वर्तमान समय की जीवनशैली में आपको एकल परिवार बहुत देखने को मिलेंगे जिसमें घर में माता-पिता और बच्चे के अलावा कोई नहीं होता हैं और दादा-दादी अपने गांव के घरों में रह रहे हैं। पहले के समय में संयुक्त परिवार ज्यादा देखने को मिलते थे जहां दादा-दादी का साथ बच्चों को मिलता था। वह समय था जब घर के बड़े बुजुर्गों से घर की शान होती थी। बच्चों को संस्कार और एक अच्छी परवरिश दोनों साथ में मिलते थे। बच्चों के लिए उनके ग्रैंड पैरेंट्स का साथ हर तरह से फायदेमंद होता हैं। आज इस कड़ी में हम आपको बताने जा रहे हैं कि किस तरह ग्रैंड पैरेंट्स का साथ बच्चों को डेवलपमेंट में एक अहम भूमिका निभाता है। तो आइये जानते हैं इसके बारे में...
प्यार और दुलार
मूल से ज़्यादा ब्याज़ प्यारा, ये कहावत शायद आपने सुनी होगी और यही बात यहां भी लागू होती है। ग्रैंड पेरेंट्स को अपने नाती-पोतों से एक विशेष लगाव होता है। अपने बच्चों से भी बढ़कर और ऐसे में घर में बना रहता एक खुशनुमा माहौल। वो ना तो सिर्फ बच्चों को अच्छे संस्कार देते हैं बल्कि उनकी गलतियों में भी उन्हें प्यार से समझाते हैं। वक्तके साथ साथ यह बॉन्डिंग, यह रिश्ता होता जाता है।
बच्चों की ग्रोथ के लिए योगदान
आजकल ज्यादातर पैरेंट्स वर्किंग ही होते हैं ऐसे में वो बच्चों को पूरा समय नहीं दे पाते हैं। घर में ग्रैंड पैरेंट्स की उपस्थिति बच्चों को कभी भी अकेलेपन का एहसास नहीं होने देती जो कि उनकी ग्रोथ के लिए बहुत जरूरी है। घर के बड़े बच्चों की परवरिश अपने अनुभवों के हिसाब से बेस्ट तरीक ऐसे करते हैं और बछ्कों को पूर्ण रूप से ग्रैंड पैरेंट्स का सानिध्य भी प्राप्त होता है।
दोस्त भी, मेंटर भी
वर्किंग माता पिता हैं तो उन्हें बच्चे के साथ बैठने का कम ही समय मिलता है। बच्चे भी कई बार अपनी बातें पेरेंट्स से करने से डरते हैं, हिचकिचाते हैं। लेकिन जब आस पास ग्रैंडपेरेंट्स होते हैं तो उनमें एक कॉन्फिडेंस आता है कि है कि कोई है जिससे वो अपनी बात कह सकते हैं, जो शायद उन्हें समझे भी और सबसे बड़ी बात किसी भी बाहरी इंसान से कोई भी गलत सलाह लेने से वो बच जाते हैं क्योंकि अपने तजुर्बे से और बच्चे के हित में ध्यान में रखकर दादा-दादी प्यार और दुलार के साथ सही सलाह भी देते हैं।
प्राचीन घटनाओं का ज्ञान कराते हैं
वर्किंग पैरेंट्स जब बच्चों को ज्यादा सामय ही नहीं दे पाते तो ऐसे में ग्रैंड पैरेंट्स ही उन्हें पहले की कई घटनाओं से रूबरू करवाते हैं यहां तक कि माइथोलॉजी के बारे में भी बच्चों को उन्ही से पता चलता है। प्राचीन इतिहास की पूरी जानकारी बच्चों के दादा-दाई या नाना -नानी ही उन्हें देते हैं जो कि बच्चों के विकास के लिए और जनरल नॉलेज के लिए बहुत जरूरी है।
पैरेंट्स के बचपन का आइना दिखाते हैं
बच्चों के लिए सबसे ज्यादा खुशनुमा एहसास होता है अपने पैरेंट्स के बचपन के बारे में जान पाना और इन्हीं बातों को बच्चों के सामने उनके ग्रैंड पैरेंट्स लाते हैं जिससे बच्चों को प्रेरणा भी मिलती है।
पारिवारिक संतुलन बनाते हैं
यह सच है कि परिवार में ग्रैंड पेरेंट्स की उपस्थिति परिवार के सभी सदस्यों के बीच सामंजस्य और संतुलन कायम करती है। ग्रैंड पैरेंट्स ज्ञान से परिपूर्ण होते हैं और बच्चों को दिनभर कुछ न कुछ नॉलेज से भरपूर चीज़ें ही सिखाते हैं। वे बच्चों के साथ दोस्त बन कर उनकी परेशानियों को भी सॉल्व कर देते हैं। ऐसे में बच्चे अपने पेरेंट्स से किसी तरह की शिकायत नहीं करते और पेरेंट्स भी टेंशन फ्री रहते हैं। जिससे घर का माहौल अच्छा रहता है।