किशोरावस्था एक ऐसा समय होता है जब बच्चों का मन जल्दी भटक जाता हैं और कई बार वे गलत रास्ते पर निकल जाते हैं। ऐसे समय में बच्चों को बुरी आदतें अपनाने में वक्त नहीं लगता हैं। बड़ों के व्यवहार को बारीकी से नोटिस करना बच्चों की खूबी होती है जिसके चलते वे गलत आदतों को जल्दी अपना लेते हैं। पेरेंट्स अपने बच्चों की शरारतों से उतने परेशान नहीं होते हैं जितने कि उनकी गलत आदतों से। बच्चे को अच्छी आदतें सिखाना, अच्छे संस्कार देना पैरेंट्स की ज़िम्मेदारी होती है। ऐसे में बच्चों को सही दिशा दिखाकर उनकी बुरी आदत को छुड़वाना जरूरी होता हैं। आज इस कड़ी में हम आपको उन तरीकों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनसे बच्चों को समझा सकते हैं...
जड़ का पता लगाएं
सबसे पहले तो यह जानने की कोशिश करें कि आपके बच्चे को वो गंदी आदत क्यों और कहां से लगी। क्या वो नर्वस होने, तनाव में होने या ज्यादा उत्साहित होने पर ऐसा करता है। अधिकतर बच्चे ऐसा महसूस होने पर दांतों को दबाना और नाखून चबाने जैसी हरकत करते हैं। पैरेंट्स को चाहिए कि बच्चे के व्यवहार को नोटिस करें, उन बातों के बारे में सोचें, जो उसे ऐसा करने के मजबूर करते हैं। एक बार समस्या जान लेने के बाद उसे दूर करने का सही तरीका अपनाएं।
अच्छे शब्दों के फायदे बताएं
गाली देने पर आप बच्चे से पूछ सकते हैं कि उसने ये भाषा कहां से सीखी है। ऐसे में बच्चे ने गाली देते हुए जिसे कॉपी किया है, बच्चों को उस शख्स के द्वारा गाली-गलौज करने के बुरे नतीजों से वाकिफ कराएं। साथ ही सही शब्द इस्तेमाल करने के फायदे भी बच्चों को बताना ना भूलें।
बच्चे को समझाने की कोशिश करें
ऐसा न सोचें कि बच्चा अपने आप इस आदत को छोड़ देगा और आपको इस मामले में कुछ करने की जरूरत नहीं है। उसे सही और गलत के बीच फर्क समझाना आपका काम है। उसे बताएं कि क्यों उसे अपनी बुरी आदत को छोड़ देना चाहिए। उसे समझाएं कि ऐसा करने से उसे क्या नुकसान हो सकता है। अगर आपके समझाने का कोई असर नहीं होता है तो आप किसी प्रोफेशनल की मदद भी ले सकते हैं।
अच्छे-बुरे में बताएं फर्क
बच्चे किसी से भी बेहद जल्दी घुल-मिल जाते हैं। इसलिए बच्चों को समय-समय पर अच्छे और बुरे लोगों में फर्क करना सिखाएं। बच्चों को बुरे लोगों के साथ रहने के नुकसान और अच्छे लोगों से दोस्ती करने के मायने समझाने की कोशिश करें। जिससे बच्चे अच्छा व्यवहार करने के लिए प्रेरित होंगे और बुरी आदतों से भी दूर रहेंगे
प्रोत्साहित करें
अगर आप अपने बच्चे को किसी बुरी आदत से दूर करना चाहते हैं तो उसे छोड़ने के लिए उसे प्रोत्साहित करना बंद न करें। जब वो इसे कंट्रोल करने की कोशिश करे तो उसकी तारीफ करें और उसे शाबाशी दें। इससे बच्चे का आत्मविश्वास बढ़ता है। छोटे बच्चों को कुछ भी अच्छा करने पर स्टार या टॉय दे सकते हैं। इससे बच्चों में कुछ अच्छा करने की लालसा आती है।
सजा न दें
किसी भी आदत को छुड़वाने के लिए सजा देना या बच्चे को शर्मिंदा महसूस करवाना सही नहीं है। इसका उल्टा असर पड सकता है और बच्चा डर और तनाव के कारण और ज्यादा उस आदत में उलझ सकता है। बच्चों को कोई भी बात समझाने के लिए डांट डपट से ज्यादा प्यार का तरीका अपनाना चाहिए। जिन बच्चों के साथ मारपीट होती है, उनमें अक्सर गुस्सा अधिक देखा जाता है। अगर छोटी-छोटी बातों पर बच्चे की पिटाई करते हैं तो इससे बच्चे के मन में गुस्सा पैदा होने लगता है। ये गुस्सा किसी भी नकारात्मक तरीके से बाहर आ सकता है।
जल्दबाजी न करें
ये सोचने की जरूरत नहीं है कि कोई आदत एक दिन में ही चली जाएगी। इसमें समय लगता है और बच्चे से रातों रात सुधरने की उम्मीद न करें। अगर आप शांति और धैर्य से काम लेंगी तो बच्चे पर कम दबाव और तनाव पड़ेगा। एक बार में एक ही आदत सुधारने की कोशिश करें।
इस तरह बदलें गुस्से की आदत
बच्चे छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा करते हैं और अगर उनके मन का ना हो तो वे जिद करने लगते हैं। ऐसे में वे अपनी मनपसंद चीजों को करवाने में सफल हो जाते हैं। लेकिन ये कब आदत बन जाती है पता ही नहीं चलता। माता-पिता बचपन में ही बच्चों की हर बात को ना मानें। खासकर वो बातें जिसके लिए वो जिद कर रहा है। कभी-कभी ऐसा करना सही है। लेकिन हमेशा ऐसा करने से उसकी आधत बिगड़ सकती है और आगे चलकर वो हर बात के लिए जिद और गुस्से का सहारा लेगा। इसके अलावा बच्चों को समझाना भी जरूरी है कि हर बात पर गुस्सा या जिद करनी स