भारतीय दर्शक बॉलीवुड फिल्मों का दीवाना हैं। बीते कई दशकों से बॉलीवुड में अनगिनत फ़िल्में बनी हैं जिसको लेकर सभी की अपनी पसंद हैं। कई फिल्मों में रोमांस देखने को मिलता हैं तो कईयों में एक्शन। बॉलीवुड की कुछ फिल्मे ऐसी भी हैं जो अच्छा मैसेज देती हैं और लोगों को इनसे बहुत कुछ सीखने को मिलता हैं। ऐसी ही कुछ फिल्में हैं, जो रिलेशनशिप को लेकर काफी कुछ बताती हैं, बस जरूरत है उन फिल्मों की गहराई को समझने की। आज इस कड़ी में हम आपको यहां कुछ बॉलीवुड फिल्मों के बारे में बताने जा रहे हैं जो रिश्तों में आने वाली चुनौतियों का सामना करने उन मुश्किलों से निकलने में भी मदद करता हैं। आइये जानते हैं इन फिल्मों के बारे में...
दिल धड़कने दोइस फिल्म में प्रियंका चोपड़ा के किरदार ने सभी को सिखाया कि उस रिश्ते से बाहर निकलना ठीक है, जिसमें आप खुश नहीं हैं। भले ही दुनिया आपके खिलाफ क्यों न हो। थोड़ा स्वार्थी होना और अपने बारे में सोचना कोई पाप नहीं है। यही नहीं, फिल्म का प्लॉट यह बताने के लिए भी काफी है कि अगर मौका दिया जाए तो एक बेटी भी बेटे को मात दे सकती है।
स्टेट्सआजकल की लव लाइफ में कई परेशानियां आती हैं। अक्सर हर कपल इससे घबरा कर अपने रिश्ते से पीछे हट जाता है। लेकिन इस फिल्म में अलग-अलग बैकग्राउंड से आते हैं और उनके पेरेंट्स की सोच भी एक-दूसरे से काफी अलग है। बावजूद इसमें सिद्धार्थ (अर्जुन कपूर) और अनन्या (आलिया भट्ट) एक दूसरे के पेरेंट्स का दिल जिताते हैं और सभी चुनौतियों का सामना करते हुए आखिर में एक होते हैं। ये बताता है कि किसी भी रिश्ते की सफलता के लिए हमें आखिर तक लड़ना चाहिए।
क्वीनइस फिल्म में कंगना रनौत के किरदार ने हमें सिखाया कि आपको हर चीज के लिए अपने साथी से मान्यता लेने की जरूरत नहीं है। उसने हमें सिखाया कि अपने स्वयं के लिए टॉक्सिक और कण्ट्रोलिंग रिलेशन से दूर जाना ठीक है। फिल्म हमें यह भी सिखाती है कि कपल्स रिलेशन से बाहर भी एक लड़की का अपना एक जीवन, अपने दोस्त व पहचान हो सकती है। उसके लिए सिर्फ एक ही रिश्ते में बंधकर अपनी सभी खुशियों को नजरअंदाज करने की जरूरत नहीं है।
ये जवानी है दिवानीलव, कॉमेडी और इमोशन्स का जबदस्त मिक्सचर ये जवानी है दिवानी फिल्म से आप लाइफ में पेरेंट्स के महत्व को समझ सकते हैं। फिल्म में रणबीर कपूर (कबीर) के पिता कबीर को अपना सपना पूरा करने और खुलकर जिंदगी जीने की सलाह भी देते हैं। मगर पिता के गुजर जाने के बाद कबीर को उनकी अहमियत का एहसास होता है और कबीर घर वापस आकर अपनी सौतेली मां से माफी मांगकर पुरानी गलती का पश्चाताप करता है।
जब वी मेटइस फिल्म में करीना कपूर ने खुद के लिए एक लड़के को चुना। उसे लगा कि वह प्यार में है। लेकिन बाद में उसे ऐसा लड़का (शाहिद कपूर) मिला, जिसके लिए उसकी खुशी सबसे अधिक मायने रखती थी। करीना ने फिल्म में दूसरे लड़के (शाहिद कपूर) को अपना जीवन साथी बनाया। उसने हमें सिखाया कि रिश्ता केवल प्यार के बारे में नहीं हैं, यह इस बारे में है कि कोई व्यक्ति आपकी खुशी के लिए क्या करने को तैयार है जब आप उन्हें अपना सब कुछ दे दें।
बागबानअमिताभ बच्चन और हेमा मालिनी की इसमें बेहतरीन केमिस्ट्री नजर आई थी। वहीं, इसमें उम्र के इस मुकाम पर अपने पार्टनर के लिए जो प्यार और केयर दिखाया गया उससे हर किसी को सीख लेनी चाहिए। इतना ही नहीं, उनके रिलेशनशिप में कई बुरे दौर आए, लेकिन दूर रहकर भी वो एक दूसरे के लिए साथ खड़े रहे और अपने प्यार की मजबूती बरकरार रखी। आखिर में ये दोनों वापस खुशहाल जिंदगी जीने लगे। फिल्म बताती है कि आपके रिश्ते में कितने भी बुरे दौर आए एक दूसरे का साथ कभी ना छोड़ें।
इंग्लिश-विंग्लिशइस फिल्म में श्रीदेवी के किरदार ने हमें प्यार सिखाया कि आप जो भी करते हैं, उस पर गर्व करना आवश्यक है। काम चाहे छोटा हो या बड़ा, उसी से आपकी पहचान बनती है। यही नहीं, फिल्म में इस बात को भी बारीकी से दिखाया गया है कि अपनों के लिए कुछ करने या सीखने की कोई समय सीमा नहीं होती।
जिंदगी मिलेगी ना दोबाराजिंदगी मिलेगी ना दोबारा में दो दोस्तों का किरदार निभा रहे ऋतिक रोशन (अर्जुन) और फरहान अख्तर (इमरान) की भी आपस में कहासुनी हो जाती है। हालांकि अपने बिछड़े पिता से रूबरू होने के बाद इमरान को अपनी गलती का एहसास होता है और इमरान पूरे दिल से अर्जुन से माफी मांग कर अपनी दोस्ती वापस हासिल कर लेता है।
दम लगा के हाईसासंध्या (भूमि पेडनेकर) और प्रेम (आयुष्मान खुराना) दोनों एक दूसरे से बिल्कुल अपोजिट थे और प्रेम इस रिश्ते में बिल्कुल खुश नहीं था। लेकिन जैसे-जैसे प्रेम अपने पार्टनर और शादी के सही मायने को समझने लगा उसे एहसास हुआ कि हर कोई एक जैसा होता है और सच्चा प्यार अपने पार्टनर को हर कमी और सभी रूप में अपनाना ही होता है।