ग़ुस्सैल पार्टनर का साथ दे समझदारी से, रिश्तों में नहीं आएगी कटुता

ग़ुस्सा आना इंसानी स्वभाव का हिस्सा है। हम में से हर किसी को कभी न कभी, किसी न किसी बात पर ग़ुस्सा आता ही है। लेकिन जब यही ग़ुस्सा स्वभाव ही बन जाए, तो रिश्तों पर असर डालता है। पति-पत्नी के रिश्ते में भी कई बार ऐसा देखा गया है कि किसी एक का मिज़ाज ज़्यादा गर्म होता है, ऐसे में रिश्ते में सामंजस्य बनाए रखने के लिए दूसरे पार्टनर पर यह ज़िम्मेदारी बढ़ जाती है कि वो अपने ग़ुस्सैल पार्टनर का साथ समझदारी से निभाए।हम आपको बतायेगे कुछ ख़ास बातों के बारे में, जिससे गुस्सैल पति के साथ निभाना आसान हो जाए और आपके रिश्तों में कटुता भी न आए।

समझने की कोशिश करें

पति-पत्नी का एक-दूसरे के स्वभाव को जानना बेहद ज़रूरी है। पति हर बात पर तो गुस्सा नहीं करते होंगे, ज़ाहिर है बिना वजह कोई नहीं भड़कता। उन बातों और स्थितियों पर ग़ौर करें और उनका आकलन करें, जिनसे आपके पति को ग़ुस्सा आता है। अगर उन्हें समझ लिया जाए और ऐसी स्थिति उत्पन्न होने से बचाया जा सके, तो पति के ग़ुस्से से सामना करने से बचा जा सकता है।

अपने व्यवहार पर ध्यान दें

हो सकता है आपकी कुछ ऐसी आदतें और व्यवहार हों, जो उसे नापसंद हो। आपके लिए उन आदतों व व्यवहार को बदलना बेशक मुमकिन न हो, पर पति के सामने वे काम या बातें न ही करें, जिनसे उसके अंदर खीझ पैदा होती हो।

ग़लती मान लें

ग़लतियां सबसे होती हैं, पति चाह रहें है कि आप अपनी ग़लती मान लें, तो इसमें बुराई ही क्या है? इस तरह उन्हें भी अच्छा लगेगा और आपको भी उनके गुस्से से जल्दी छुटकारा मिल जाएगा। जब भी बात ग़लती की हो, तो अपने ईगो को एक तरफ़ रख दें। बात तुरंत संभल जाएगी।

धैर्य रखें

अपने ग़ुस्सैल पति के साथ निभाने के लिए आपको धैर्य बनाए रखना होगा। आपको कई बार इस बात की हैरानी भी होगी कि आख़िर इतनी छोटी-सी बात पर पति को ग़ुस्सा क्यों आया या वह इस तरह से रिएक्ट क्यों कर रहे है। लेकिन ऐसे में उसे रोकने या टोकने का मतलब होगा उसके ग़ुस्से को और बढ़ाना। बेहतर यही होगा कि अपना धैर्य न खोएं। हो सके तो उसके सामने से हट जाएं या दूसरे कमरे में चली जाएं।

उसकी बात ध्यान से सुनें

वह शायद इसलिए क्रोधित हो रहे हो कि कोई भी उसकी बात सुनने को तैयार नहीं है। न ऑफिस में बॉस, न घर में बच्चे और न ही आप। इस दुनिया में अनेक लोग इसी वजह से डिप्रेशन में रहते हैं कि उन्हें सुनने-समझनेवाला कोई नहीं है। जब वह गुस्से में हो, तो उनकी स्थिति व मानसिक अवस्था को समझकर ही उसकी बात सुन लें।