हर पेरेंट्स अपने बच्चे की परवरिश अच्छे से करता हैं ताकि उनका बच्चा सभ्य इंसान बन सके। लेकिन कई बार देखने को मिलता हैं कि बच्चे अजीब व्यवहार करने लगते हैं और पेरेंट्स सोचते हैं कि उनकी परवरिश में कोई कमी रह गई। जबकि ऐसा कुछ नही हैं बस आपका बच्चा एक्सप्रेसिव नहीं हैं जिसकी वजह से उसका असर आपके व्यवहार पर पड़ता हैं। ऐसे में जरूरी हैं कि अपने बच्चे को एक्सप्रेसिव बनाए ताकि वह अपनी बात रख सकें अन्यथा अपनी बात को लेकर उसे घुटन होने लगेगी और वह अजीब व्यवहार करने लगेगा। आज इस कड़ी में हम आपको कुछ टिप्स देने जा रहे हैं जिनकी मदद से आप अपने बच्चों को एक्सप्रेसिव बना सकते हैं। तो आइये जानते हैं इन तरीकों के बारे में...
शुरुआत कैसे हो?बच्चे को एक्सप्रेसिव बनाने के लिए जरूरी है कि छोटी-छोटी बातों पर ध्यान दिया जाए। बच्चे को बोलने के लिए प्रोत्साहित किया जाए। और इस प्रोत्साहित करने के लिए आपको उन बातों को भी बोलकर गाकर कहना होगा जो अक्सर यूंहीं कह दी जाती हैं। जैसे बच्चा टीवी पर कोई कविता सुन रहा है तो आप उसे गाइए और बच्चे से साथ देने के लिए कहिए। उसे कहिए कि उसे सबकुछ बोलना है, सिर्फ सुनना या लिखना नहीं है। वो बोलेगा और फिर आपसे उसी से जुड़ी दूसरी बातें भी करेगा। ये बस एक शुरुआत होगी।
आप बनिए आदर्शआपका स्वभाव भले ही शांत हो लेकिन आपको अब ज्यादा से ज्यादा बात करनी है। अपने बच्चे से खूब बातें कीजिए। उसे किसी चीज के बारे में बताइए या फिर उसके बारे में उसकी राय पूछिए। लेकिन खूब बोलिए। आप चाहें तो कार्टून कैरेक्टर के बारे में बात कर सकती हैं या फिर किसी खास खाने के बारे में भी बातें की जा सकती है। आप बच्चे से अखबार में लिखी किसी खबर पर भी चर्चा कर सकती हैं। लेकिन उसकी उम्र का ध्यान रखते हुए।
जब कहे तब पूरी हो इच्छाअक्सर मांएं बच्चे के रूटीन को लेकर इतनी पक्की होती हैं कि बच्चे को अपनी इच्छा बतानी ही नहीं होती है। अब जब आप बच्चे को एक्सप्रेसिव बनाने की कोशिश कर रही हैं तो उसके कहने का इंतजार कीजिए। उसे बताइए कि तुम्हें जो भी चाहिए पहले कहो। बिना कहे उसकी कोई इच्छा पूरी नहीं की जाएगी। इसके लिए बच्चे को टाइमटेबल दीजिए और सही समय पर अपनी बात कहने के लिए बोलिए।
भूल जाने की एक्टिंगआपको भूलने की आदत है या नहीं, लेकिन बच्चे के सामने आपको कई बार भुलक्कड़ बनना होगा। उसको दिखाना होगा कि ‘अरे आप तो भूल गईं’ फिर कोशिश कीजिए कि वो आपको बात याद दिलाए। जब वो बात आपको याद दिलाएगा तो वो बोलेगा और बोलने की आदत को थोड़ा और जोर मिलेगा। वो समय-समय पर आपको ऐसे ही बातें याद दिलाएगा और आप दोनों के बीच बातों को बढ़ावा मिलेगा। बच्चे की बोलने की आदत बनेगी। वो खुद से बात शुरू करने की कोशिश करेगा और बोलेगा। इस तरह वो खुद के दिल की बात सामने रख पाएगा।
जो करें वो बोलेंअक्सर माएं घर के काम निपटाती हैं और बिना कुछ बोलें इन्हें पूरा करती जाती हैं। लेकिन जब आपका बच्चा कम बोलने वाला है। वो एक्सप्रेसिव बिलकुल नहीं है तो आपको अपने काम भी बोलकर करने चाहिए। जैसे आप किचन में खाना बनाने जा रही हैं तो बच्चे को इस बारे में अपडेट करती रहें। जैसे मैंने सब्जी काट ली हैं, खाना खाने की तैयारी करो। फिर सब्जी बन जाए तो बताएं कि ‘देखो मैंने तुम्हारी पसंद की सब्जी बनाई है’, ‘तुम्हें जरूर पसंद आएगी।’ इस तरह की बातों से बच्चा बोलने के लिए थोड़ा खुलेगा। वो खुद भी काम करते हुए आपको अपडेट करता रहेगा और इसी बहाने आपसे बोलेगा भी।
बातों के बहानेबातों के बहाने से मतलब है जब मौका मिले बच्चे से बात करने के बहाने खोज निकालिए। जैसे बेटा पापा कहां है? या आज क्या पढ़ा? पार्क में दोस्तों के साथ आज क्या मस्ती की? इस तरह की बातें अक्सर वो वाक्य होते हैं जो ना पूछे जाएं तो भी कोई दिक्कत नहीं होती है। ये बातें सिर्फ बोलने के लिए ही बोली जाती हैं। लेकिन दो लोगों के बीच इसके साथ बात भी होने लगती है। आप और आपके बच्चे के बीच भी इससे बात होगी, फिर जब वो जवाब देगा तो वो खुद को एक्सप्रेस करेगा। लेकिन ये भी हो सकता है कि बच्चा जवाब ही न दे। ऐसे में आप खुद जवाब दें और बच्चा फिर आपसे ही बच्चा सीख लेगा।
इशारों-इशारों में बातकई बार इशारों-इशारों में की गई बातें भी कई बार लंबी बातों का जरिया बन जाती हैं। बच्चा कम बोलता है तो आप भी इशारों में बात करना शुरू कीजिए। इससे आप मतलब भर की जरूरी बातों को जगह दें। जैसे पानी पीना है? पढ़ाई कर ली?। इसके जवाब में बच्चे भी इशारे में ही बात करेंगे लेकिन खुद को एक्स्प्रेस भी करने लगेंगे। फिर धीरे-धीरे इशारे शब्दों की जगह ले लेंगे। फिर बच्चे बोलेंगे और सिर्फ रोजमर्रा की बातें ही नहीं बोलेंगे बल्कि अपने दिल का हाल भी बताएंगे।