जिस तरह बेटियों को पापा की परी कहा जाता हैं, उसी तरह बेटे भी अपनी मां के लाडले होते हैं। मां-बेटे का रिश्ता बहुत खास होता है। मां अपने लाडले की हर बात मान लेती है और उसपर पूरा-पूरा प्यार लूटाती है। मां के दिल में बेटे के लिए प्यार ही नहीं बल्कि फिक्र भी होती है। मां-बेटे के रिश्ते में झगड़े और रूठना-मनाना भी लगा रहता है। इस रिश्ते की मजबूती के लिए जरूरी हैं कि समय के साथ आप एक-दूसरे को समझें। ऐसे में ज्यादातर प्रयास मां को करने होते हैं कि अपने बेटे के साथ रिश्तों को और मजबूत बनाया जाए। आज हम आपको इसके लिए किए जाने वाले उपायों के बारे में बताने जा रहे हैं। आइये जानते हैं...
बेटे की दोस्त बनेंज्यादातर लड़के-लड़कियां आज के समय में अपने पेरेंट्स से ज्यादा बातें शेयर करना नहीं चाहते। लेकिन शायद आप में से बहुत से लोग अभी तक इस बात से अंजान हैं कि पेरेंट्स भले ही आपको कितना डांट लें, डपट लें लेकिन वो कभी भी आपका बुरा नहीं चाहेंगे। एक पिता भले ही अपने ऑफिस के काम में व्यस्त हो सकता है लेकिन एक मां को हर पल अपने बच्चों की चिंता लगी रहती है। ऐसे में आप कोशिश करें कि आप अपने बेटे की दोस्त बनें, जिससे वो आपके साथ अपनी सभी बातें शेयर कर सके।
कहे दिल की सारी बातलड़कों को हमेशा से सिखाया जाता है कि वो बहुत स्ट्रॉन्ग होते हैं। सुनते-सुनते वो खुद को इमोशनली भी बहुत स्ट्रॉन्ग बना लेते हैं। दिल दुखता भी है तब भी कभी रोते नहीं। मगर एक मां होने के नाते आपके अपने बेटे के साथ ऐसा रिश्ता बनाना चाहिए कि वो अपनी सारी परेशानी आपके सामने खुल कर रखे। अंदर ही अंदर किसी बात से घुलता ही ना जाए।
घर के काम में करें शामिल अपने साथ घर के काम में शामिल करें। इससे उसे घर की देखभाल करने और आपके कामों की अहमियत भी समझे। घर के काम सिखाना केवल बेटी के लिए जरूरी नहीं है। बेटे को काम सिखाने से उसे बाहर पढ़ने जाते समय ज्यादा परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा।
बेटे की पसंद की चीजों में दिलचस्पी दिखाएं ये अपने बेटे के साथ जुड़ने का सबसे अच्छा तरीका है, उसके पसंदीदा शौक में शामिल हों। वीडियो गेम, आउटडोर गेम अगर वो पसंद करता है तो उसके साथ खेलना शुरू करें। इसके बारे में उससे न सिर्फ पूछें बल्कि उसके साथ शामिल भी हो। उसकी एक्टिविटी में ना कमी निकाले ना ही रोके।
बेटी ही नहीं, बेटे पर भी दें ध्यानआजकल की वर्किंग मदर्स के पास अपने बच्चों पर ध्यान देने के लिए समय काफी कम है। ऐसे में वो अपना बचा-खुचा समय बेटी की परवरिश पर खर्च कर देती हैं जोकि सरासर गलत है। जी हां, आप बेटे पर भी उतना ही ध्यान दें जितना आप बेटी पर दे रही हैं, वरना तो वो आपसे दूर होने लगेगा। इसलिए बेहतर यही होगा कि आप पूरे हफ्ते में 2 दिन निकालकर अपने बच्चों के साथ बातचीत करें और उन्हें अच्छी-अच्छी बातें सिखाएं।
उसे फ्रीडम और स्पेस दें आप अपने बेटे को स्पेस देकर उसके साथ रिलेशन एक दोस्त की तरह बना सकती हैं। ये एक महत्वपूर्ण कदम है। उम्र के हिसाब से कुछ आज़ादी उसे दें। आप ये दिखाएं की आप उस पर भरोसा करती हैं।