पति-पत्नी के बीच बोलचाल के वक्त इन बातों का ध्यान रखना बेहद जरुरी, वरना रिश्तों में...

अगर आप चाहते हैं कि आपके रिश्तों में खटास और नाराजगी के भाव नहीं आएं तो सोचकर बोलें, क्योकि बोलकर सोचना व्यर्थ है और पति-पत्नी के रिश्तों में तो ये और भी जरूरी है। पति-पत्नी अपने रिश्तों को मजबूत बनाए रखने के लिए क्या कुछ नहीं करते। एक-दूसरे को खुश रखने के लिए तोहफे देते हैं, बाहर घूमने जाते हैं लेकिन कई बार दोनों के बीच शब्दों का गलत इस्तेमाल रिश्तों में दरार ले आता है। ऐसे में जरुरी है कि पति पत्नी के रिश्तों के बीच शब्दों का सही इस्तेमाल हो। इसलिए आज हम कुछ बातों के बारें में बताने जा रहे है जिनका बोलचाल के वक्त ध्यान रखना बेहद जरुरी है।

सोचसमझ कर बोलें


कहते हैं कि तीर कमान से और बात जबान से एक बार निकलने के बाद वापस नहीं आती, इसलिए जो भी बोलो सोचसमझ कर बोलो। पति पत्नी में किसी बात को लेकर नोंकझोंक और बहस होना असामान्य नहीं है। लेकिन, याद रखें यह नोंकझोंक एक सीमा तक ही होनी चाहिए, वरना रिश्तों में जहर घुलते देर नहीं लगती। इसलिए जब भी आप दोनों में से किसी एक का मूड खराब हो या किसी एक को गुस्सा आ रहा हो तो दूसरा या तो चुप्पी साधे या जो भी बोले तोलमोल कर बोले।

जादुई वाक्य

परिस्थिति चाहे जैसी भी हो, लेकिन एक वाक्य है, जो किसी के भी गुस्से को पलभर में पिघला सकता है। जी हां, ‘आई लव यू’ कहने से प्यार में इजाफा होता है। लेकिन याद रखें इस वाक्य को बार- बार ना बोलें। अपने पाटर्नर को कभी-कभी यह सुनने के लिए इंतजार भी कराएं।

तुलना ना करें

अपने पाटर्नर की कभी किसी से तुलना ना करें, विशेषकर लड़कियों की। हर शख्स अपनी एक अलग पहचान चाहता है। उसकी इस पहचान को बनाएं रखें। कभी भी अपने शब्दों से उससे किसी और की तरह बनने की अपेक्षा ज़ाहिर ना करें।

दूसरों के सामने आलोचना व उपहास ना करे

पति-पत्नी का रिश्ता बहुत ही संजीदा होता है। उनके बीच की बातें वो पर्सनल रखना चाहते हैं, ऐसे में अपने पाटर्नर की कोई भी कमी को दूसरों के सामने उजागर ना करें। कटु आलोचना और दूसरों के सामने उपहास करके हम किसी को नहीं बदल सकते। इसलिए एक दूसरे की गलतियों को बंद कमरे में ही डिस्कस करें।

कभी-कभी चुप भी हो जाएं

जरूरी नहीं है कि आप अपने पाटर्नर की हर बात का जवाब दें, विशेषका ज बवह गुस्से में हो। उसके मूड को समझे हो सकता है वह और किसी कारण से परेशान है। उसको समझने के लिए कभी-कभी कुछ ना कहना भी सही होता है।