चाहते हैं स्कूल में बच्चे दिखाएं खुद को कॉन्फिडेंट, पहले इन 5 तरीकों से घर पर दें प्राइमरी एजुकेशन

फरवरी का महीना जारी हैं और कुछ समय बाद ही नया एजुकेशन सेशन शुरू होने वाला हैं जिसमें कई बच्चे पहली बार स्कूल जाना शुरू करेंगे। बच्चों की शिक्षा के लिए स्कूल बहुत जरूरी हैं जो उन्हें मानसिक और शारीरिक तौर से परिपक्व बनाने का काम करता हैं। हर पेरेंट्स चाहते हैं कि उनका बच्चा स्कूल में खुद को कॉन्फिडेंट दिखा पाए। ऐसे में आपको बच्चों को स्कूल भेजने से पहले प्राइमरी एजुकेशन देने की जरूरत होती हैं ताकि बच्चों को स्कूल में नया ना लगे और वे माहौल में जल्दी ढल जाए। आज इस कड़ी में हम आपको बताने जा रहे हैं कि किस तरह बच्चों को स्कूल भेजने से पहले घर पर प्राइमरी एजुकेशन दी जाए। तो आइये जानते हैं इनके बारे में...

खेल से करें शुरुआत

बच्चे को घर से पढ़ाने के लिए आपको खेल से शुरूआत करनी चाहिए। खेल के जरिए बच्चे काफी चीजें सीखते हैं जो उनके दिमाग में फिट हो जाता है। आप बच्चे को सीखाने या पढ़ाने के लिए इलेक्ट्रोनिक गैजेट्स का इस्तेमाल सीमित समय के लिए करें, हफ्ते में एक दिन आप बच्चे को टीवी या मोबाइल के जरिए पढ़ा सकते हैं पर रोज के लिए ये आदत ठीक नहीं है, इससे बच्चें की आंखों पर जोर पढ़ सकता है। आप बच्चे को खेल-खेल में गिनती और अक्षर का ज्ञान दे सकते हैं, इससे बच्चे को अक्षर समझने और नंबर की पहचान करने में परेशानी नहीं होगी।

बच्चे को एक्टिविटीज करवाएं

आपको बच्चे को अलग-अलग तरह की एक्टिविटीज करवानी चाहिए। आप बच्चे को चित्र की मदद से बहुत सी चीजों का ज्ञान दे सकते हैं, कलरफुल चित्र बच्चों को आकर्षित करते हैं और बच्चे उनके जरिए बहुत कुछ सीख सकते हैं। बच्चे छोटी उम्र में थ्योरी से ज्यादा प्रैक्टिकल नजर आने वाली चीजों को जल्दी समझ लेते हैं इसलिए आपको बच्चों को चीजों का ज्ञान देने के लिए गाने, एक्शन या चित्र का सहारा लेना चाहिए।

बच्चों की जिज्ञासा शांत करें

आपको बच्चे के दिमााग में आ रहे सवालों से परेशान नहीं होना है, वो सवाल अजीब भी हो सकते हैं पर आपको बच्चे की जिज्ञासा शांत करनी चाहिए। आपको कभी बच्चे के सवालों से इरिटेट नहीं होना चाहिए। अगर बच्चे आपसे सवाल पूछने में झिझक महसूस कर रहे हैं तो हो उनसे खुलकर बात करें और उनके सवालों को ठीक से समझकर जवाब दें।

समय सीमा तय करें

घर पर बच्चे की प्राइमरी शिक्षा शुरू करने के लिए आपको पहले समय सीमा बांधनी होगी, बच्चे को खेल के समय खेलने दें, उसे जबरन बिठाकर पढ़ाने की कोशिश न करें। आपको इस बात का ध्यान रखना है हर समय बच्चे को पढ़ाई के लिए फोर्स न करें, इतने छोटे लिखने और पढ़ने में सक्षम नहीं होते हैं और बहुत देर तक उनके लिए पेंसिल या कलर पकड़ना भी मुश्किल होता है। इसलिए आपको गैप देना जरूरी है। हर बच्चे के सीखने की क्षमता अलग होती है इसलिए अगर बच्चा पढ़ने में सहज महसूस नहीं कर रहा है या उसका मन नहीं है तो आप बच्चे को डांटे या मारें नहीं, इससे बच्चे जिद्दी हो जाते हैं। उनके मन का सम्मान करें और कुछ समय बाद दोबारा ट्राय करें।

बच्चे को घुमाने ले जाएं

आपको बच्चे को किताबी ज्ञान देने के बजाय घुमाने लेकर जाना चाहिए, किंडर गार्डन एक ऐसा समय होता है जब बच्चे अपने आसपास की चीजों को देखकर सीखते हैं और नई चीजों को अपने व्यवहार में उतार लेते हैं। बच्चों की ऑब्सर्वेशन को बेहतर करने के लिए आपको उन्हें घुमाने लेकर जाना चाहिए आप बच्चे को जू, गॉर्डन, म्यूजियम आदि जगहों पर ले जा सकते हैं।