुद्दे पर रॉयटर्स ने संबंधित कंपनियों और पेट्रोलियम मंत्रालय से संपर्क साधा, तो किसी भी पक्ष ने आधिकारिक बयान देने से परहेज किया। कंपनियों और सरकार की चुप्पी इस मामले को और पेचीदा बना रही है।
कहां से पूरा हो रहा तेल का संकट?रूस से सप्लाई में कटौती के बाद अब इन सरकारी कंपनियों ने तेल की पूर्ति के लिए अन्य स्रोतों की ओर रुख किया है। मध्य पूर्व और पश्चिमी अफ्रीका अब इनके प्रमुख विकल्प बन गए हैं। अबू धाबी से मिलने वाला मर्बन क्रूड और पश्चिम अफ्रीकी देशों का कच्चा तेल, भारतीय रिफाइनरियों की जरूरतों को पूरा कर रहे हैं।
निजी कंपनियों का रुख अलगजहां सरकारी कंपनियां रूस से दूरी बना रही हैं, वहीं रिलायंस इंडस्ट्रीज और नायरा एनर्जी जैसी निजी कंपनियां अब भी रूसी तेल की खरीद कर रही हैं। हालांकि, यह ध्यान रखना जरूरी है कि देश की कुल रिफाइनिंग क्षमता में 60% से अधिक नियंत्रण सरकारी रिफाइनरियों के पास ही है।
तेल खरीद में सरकारी और निजी कंपनियों की हिस्सेदारी2025 की पहली छमाही के आंकड़ों पर नजर डालें तो भारत ने औसतन 1.8 मिलियन बैरल प्रतिदिन रूसी तेल का आयात किया है। इसमें से लगभग 60% तेल निजी क्षेत्र की कंपनियों ने आयात किया, जबकि 40% हिस्सेदारी सरकारी कंपनियों की रही। यह संतुलन दर्शाता है कि भले ही निजी कंपनियां सक्रिय बनी हुई हैं, लेकिन कुल रिफाइनिंग क्षमता के लिहाज से सरकारी कंपनियां अधिक प्रभावशाली बनी हुई हैं।
भारत की वैश्विक स्थिति पर प्रभावभारत आज विश्व का तीसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल आयातक है। साथ ही, समुद्री मार्ग से भेजे जाने वाले रूसी तेल का सबसे बड़ा ग्राहक भी। ऐसे में भारत की सरकारी कंपनियों द्वारा रूस से तेल खरीद पर रोक लगाने का असर केवल घरेलू नहीं बल्कि वैश्विक ऊर्जा बाजार पर भी पड़ सकता है। यह बदलाव न केवल कूटनीतिक समीकरणों को प्रभावित करेगा, बल्कि वैश्विक तेल आपूर्ति शृंखला पर भी असर डालेगा।