इस तरह बचाए लॉकडाउन में कैद बच्चों को चिड़चिड़ा होने से

पूरा देश लॉकडाउन है, संक्रमण से खुद को और दूसरों को बचाने के लिए सभी अपने-अपने घरों में हैं। क्वारंटाइन की इस स्थिति में बच्चों को संभालना एक चुनौती है क्योंकि वे घर में बोर होने लगते हैं। बड़े लोग इस अनचाही लेकिन जिंदगी के लिए जरूरी कैद से ऊबने लगे हैं लेकिन जैसे तैसे समय बिता ही रहे हैं लेकिन सबसे ज्यालदा परेशान बच्चेग हैं। स्कूगल बंद, पार्क बंद, साइकिलिंग बंद, दोस्तोंे के साथ समय बिताना बंद, बाहर का खाना बंद जैसी बंदिशें बहुत से बच्चों को तनाव का शिकार बनाती जा रही हैं। धीरे धीरे बच्चोंह के व्यंवहार में बदलाव भी हो रहा है। पैरेंट्स के लिए अब मुश्किल होने लगा है कि कैसे बच्चेत को चिड़चिड़ा होने से बचाएं। आइये जानें।

हॉलीडे मूड में न रहें

क्वारंटाइन के समय सुबह की दिनचर्या आम दिनों की तरह रखना जरूरी है। तय समय पर उठे, नहाएं, बच्चों को तैयार करें और नाश्ता दें। इससे बच्चों को सामान्य लगेगा और उनके मन में मनोवैज्ञानिक असर कम होगा। दिनभर के खाने का समय भी नियत रखें ताकि बच्चों की सेहत पर असर न पड़े।

बच्चे और उसके कमरे को रखें साफ -सुथरा

अपने घर को स्वच्छ रखें। अगर समय हो तो सुबह-शाम पूरे परिसर को कीटाणुनाशक से सफाई करते रहें। उनके खिलौन भी कीटाणुनाशक से साफ करें। समय के दौरान बच्चे को भावनात्मक समर्थन देना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सीधे उसके मानसिक स्थिति पर प्रभाव डालता है और बच्चों में एंजायटी एवं डिप्रेशन जैसी समस्या पैदा कर सकता है।

ज्यारदा देर तक हाथों में ना रहे गैजेट्स

बड़ों की तरह बच्चे भी तनाव महसूस कर रहे होंगे और अपने डिजिटल गैजेट्स में व्यस्त होंगे। वे पहले की तुलना में ज्यादा ऑनलाइन होंगे। अभी की स्थिति में बहुत-सी चीजें ऐसी हैं जो आम दिनों की तुलना में अनियंत्रित हैं, लेकिन फिर भी कुछ बातें अब भी नियंत्रण में रखी जा सकती हैं। हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि बच्चों की नींद अच्छी हो। बच्चोंा के सोने वाले कमरे में कोई डिवाइस या गैजेट नहीं होना चाहिए। इसके अलावा बच्चों को अच्छा खाने और एक्सरसाइज करने के लिए भी प्रोत्साहित करना चाहिए।

बच्चों को ध्यान से सुनें


हमउम्र संग घूमन वाले बच्चे आजकल घर में हैं, ये समय उनके लिए बहुत नया और असामान्य होगा। उनके मन में कई तरह के सवाल आएंगे इसलिए जरूरी है कि उनकी हर बात को ध्यान से सुना जाए और हर बात का जवाब दिया जाए। मांओं को बच्चे ज्यादा परेशान करते हैं, पर इस वक्त झिड़कने की गलती न करें। उनके सामने ज्यादा खबरें न पढ़ें, टीवी देखने का समय भी तय कर लें