समय बहुत जल्दी आगे बढ़ता रहता है और तेजी से बदलता भी रहता है। समय के साथ रिश्तों की समझ और गणित में भी कई बदलाव देखने को मिल रहे हैं। ऐसा ही कुछ देखने को मिल रहा हैं पैरेंट्स और बच्चों के बीच जहां आजकल जेनरेशन गैप देखने को मिल रहा हैं। बच्चों और पेरेंट्स के बीच जेनरेशन गैप की वजह से दूरियां आने का खतरा हमेशा बना रहता है। समझदारी की कमी, कम सहनशीलता और खुले विचारों का अभाव ही इस गैप को बढ़ाते हैं। लेकिन अगर पैरेंट्स व बच्चे चाहें तो उनके बीच के इस गैप को भरा जा सकता है। ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ ऐसे टिप्स के बारे में जिनकी मदद से पैरेंट्स और बच्चे के बीच हुआ जनरेशन गैप दूर किया जा सकता हैं। आइये जानते हैं इन टिप्स के बारे में...
दिमाग को रखें हमेशा खुलाहमेशा बच्चे को हर चीज के लिए जज नहीं किया जाना चाहिए। ओपन-माइंडेड और जीने के नए मानक सीखने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए। पैरेंट्स को जीवन जीने का तरीका बच्चों को बताना चाहिए लेकिन बच्चों से ऐसा करने की उम्मीद नहीं करनी चाहिए और न ही नियमों को थोपना चाहिए। बच्चे जो कहते हैं उसे पहले सुनें, समझें और उसके बाद प्रतिक्रिया दें। पैरेंट्स ने जीवन कैसे व्यतीत किया है इसे बार-बार सुनकर बच्चे चिढ़ जाते हैं। इसलिए पैरेंट्स को पहले से कोई सोच बनाए बगैर खुले दिमाग से बच्चे की बात सुनना और समझना चाहिए।
बातचीत से बनेगी बातबच्चों के साथ रोज बात करना बहुत जरूरी होता है। एक-दूसरे से दिनभर के बारे में पूछें। इससे आपको एक-दूसरे के बारे में जानने का मौका मिलेगा और आपके बीच का रिश्ता नॉर्मल बना रहेगा। बच्चों को यह महसूस होना चाहिए कि वो अपने पेरेंट्स से कुछ भी बात कर सकते हैं और कुछ भी शेयर कर सकते हैं। जब बच्चा खुद ही आपको सब कुछ बताएगा और आपसे कुछ नहीं छिपाएगा, तो आपको भी चिंता कम होगी।
अधिक समय बिताएं जेनरेशन गैप को दूर करने का सबसे अच्छा तरीका है कि पैरेंट्स अपने बच्चों के साथ अधिक से अधिक समय बिताने का प्रयास करे। आप चाहें तो अपने बच्चों के साथ कोई गेम खेल सकते हैं या फिर मील्स एक साथ ले सकते हैं। जब आप अधिक से अधिक समय एक साथ बिताएंगे तो इससे आपके बीच का रिश्ता मजबूत होगा और फिर जेनरेशन गैप भी समस्या या मतभेदों का कारण नहीं बनेगा।
सुनें बच्चों की बात हो सकता है कि बच्चे आपसे अधिक गलती करते हों या फिर उनकी सोच आपकी सोच से मेल नहीं खाती हो। लेकिन फिर भी पैरेंट्स की यह जिम्मेदारी है कि वे अपने बच्चों की बात को सुनें और उन्हें बिना रुकावट के अपनी बात कहने दें। जब आप बच्चों की बात पूरी तरह से सुनते हैं तो आप समझ पाते हैं कि वे क्या चाहते हैं। साथ ही जब आप उन्हें सुनते हैं तो वह भी आपकी बात सुनने के लिए अधिक प्रोत्साहित होता है।
समझने की कोशिश करेंकिसी भी रिश्ते को बेहतर बनाने के लिए आपसी समझ बहुत जरूरी होती है। अगर पैरेंट्स को समझ नहीं आ रहा है कि बच्चा क्या चाहता है या वह क्या कर रहा है, तब ये कहा जा सकता है कि वह एक अच्छे पैरेंट्स नहीं हैं। हमेशा खुद का उदाहरण देने के बजाय बच्चों को जीवन में कुछ अच्छा कर उदाहरण बनने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। कई बार पैरेंट्स को बच्चों को समझने और उनके साथ हमेशा खड़े रहने की जरूरत होती है। कभी-कभी बच्चों को वह करने देना चाहिए जो वो करना चाहते हैं।
अपनी समस्याओं को करें शेयर बच्चों के मन की बात को जानने के लिए या फिर उनके बीच करीबी रिश्ता कायम करने के लिए जरूरी होता है कि आप सिर्फ बच्चों को ही अपनी बात कहने के लिए प्रोत्साहित ना करें। बल्कि आपको अपनी कुछ समस्याएं भी उनके साथ शेयर करनी चाहिए। ऐसा करने से आपके बीच आपसी विश्वास मजबूत होता है। साथ ही साथ, कभी-कभी बच्चों की बातों में भी समस्या का समाधान मिल जाता है। आखिरकार बच्चों को भगवान का रूप यूं ही नहीं कहा जाता।
बिना शर्त करें बच्चे से प्यारबच्चे को प्यार और देखभाल का अहसास कराने का एक तरीका है इसका प्रदर्शन करना। यह बच्चे को देखभाल, प्यार और सुरक्षित महसूस कराता है। बच्चों के साथ कुछ समय बिताना और समय-समय पर उन्हें प्यार करना एक अच्छी थैरेपी है। एक सीमा के भीतर ही बच्चों के साथ लाड़ प्यार करना चाहिए। पैरेंट्स को इन सभी उपायों को अपनाना चाहिए ताकि उनके और बच्चों के बीच अधिक खुलापन आ सके।