बेटियों की परवरिश के दौरान रखें इन बातों का ध्यान, बनेगी साहसी और निडर

किसी भी पेरेंट्स के लिए उनके बच्चे उनकी सबसे बड़ी पूंजी होते हैं जिन्हें वे आत्मनिर्भर और सफल देखना चाहते हैं। और जब बात बेटियों की हो तो क्या कहने। बेटियां पेरेंट्स की आंखों का तारा होती हैं, खासतौर से पिता की। सभी पेरेंट्स चाहते हैं कि उनकी बेटी साहसी और निडर रहते हुए आत्म सम्मान के साथ अपना जीवन जिएं। इसके लिए जरूरी हैं कि आप अपनी परवरिश के दौरान कुछ बातों का ध्यान रखें जिनसे उनमे बचपन से ही एक आत्मविश्वास जाग्रत हो जिससे वह दुनिया का सामना कर सके और अपनी जिंदगी बेहतर तरीके से जी सके। तो आइये जानते हैं पेरेंट्स द्वारा ध्यान रखी जाने वाली उन बातों के बारे में...

उनकी प्रशंसा करें

अपनी बेटी की प्रशंसा करें। इससे उन्हें फायदा होगा। भले ही उन्होंने बहुत छोटा सा ही काम क्यों न किया हो, फिर भी आप उनकी प्रशंसा करें। इससे उनका आत्म सम्मान बढ़ेगा। उन्हें कहें कि उन्हें बहुत ही अच्छा काम किया है। उन्हें ज्यादा से ज्यादा काम दें और उन्हें एहसास दिलाएं कि वह कर सकती है। उन्हें बताएं कि वह अपनी तरह से चीजों को संभाल सकती है। कई बार बेटी की परवरिश करना भार वाला काम हो जाता है। बावजूद इसके आप उनपर पूरा ध्यान दें।

बेटी होने के बाद बेटा करने की जिद

21 वीं सदी होने पर लोग आज भी लड़का और लड़की में भेदभाव करते हैं। ऐसे में अगर किसी के घर पहली बेटी जाए तो उसके बाद परिवार वाले महिला पर बेटा पैदा करने क लिए प्रेशर डालने लगते हैं। मगर ऐसा करने से बेटी पर बुरा असर पड़ता है। इसलिए कभी भी बेटी के सामने बेटा-बेटा करने की गलती नहीं करनी चाहिए। दूसरा बच्चा करना गलत नहीं है, मगर एक बेटे को अधिक महत्व देने से घर की बेटी पर नकारात्मक असर डालने का काम कर सकता है।

बेटियों को सिर्फ किचन का काम सिखाना

कई घरों में बेटियों को शुरु से ही रसोई का काम सिखाया जाता है। भले ही कुकिंग सिखना गलत नहीं हैं। मगर सिर्फ बेटी को किचन का काम आना चाहिए ऐसी सोच गलत है। आप अपने बेटे को भी किचन का काम सिखा सकते हैं। आज के जमाने में लड़का- लड़की दोनों ही वर्किंग होते हैं। ऐसे में अगर दोनों को घर व किचन का काम आता होगा तो इससे उनकी गृहस्थी अच्छे से चल सकती हैं। इसलिए बच्चों में फर्क किए बिना दोनों को ही घर का काम सिखाएं।

उन्हें यह पता चले कि आप उनसे प्यार करते है

आपकी बेटी को आपके प्यार का एहसास होना चाहिए। उन्हें इस बात का एहसास होना चाहिए कि आप उन्हें मुश्किल समय में भी प्यार करेंगे और तनाव के समय में उनका साथ नहीं छोड़ेंगे। उनके प्रति अपना प्यार जताएं और उन्हें इस बात का एहसास करने दें। इससे उनके अंदर के आत्म सम्मान में वृद्धि होगी। कई बार बच्चों में आत्म सम्मान काफी कम होता है। यह मां-बाप कि जिम्मेदारी है कि इसे बढ़ाने पर काम करे, ताकि वह दुनिया की चुनौतियों का सामना कर सके। अगर आप उन्हें बड़ी चुनौती के लिए तैयार कर रहे हैं तो इसका मतलब है कि आप उन्हें सार्थक जीवन दे रहे हैं।

बेटी के सामने किसी तरह का फर्क न करें

कई घरों में लड़का-लड़की दो बच्चे होते हैं। जाहिर सी बात हैं कि घर पर एक से अधिक बच्चे होने पर उनमें लड़ाई भी हो सकती है। ऐसे में बच्चों की लड़ाई दौरान सिर्फ बेटे की साइड लेने से आपकी बेटी के मन में भेदभाव की भावना पैदा हो सकती है। इसलिए पहले इस बात का पता लगाएं कि आखिर गलती किस की है और उसके बाद उन्हें प्यार से समझाएं।

लड़कियों के लिए खुद खेलकूद तय करना

कई घरों में पेरेंट्स खुद लड़कियों के लिए खेलकूद तय करते हैं। खासतौर पर लोग बच्चियों को केवल गुड़िया, किचन सेट और मेकअप की चीजें ही लाकर देते हैं। इसतरह वे बचपन से गही बेटी के मन में अलग सोच डाल देते हैं। मगर आज की नारी हर फील्ड में नाम कमा रही हैं। ऐसे में आप अपनी बेटी को उसकी पसंद का खेल चुनने दें। फिर चाहे उसे क्रिकेट, फुटबॉल आदि ही खेलना हो।

बिल्डिंग स्किल

स्किल बिल्डिंग बहुत ही महत्वपूर्ण है। साथ ही आत्म सम्मान को बढ़ाने में भी इसका महत्वपूर्ण योगदान होता है। स्किल बिल्ड करना बेटी की परवरिश का एक अहम हिस्सा है। अच्छे पेरेंट्स होने के नाते आपको उनकी प्रतिभा और स्किल के बारे में पता होना चाहिए, ताकि आप उनपर मेहनत कर सकें। इतना ही नहीं, उनके सपनों को पूरा करने के लिए उन्हें एक अच्छा प्लेटफॉर्म भी उपलब्ध कराएं। बेटी की परवरिश आसान नहीं है। इसके लिए अच्छी देखभाल और समय की जरूरत होती है।

आवाज उठाने दें

आमतौर पर लोग अपनी बेटी को धैर्य व कम आवाज में बोलने को कहते हैं। मगर लड़कों के लिए ऐसा कोई नियम नहीं होता है। मगर इस तरह लड़का-लड़की में भेदभाव करने से बच्ची के मन में गलत भावना पैदा हो सकती है। इसके साथ ही अपने दोनों बच्चों को सिखाएं कि कुछ गलत होने पर आवाज उठाने पर कभी ना कतराएं।