बचपन में सभी बच्चे काफी मासूम और दुनियादारी से पूरी तरह अंजान होते हैं। लेकिन यही उचित समय हैं जब बच्चों को इन चीजों से अवगत कराया जाए ताकि वे इसके प्रति समझ विकसित करते हुए उचित निर्णय ले सकें। एक शोध में यह पता चला है कि बच्चों में विचार करने और वयस्कों की तरह नैतिक फैसले लेने की क्षमता होती है। कई बार बचपन में माता-पिता प्यार दुलार में बच्चों को निर्णय लेने के प्रति सीख नहीं देते हैं जिसकी वजह से बच्चों को हर फैसला लेने के लिए अपने पेरेंट्स पर निर्भर रहना पड़ता हैं। ऐसे में पेरेंट्स को चाहिए कि बच्चों में फैसला लेने की क्षमता विकसित की जाए और यह कैसा हो सकता है, आइये जानते हैं इसके बारे में...
कॉन्फीडेंस बढ़ाएं
बच्चों के अंदर डिसीजन लेने की क्षमता का विकास करने के लिए सबसे पहले उनके आत्म विश्वास को मजबूत करने की जरूरत होती है। ऐसे में घर के हर नए कामों में बच्चों की राय लेने की कोशिश करें। साथ ही बच्चों की इच्छाओं को महत्व दें। जिससे बच्चे का कॉन्फीडेंस बढ़ने लगेगा।
अपने कंफर्ट जोन से बाहर निकलेंहर बच्चा अपना एक कंफर्ट जोन बनाता है, जिसमें वह आराम से अपना काम करता रहता है। ऐसे बच्चा को अगर कोई नया काम सौंप दिया जाए तो वे घबरा जाते हैं और करने से मना कर देते हैं। इसलिए हमेशा उन्हें चुनौतियां को स्वीकार करना सिखाएं और आगे बढ़ें। जैसे ही बच्चे कुछ नया करना शुरू करेंगे आपके अंदर आत्मविश्वास दिखने लगेगा।
बच्चों से करें दोस्ती
कुछ पैरेंट्स बच्चों के साथ काफी सख्त व्यवहार करते हैं। जिसके चलते बच्चे पैरेंट्स के आगे खुलकर बात करने से कतराने लगते हैं। इसलिए बच्चों के साथ दोस्तों जैसा व्यवहार रखने की कोशिश करें। जिससे बच्चे आपसे खुलकर बातें कर सकेंगे और आपको भी उन्हें सही-गलत की पहचान कराने में ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ेगी।
सवाल करेंआपके लिए अपने बच्चों से सवाल करना इसलिए भी जरूरी हो जाता है क्योंकि इससे आपके बच्चे में बोलने और सोचने-समझने की झमता में वृद्धि होती है। ये एक तरीके का आपके बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य का व्यायाम है जो उन्हें सोचने के लिए एक्टिव करने की कोशिश करता है। आप उन्हें किसी कहानी वाली किताब को पढ़ने के लिए दें और फिर जब वो पढ़ लें तो आप उनसे उस कहानी के बारे में सवाल करें। ये बच्चों की सोच और समझ को बेहतर बनाने के साथ उनके स्तर को जांचने का भी एक बेहतर तरीका है।
प्यार से समझाएंबच्चों को आत्म निर्भर बनाने के लिए उन्हें बचपन से ही अपने छोटे-छोटे फैसले खुद करने दें। जिससे बच्चे की डिसीजन मेकिंग स्किल्स डेवलप होंगी। वहीं बच्चों के गलत फैसले पर उन्हें डांटने और फटकराने के बजाए प्यार से समझाने की कोशिश करें। जिससे बच्चे भविष्य में उस गलती को फिर नहीं दोहराएंगे।
बच्चों को करें प्रोत्साहितबेशक बच्चों को सही फैसले लेने और हर काम बेस्ट करने की सीख देना जरूरी होता है। मगर जरूरी नहीं है कि बच्चा हर काम परफेक्शन के साथ ही करें। बच्चों से भी गलतियां होना स्वभाविक होता है। ऐसे में बच्चों को उनकी गलतियां गिनाने के बजाए उन्हें उनकी हार स्वीकार करके जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करें।
अखबार पढ़ने की आदत डालेंअखबार पढ़ने की आदत बच्चे, बड़े या बुजुर्ग हर किसी के लिए अच्छे होते हैं। इससे बच्चों को दुनिया में क्या चल रहा है, कैसे चल रहा है और कई बड़ी खबर के बारे में जानकारी मिलती है। इसके साथ ही उनके बोलने और पढ़ने की आदत भी बेहतर बनती है। इसके अलावा अगर आपका बच्चा रोजाना अखबार को पढ़ता है तो वो अखबार में पढ़ने वाली सभी चीजों के बार में सोचने की कोशिश करता है और उन्हें अच्छी तरह से समझता है।