भारतीय रेलवे ने सुरक्षा में बढ़ाया कदम, 738 किमी रूट पर कवच 4.0 की कमीशनिंग पूरी

भारतीय रेलवे ने स्वदेशी तकनीक से विकसित ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन (ATP) प्रणाली कवच 4.0 को 738 रूट किलोमीटर पर सफलतापूर्वक लागू कर दिया है। यह कमीशनिंग पलवल–मथुरा–नागदा सेक्शन (633 किमी) और दिल्ली–मुंबई मार्ग व दिल्ली–हावड़ा मार्ग के हावड़ा–बर्दवान सेक्शन (105 किमी) में पूरी की गई।

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने 5 दिसंबर, 2025 को राज्यसभा में बताया कि अब तक कवच प्रणाली का ट्रैकसाइड कार्य 15,512 रूट किमी पर हो चुका है। इसमें गोल्डन क्वाड्रिलेटरल, गोल्डन डायगोनल, हाई-डेन्सिटी नेटवर्क और अन्य महत्वपूर्ण रेल मार्ग शामिल हैं।

कवच 4.0 की विशेषताएं

कवच प्रणाली ट्रेन की स्पीड लिमिट का पालन सुनिश्चित करती है और लोको पायलट द्वारा ब्रेक न लगाने की स्थिति में भी ऑटोमैटिक ब्रेक लगा देती है। खराब मौसम में भी यह सुरक्षित संचालन में मददगार साबित होती है। नया कवच 4.0 संस्करण कई उन्नत फीचर्स के साथ आया है, जिनमें शामिल हैं:

हाई लोकेशन सटीकता

बड़े यार्ड में सिग्नल की जानकारी का OFC बेस्ड स्टेशन-टू-स्टेशन इंटरफेस

इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम से सीधे एकीकरण

कवच प्रणाली का इतिहास

कवच का पहला फील्ड ट्रायल फरवरी 2016 में शुरू हुआ। 2018–19 में स्वतंत्र सुरक्षा मूल्यांकन के बाद तीन कंपनियों को कवच संस्करण 3.2 सप्लाई करने की मंजूरी मिली। जुलाई 2020 में इसे राष्ट्रीय ATP प्रणाली के रूप में अपनाया गया। साउथ सेंट्रल रेलवे पर 1,465 किमी में 3.2 संस्करण की तैनाती के अनुभवों के आधार पर RDSO ने 16 जुलाई, 2024 को कवच 4.0 को मंजूरी दी।

दिल्ली–मुंबई और दिल्ली–हावड़ा कॉरिडोर में आगे बढ़ रही तैनाती

अब पूरे देश के रेलवे नेटवर्क में कवच प्रणाली का विस्तार जारी है। दिल्ली–मुंबई और दिल्ली–हावड़ा कॉरिडोर के बाकी हिस्सों में भी कवच 4.0 की तैनाती जारी है। इसके अलावा, 9,069 अतिरिक्त लोकोमोटिव पर कवच उपकरण लगाने के लिए टेंडर भी जारी किए जा चुके हैं।

कवच 4.0 की तैनाती से न केवल सुरक्षा में सुधार होगा, बल्कि ट्रेन संचालन में देरी और हादसों की संभावना भी काफी हद तक कम होगी। यह कदम भारतीय रेलवे के सुरक्षा मानकों को वैश्विक स्तर पर और मजबूत बनाता है।