बच्चों के आत्मविश्वास को डगमगाने का काम करती हैं पेरेंट्स की ये गलतियां, इनमे सुधार लाना बहुत जरूरी

हर पेरेंट्स चाहते हैं कि उनका बच्चा आत्मविश्वास से भरा हो और जो भी काम वह करें उसमें उसे सफलता प्राप्त हो। इसके लिए बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ाने की जिम्मेदारी भी पेरेंट्स की ही होती हैं। लेकिन अनजाने में पेरेंट्स कई बार ऐसी गलतियां कर बैठते हैं जो बच्चों के दिल को ठेस पहुंचाते हुए उनके आत्मविश्वास को डगमगाने का काम करती हैं। जी हां, माता-पिता की इन गलतियों की वजह से बच्चों का आत्मविश्वास खो जाता हैं और वे कुछ बोलने और करने से भी डरने लगता है। आज इस कड़ी में हम आपको पेरेंट्स की उन्हीं गलतियों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनमें सुधार लाना बहुत जरूरी हैं। तो आइये जानते हैं इनके बारे में...

बच्चे का मजाक न बनाएं

बहुत बार माता-पिता अपने किसी काम या बात को लेकर बच्चे का मजाक दूसरे बच्चों या बड़ो के सामने बना देते हैं। हो सकता है कि आपके लिए ये आम बात हो लेकिन आपके बच्चे के मन पर इसका गलत प्रभाव पड़ सकता है। वह उस काम या लोगों से ही भागने लगता है। अगर आपका बच्चा कोई गलती भी कर रहा हो, तो उसे शांति से समझाने की कोशिश करें। हो सके तो गलती में भी उनकी खूबियां बताएं और उन्हें समझाएं कि किसी भी काम को करने के दौरान गलती होना स्वाभाविक है। फिर आपका बच्चा गलती होने के डर से काम से नहीं भागेगा बल्कि उसे सीखने की कोशिश करेगा।

हर बार अपनी बात मनवाना

बहुत सारे माता-पिता बच्चे को सिर्फ अपने अनुसार काम करते हुए देखना चाहते हैं। अगर उन्हें लगता है कि केवल पढ़ाई करने से ही बच्चे का अच्छा हो सकता है, तो वे बच्चे की ड्राइंग क्लास भी बंद करवा सकते हैं क्योंकि इसे बच्चे को पढ़ने के लिए कम समय मिलता है। लेकिन आपके इस फैसले का बच्चे के मन पर काफी बुरा प्रभाव पड़ता है। इससे बच्चा अपने मन का करने और आत्मविश्वास के साथ कुछ सीखने की चाहत खो देता है। अगर आपका बच्चा कुछ भी नया करने की कोशिश करें, चाहे अगर वह गलत ही कर रहा है, तो उसे सीखने का मौका दें। अगर आप उसे उसकी भूल समझने से पहले ही रोक देंगे, तो शायद वह कुछ सीखने की बजाय काम से पीछे हटना सीख जाएगा। बच्चे अगर कोई काम में गलती भी करते है, तो भी वह यह जरूर समझ जाते हैं कि इस काम को ऐसे करने की बजाय इस तरह से करने की जरूरत है। इससे उनमें गलतियों से सीखने का हुनर और आत्मविश्वास भी आता है।

दूसरों से तुलना करना

माता-पिता की यह आदत होती है कि वह हमेशा अपने बच्चों की तुलना दूसरे बच्चों के साथ करते हैं। शायद वह ऐसा अपने बच्चे को आगे बढ़ता देखने के लिए करते हैं लेकिन क्या आपको पता है। इसकी वजह से वह अपने आपको उन सब बच्चों से कम समझने लगता है। यहां तक की खेल और स्कूल की लाइन में भी वह उन बच्चों से खुद को पीछे रखने लगता है। ऐसे में उसका आत्मविश्वास काफी पीछे हो जाता है। वह उनसे आगे नहीं बढ़ पाता है। फिर अंत में बच्चा यह स्वीकार कर लेता है कि वह उन बच्चों से बेहतर नहीं है और उसकी उनसे आगे बढ़ने की क्षमता यहीं खत्म हो जाती है। आगे भविष्य में भी वह खुद को दो-चार बच्चों से पीछे ही समझते हैं। चाहे वह सर्वश्रेष्ठ के काबिल ही क्यों न हो। तो हमेशा अपने बच्चे में ये आत्मविश्वास भरे कि इस काम को तुमसे बेहतर कोई नहीं कर सकता है।

बच्चों को पीटना ठीक नहीं

कई बार पैरेंट्स बच्चों की छोटी-छोटी गलती पर भी उन्हें पीटने लगते हैं। उन्हें समझाने की जगह मारने लगते हैं। इससे बच्चा आपसे डरना शुरू कर देता है। किसी भी काम को डर से करता है न कि आत्मविश्वास फिर वह सीखना बंद कर देता है और सिर्फ पढ़ना या काम को डर से करने लगता है। यह सबसे खराब स्थिति होती है। फिर अगर उससे कुछ गलती भी होती है, तो वह आपको बताने से डरता है। फिर सोचिए , जब वह अपने माता-पिता से ही सच कहने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है, तो बड़े होने पर किसी भी बात वह अपनी गलती कैसे स्वीकार करेगा क्योंकि हम बच्चे के मन में यह बात डाल चुके हैं कि गलत होने पर सजा मिलेगी और सजा से बचने के लिए वह बस खुद को सही साबित करने की धुन में लगा रहता है। इसलिए आप अपने बच्चे को जो भी बनाना चाहते हैं। उसके लिए आत्मविश्वास बहुत जरूरी है।

बच्चों पर अपनी मर्जी थोपना

बच्चों में हजारों संभावनाएं होती हैं। हमारी और आपकी सोच से अलग वह रोज कुछ नया बनने की चाहत रखते हैं लेकिन कई बार माता-पिता बच्चे की हर बात को मजाक या बेकार समझकर टाल देने से उनमें अपनी बात कहने के लिए उतना आत्मविश्वास नहीं आ पाता है। जैसै अगर आपका बच्चा आपसे म्यूजिक सीखने क्लास जाने की जिद कर रहा है, तो आपको यह एक जिद समझकर न देखें। हो सकता है कि म्यूजिक में उसकी दिलचस्पी हो और इसी क्षेत्र में वह आगे बढ़ना चाहता है। अगर आप ही अपने बच्चे पर विश्वास नहीं दिखा पाएंगे, तो वह खुद पर कैसे भरोसा कर पाएगा। साथ ही इसी वजह से बच्चे कई बार अपनी क्लास में भी कुछ कहने से डरते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि वे गलत हो सकते हैं।