हर पेरेंट्स चाहते हैं कि उनके बच्चे नेक इंसान बने और जिन्दगी की सही राह पकडे। इसके लिए पेरेंट्स की सीख बहुत मायने रखती हैं जिसका बच्चों पर बहुत असर पड़ता हैं। जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते जाते हैं, चीजों के बारे में जानने की जिज्ञासा उनके अंदर बढ़ती रहती है। ऐसे में बच्चे अपने बड़ों को देखकर उन्हें ऑब्जर्व करते हुए अपने मन में उसका अलग ही मतलब निकाल लेते हैं। ऐसे में पेरेंट्स की जिम्मेदारी होती हैं कि बच्चों की सही से समझाइश की जाए ताकि वे जिंदगी की गलत राह पर ना चले जाए। आज हम आपको उन बातों की जानकारी देने जा रहे हैं जिन्हें पेरेंट्स द्वारा बच्चों को नहीं सिखाया जाना चाहिए। आइये जानते हैं इनके बारे में...
दूसरों की बातें सुनना अक्सर पेरेंट बच्चों को पड़ोसियों या घर-परिवार के लोगों की जासूसी करने को कहने लग जाते हैं। उन्हें लगता है कि ऐसा करके वे आसपास उनके खिलाफ होने वाली बातों पर नजर रख पाएंगे जबकि आपके ऐसा सिखाने से बच्चों के दिमाग पर नेगेटिविटी हावी होने लगती है, इसलिए बहुत जरूरी है कि बड़ों की बातों में बच्चों को न धकेलें।
उन्हें न बताएं कैसा महसूस करें कैसा नहींपेरेंटिंग एक्सपर्ट्स का कहना है कि बच्चों से कभी भी दुखी ना हो या यह इतना भी बुरा नहीं था जैसे शब्द नहीं बोलने चाहिए। अगर आपका बच्चा किसी चीज को लेकर दुखी है और आप उसे उस दुख में भी हसंते रहने के लिए कहते हैं तो इससे बच्चे पर बुरा असर पड़ सकता है। इससे कई बार बच्चे अपने मन के दुख को जाहिर नहीं कर पाते हैं और बाहर वालों की नजर में खुद को खुश ही दिखाते है जो उनके मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। ऐसे में जरूरी है कि आप बच्चे से कहें कि कभी-कभी ठीक नहीं होना भी ठीक होता है।
किसी भी तरह जीतना हर पेरेंट चाहते हैं कि उनके बच्चे सबसे आगे रहें लेकिन जीतने की स्किल्स के अलावा बच्चों को मोरल वैल्यू भी जरूर सिखाएं। बच्चों को सिखाएं कि हेल्दी कॉम्पिटीशन क्या होता है। किसी को गिराकर आगे बढ़ना सही नहीं होता। बच्चों को जीतने के सही और गलत तरीके तो जरूर बताएं।
जिम्मेदारियों को लेकर डरबच्चों से बात करते समय ध्यान रखें कि उनके आगे कभी भी पैसों और बीमारी की बात ना करें। जब माता-पिता पैसों को लेकर टेंशन लेते हैं और बच्चों के आगे इसकी बातें करते हैं तो वह अपने डर को बच्चों में ट्रांसफर करते हैं। कई बार ऐसा करने से बच्चों पर बोझ पड़ता है क्योंकि बच्चे भी फिर इसे लेकर काफी टेंशन लेने लगते हैं जिसे हैंडल करना उनके बस की बात नहीं होती।
किसी को कम समझना बच्चों को कभी भी किसी बच्चे या अन्य व्यक्ति को लेकर जहर न भरें। उन्हें किसी भी तरह का भेदभाव न सिखाएं। ऐसा करने से बच्चे के मन में शुरू से ही भेदभाव की भावना घर कर जाती है और फिर वे दूसरों लोगों को अपने से कम समझने लग जाता है।
किसी की भी बुराईकई बार लोग गुस्से में आकर बच्चों से दूसरों की बुराई करने लगते हैं। कई बार लोग अपने पार्टनर की या फैमिली मेंबर की बच्चों से बुराई करते समय यह भूल जाते हैं कि बच्चा जितना आपके साथ रहता है उतना ही बाकी लोगों के साथ भी समय गुजारता है। ऐसे में आपकी बातों से वह खुद को दो अलग-अलग हिस्सों में बंटा हुआ महसूस करने लगता है। कई बार इससे बच्चे उन लोगों से नफरत करने लगते हैं जिनके बारे में आप उससे बुराई करते हैं।
जानवरों को मारना या परेशान करनाकई माता-पिता को लगता है कि अपने बच्चे को निडर बनाने के लिए वे जानवरों को मारना या परेशान करना सिखा सकते हैं। जानवरों को मारना हर तरह से गलत होता है। इससे आपका बच्चा क्रूर बनेगा और उसके मन से दयाभाव खत्म हो जाएगा। बच्चों को हमेशा जानवरों को समझना और प्यार करना सिखाएं। यह उनकी मेंटल हेल्थ के लिए बहुत जरूरी है।
बदतमीजी से जवाब देना गलत बातों का जवाब देना सही है लेकिन बचपन में बच्चों को समझ नहीं होती। ऐसे में उन्हें यह न सिखाएं कि कोई मजाक में भी आपको कुछ कहे, तो आपको बदतमीजी से जवाब देना है बल्कि बच्चों को अने विवेक से चीजें समझने के लेवल तक पहुंचने दें। बच्चों को बताएं कि अगर उन्हें कोई कुछ कहता है, तो आकर घर पर पेरेंट से बताएं।