बचपन से कराएं बच्चों को अपनी जिम्मेदारी का अहसास, जरूर सिखाएं ये चीजें

बच्चों को उनके बचपन से ही सही सीख दी जाए तो आने वाले समय में वे एक जिम्मेदार व्यक्ति बनते हैं जो कि हर माता-पिता का सपना होता है। हर माता-पिता को अपने बच्चों से प्यार होता है लेकिन इसी के साथ ही उनकी सबसे बड़ी जिम्मेदारी होती है अपने बच्चों का पालन पोषण और परवरिश अच्छे से करना। सिर्फ बच्चों को प्यार करने से उनका भविष्य नहीं संवरता। बच्चों में अच्छे नैतिक मूल्य उनकी परवरिश पर निर्भर करते हैं। ऐसे में आज इस कड़ी में हम आपको कुछ ऐसी चीजों के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके बारे में बच्चों को जरूर सिखाया जाना चाहिए ताकि उन्हें अपनी जिम्मेदारी का अहसास हो सके। तो आइये जानते हैं पेरेंट्स को अपने बच्चों को क्या जरूर सिखाना चाहिए...

अनुशासन सिखाएं

बच्चे हों या बड़े, जीवन में अनुशासन जरूरी है। बड़े होने पर वह एक बेहतर और स्वस्थ जीवन जिएं, इस के लिए बचपन से उन्हें अनुशासन में रहना सिखाएं। रोज सुबह समय पर उठना, फिर पूरे दिन के कामों का शेड्यूल तैयार करना और उन सभी कामों को समय पर पूरा करने की सीख अभी से बच्चों को दें। इससे बच्चों को समय और हर चीज की कीमत का पता होता है।

ख़ुद जागना सिखाएं

सुबह का वक़्त ही ऐसा होता है जब बच्चे उठने में आलस करते हैं और उन्हें बार-बार आवाज़ लगाकर या माता-पिता को ख़ुद जाकर उठाना पड़ता है। अधिकतर बच्चे स्कूल जाने के लिए माता-पिता पर ही निर्भर होते हैं। इसकी वजह बचपन से डाली गई आदत है। यदि बच्चा 13-14 साल का है तो उसे ख़ुद जागने की आदत डलवाएं। वहीं अगर स्कूल के लिए तैयार होने की बात करें तो अधिकतर बच्चों को अभिभावक ही तैयार करते हैं। उन्हें होश सम्भालने पर ख़ुद अलार्म लगाने और ख़ुद तैयार होना भी सिखाएं।

गलतियों से सबक सीखना व धैर्य रखना सिखाएं

जिम्मेदारी और आत्मनिर्भरता का यह मतलब कतई नहीं है कि उनसे गलतियां नहीं होतीं। चाहे कोई बड़ा हो या छोटा गलती किसी से भी हो सकती है। अगर बच्चों से कोई गलती हो जाए या किसी कार्य को लेकर बार- बार असफल हो रहा हो तो उसे वही कार्य हिम्मत और धैर्य का दामन थाम कर तब तक करने के लिए प्रोत्साहित करें जब तक कि उसे कामयाबी न मिल जाए। यकीन मानिए जैसे ही बच्चे को लगेगा कि उसनेे कर दिखाया उस की हिम्मत और आत्मविश्वास कई गुणा निखर कर सामने आएंगे।


घर के कामों में मदद करना सिखा
एं

अक्सर माता-पिता सोचते हैं कि बच्चों को पूरा ध्यान पढ़ाई में हो, इसके लिए वह उन से किसी तरह का कोई काम भी करने को नहीं कहते। लेकिन ऐसा न करें। बच्चों को घर के कामों में मदद करने को कहें। उसे घर के काम भी सिखाएं। बेटा हो या बेटी, दोनों को घर की साफ सफाई करना, खुद का कमरा और चीजें व्यवस्थित करनी आनी चाहिए। बच्चे हमेशा आपके साथ नहीं रहेंगे। बड़े होकर पढ़ाई या नौकरी के लिए हो सकता हैं उन्हें आपसे दूर जाना पड़े। ऐसे में उन्हें घर के बाहर इन कामों में मशक्कत नहीं करनी पड़ेगी।

घड़ी देखना सिखाएं

बेहतर भविष्य के लिए समय की कद्र होना जरूरी है। बच्चे हर काम को सही समय पर करें, इसके लिए उन्हें घड़ी देखना आनी चाहिए। बच्चों को घड़ी देखना सिखाएं और समय के मुताबिक चलना भी सिखाएं।

निर्णय स्वयं लेना सिखाएं

पैरंट्स बच्चों में बचपन से ही अपने निर्णय स्वयं लेने की आदत डालें जैसे कौन सा कार्य उन्हें पहले करना है और कौन सा बाद में। यदि कहीं बाहर घूमने जा रहे हैं तो उन्हें कौन से कपड़े लेकर जाने हैं, कौन से जूते लेकर जाने हैं स्वयं डिसाइड करने दें और इस बात के लिए बच्चों को प्रोत्साहित ज़रूर करें इससे बड़े होकर वे किसी भी तरह का निर्णय लेने में संकोच नहीं करेंगे।

गलत और सही की पहचान सिखाएं

माता-पिता को अपने बच्चे को सही और गलत की पहचान करना सिखाना चाहिए। क्या गलत होता है और क्या सही होता है। गलत करने का क्या अंजाम हो सकता है , ये सब अगर बच्चों को पहले से पता होगा तो वह जाने-अनजाने गलत काम करने से बचेंगे।

साफ़-सफ़ाई का सबक सिखाएं

हर छोटे-मोटे काम की तरह ही बच्चों में कपड़े धोने की आदत भी डालना चाहिए। बच्चे जब छोटे हों तभी से उन्हें गंदे कपड़े अलग करने की आदत डलवाएं। घर में गंदे कपड़ों के लिए टब, बाल्टी या वॉशिंग मशीन हो तो उसमें डालने के लिए कहें। ऐसे में बच्चे शुरू से अपने कपड़ों के लिए ज़िम्मेदार बनेंगे। बड़े होने पर उन्हें अपने कपड़ों को ख़ुद धोने के लिए कहें। छोटे बच्चों को अपने झूठे बर्तन सिंक में रखने और खाना न छोड़ने की सीख दें। यदि बच्चे बड़े हैं तो कभी-कभी उन्हें अपने झूठे बर्तन ख़ुद साफ़ करने के लिए भी कहें। कुल मिलाकर बात यह है कि बच्चों को हर काम किया कराया मिल जाएगा तो वे ज़िम्मेदारी उठाना और मेहनत करना दोनों से दूर भागेंगे।