हर रोज आपके पास विकल्प है कि आप डर कर जीएं या फिर खुल कर जीएं। नए सपने देखने और उन्हें पूरा करने की दिशा में काम करने की बजाय हम हर रोज किसी ना किसी डर के साएं में जीते रहते हैं और अपनी खुशियों का गला घोंटतें रहते हैं। आप चाहें तो अपने हर डर को अपनी खुशी में बदल सकती हैं।
बाधाएं और समस्याएं तो उपहार हैंअपनी जिंदगी में आने वाली हर मुश्किल को आप कैसे देखती हैं? आपको हर बाधा, कठिन परिस्थिति और समस्या को लकर अपना नजरिया बदलना होगा। हर मुश्किल को ईश्वर की ओर से दिया गया उपहार मानना शुरू कर दीजिए। ऐसा मानिए कि ये वो अवसर है, जिनसे आप अपनी जिंदगी में आगे बढने के सबक सीखती हैं। जैसे ही कोई मुश्किल आए, उससे बाहर निकलने का रास्ता खोजना शुरू कर दीजिए। आपका सारा डर गायब हो जाएगा।
सोच बदलिए, दुनिया बदल जाएगीआप जानती हैं कि डर को कौन पैदा करता है? आपके विचार। आपके विचार आपके अंदर ऐसी भावनाएं पैदा करते हैं और फिर आप उसी के मुताबिक काम करने लग जाती हैं। जब भी हम डर के बारे में सोचते हैं, तो इतने नकारात्मक हो जाते हैं कि हमें लगने लगता है कि अब कुछ होगा ही नहीं। इसलिए अगर अपने डर से छुटकारा पाना है, तो सबसे पहले अपनी सोच बदलिए।
हर पल को जीएंजब भी हम अपने सारे प्रयास और ऊर्जा लगाते हैं तो हमारे ध्यान आखिरी परिणाम पर होता है और हम यही सोचते हैं कि इतनी मेहनत का क्या नतीजा निकलने वाला है। क्यों ना परिणाम पर फोकस करने की बजाए आप उस परिस्थिति पर फोकस करें, जो आपके सामने आई है। खुद को क्या हासिल होगा, इसकी बजाए यह सोचें कि आप दूसरों को क्या दे सकती है। आपको अपनी जिंदगी मुक्कमल लगने लगेगी और आपको लगेगा आप अपनी जिंदगी का हर पल खुलकर जी रही हैं।
जो आज है बस, वही आपका है--जिंदगी का जो पल आप जी रहे हैं वह आप का है, उसे पूर्ण रूप से पूरी शिद्दत के साथ जिएं। वर्तमान स्थिति को दर्दनाक व दुखदायी मान कर उस से मुंह न मोड़ें। जिंदगी के जीने का जज्बा न छोड़े। भविष्य के बारे में ना सोचें।
हर हाल में रहें खुशयह मानवीय स्वभाव है कि जो उस के पास होता है उसे उस की कद्र नहीं होती, जब वह पीछे छूट जाता है तब उस की कद्र होती है। उस की कमी का एहसास होता है। यह बात आम जीवन में पति, बच्चे, जौब, रिश्ते, घर, गाड़ी, सभी पर लागू होती है। जो विवाहित है वह अपने रिश्ते की कद्र नहीं करता। यह कोई नहीं जानता कि भविष्य में क्या होगा,क्या पता वह वर्तमान से अधिक भयावह हो। इसलिए वर्तमान को अपनी पूंजी मानें, उसे संवारें क्योंकि अगर वर्तमान संवर गया तो वह सुखद अतीत होगा।