इन आसान तरीको से ला सकते हैं अपने बच्चों के चहरे पर मुस्कान, जानें और आजमाए

जिस तरह हर पेरेंट्स की अपने बच्चों से कुछ चाहत होती हैं, उसी तरह हर बच्चे की भी अपने पेरेंट्स से कुछ ख्वाहिश होती हैं। जी हाँ, जिस तरह हर पेरेंट्स चाहते हैं कि उनके बच्चे अच्छे इंसान बने और नेक काम करें। इसी तरह बच्चे भी चाहते हैं कि अपने पेरेंट्स के साथ बैठकर खुशियों के पल बांटे जाए। बच्चे अपने पेरेंट्स के साथ खुशी से जीवन व्यतीत करना चाहते हैं जो उन्हें आत्मविश्वास भी देता हैं। इसलिए आज हम आप पेरेंट्स के लिए कुछ ऐसे टिप्स लेकर आए हैं जिनकी मदद से आप बच्चों के चहरे पर मुस्कान लाने के साथ ही उनका आत्मविश्वास भी बढ़ाएंगे। तो आइये जानते है इन तरीकों के बारे में।

उनकी अच्छी बातों को सराहें
जब भी आपका बच्चा परीक्षा या फिर कोई काम बेहतर करके दिखाए तो उसे नजरअंदाज न करें बल्कि उसकी सराहना करें, इससे उसे आगे और बेहतर करने की प्रेरणा मिलेगी। जब आप बच्चे की सराहना करेंगे तो उसे अंदर से खुशी होगी कि अगर मैं और बेहतर करूंगा तो और ज्यादा तारीफ मिलेगी। इसलिए जब भी मौका मिले आप आपने बच्चों की सराहना जरूर करें।

दूसरों की भावनाओं की कद्र करना सिखाएं
अक्सर बच्चे एक-दूसरे के साथ खेलते वक्त उन्हें नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं जबकि ऐसा करने से बच्चों में द्वेष की भावना पनपती है। द्वेष की भावना जब एक बार बच्चों के मन में घर जाती है तो सारी जिंदगी बच्चे एक-दूसरे से चिढ़ने लगते हैं। इसलिए अपने बच्चों को दूसरे की कद्र करना सिखाइए ताकि वह आगे जाकर दूसरों के साथ सम्मान से बात करें और खुश रहे।

साथ बैठकर खाना खाएं
अक्सर देखा जाता है की कई परिवार अलग-अलग बैठकर खाना खाते हैं जबकि ऐसा नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे बच्चों में तनाव और अकेलेपन की भावना जागती है। अगर आप साथ बैठकर खाना खाएंगे तो बच्चों से बातें होंगी और बातों के दौरान बच्चे आपसे अपने दिल की बात कह सकेंगे। जब बच्चे आपसे अपने दिल की बात कहेंगे तो उनमें खुशी अपने आप बरकरार रहेगी।

जब वह बोलें तो उनकी बात सुनें
अक्सर हम बच्चों की कही छोटी-छोटी बातों को नजरअंदाज कर दिया करते हैं जबकि हमें ऐसा नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे उन्हें लगेगा कि हम उनपर ध्यान नहीं दे रहे हैं। बच्चों के अंदर जब ऐसी भावना आ जाएगी कि उन्हें नजरअंदाज किया जा रहा है तो वह धीरे-धीरे अपनी दिल की बातें कहना बंद कर देंगे, जिससे उनमें आत्मविश्वास तो कम होगा ही और साथ खुशी भी नहीं मिलेगी।

उनकी बातों को महत्व दें
कभी-कभार जब हम बच्चों की बातें सुनकर उन्हें फटकार दिया करते हैं या उनकी बातों को महत्व नहीं देते तो उनमें नकरात्मकता जागती है। बच्चों को लगता है कि उनकी बातों को नहीं सुना जा रहा है तो वह अपनी बातों को कहना बंद कर देते हैं। जिसके कारण कई बड़े हादसे हो सकते हैं इसलिए जब भी आपका बच्चा आपसे कुछ कहें तो उसकी बातों को महत्व दें।

बच्चों को जताएं कि आप उनसे प्यार करते हैं
अक्सर हम अपने बच्चों को नहीं जताते हैं कि हम उनसे कितना प्यार करते हैं। हमें ऐसा नहीं करना चाहिए। हमें जब भी मौका मिले उनके साथ घूमने जाना चाहिए और उन्हें दिखाना चाहिए कि हम हमेशा उनके साथ खड़े हैं और उनसे प्यार करते हैं। जब आप अपने बच्चों के साथ वक्त बिताएंगे तो उन्होंने लगेगा कि आप उनसे प्यार करते हैं और उनकी कद्र करते हैं।