पेरेंट्स चाहते हैं कि उनके बच्चे एक नेक इंसान बने और जिंदगी के हर कदम पर अपने व्यवहार से बेहतर छवि प्रस्तुत करें। बच्चों को दी गई सीख उनके जीवनभर काम आती हैं। बच्चो को शिष्टाचार के साथ अच्छे-बुरे का फर्क समझाना जरूरी होता हैं जो उन्हें जिंदगी की जंग लड़ने में मदद करता हैं। बच्चों की गलत आदतें आपकी परवरिश पर सवाल खड़े करती हैं। ये ऐसी आदतें होती हैं जो हमेशा और हर उम्र में आपके बच्चे के साथ रहती हैं। आज इस कड़ी में हम आपको उन बातों के बारे में बताने जा रहे हैं जो आपको अपने बच्चों को जरूर सिखानी चाहिए। आइये जानते हैं इन आदतों के बारे में...
धैर्य रखना सिखाएं
आज हर व्यक्ति को किसी न किसी बात को लेकर जल्दी रहती है। अधिकांश लोगों में आज के समय में धैर्य की कमी देखी जा सकती है। ऐसे में आप अपने बच्चों को धैर्य रखना सिखाएं। उनको बताएं की उनके काम तभी सफल होंगे जब वो उन्हें करने में किसी तरह की जल्दबाजी नहीं करेंगे।
शेयरिंग सिखाएं
अपने बच्चों में बचपन से ही शेयरिंग की आदत डालें। इस गुण को सिखाने से उन्हें जीवन में अपने रिश्ते मजबूत बनाए रखने में मदद मिलेगी। अपने बच्चों को सिखाएं कि घर में आने वाली कोई भी चीज सिर्फ उनके लिए नहीं है। ऐसा करने से बच्चे का मानसिक विकास होता है और शेयरिंग की वजह से वह दूसरे बच्चों के साथ अच्छी तरह से घुल मिल भी जाते हैं।
थैंक्यू और सॉरी कहना सिखाएं
बच्चे को थैंक्यू और सॉरी बोलना सिखाएं। इससे बच्चे में दूसरों के प्रति सम्मान की भावना विकसित बोती है। इसके अलावा बच्चों को ये भी सिखाएं कि वो हमेशा बड़ों की बात मानें। उनके दिमाग में इस बात को बैठाएं की जो आपसे बड़े हैं वो हमेशा आपके भले के लिए आपसे कुछ बोल रहे हैं।
ईमानदारी सिखाएं
अपने बच्चों को ईमानदारी का सबक जरूर सिखाएं। उनके अंदर ईमानदारी की आदत डालें। इसके अलावा बच्चों में हर दिन प्रार्थना करने की आदत डालें। प्रार्थना करने से बच्चों में सकारात्मकता बढ़ती है। धैर्य रखना सिखाएं। आजकल अधिकांश लोगों में धैर्य की कमी देखी जाती है, उनको हर चीज जल्दी चाहिए पर अपने बच्चों को धैर्य रखना सिखाएं। उनको बताएं की धैर्य और इंतजार से ही काम बनते हैं। इसलिए किसी भी तरह की जल्दबाजी न करें। इसके अलावा बच्चों में शेयरिंग की आदत डालें। इससे रिश्तों में मजबूती आती है। बच्चों को इस बात का एहसास दिलाएं कि कोई भी चीज सिर्फ उनके लिए नहीं है।
मदद करना सिखाएं
बच्चों को ये बताएं कि अगर कोई किसी तरह की परेशानी में हो तो दूसरों की मदद करनी चाहिए। ना सिर्फ परिचितों की मदद बल्कि अनजान लोगों की भी मदद के लिए बच्चों को प्रेरित करें। इसके साथ ही बच्चों को समय की कद्र करना सिखाएं। बच्चे को हर काम परफेक्ट करना सिखाएं व लापरवाही से काम करने की आदत से बचाएं।
खुद भी फॉलो करें डिसिप्लिन
आप अपने बच्चे को तभी गुड मैनर्स और डिसिप्लिन सीखा पाएंगे जब आप खुद इनका पालन करते होंगे। आपका बच्चा वही करेगा जो आपको करता देखेगा। यदि आप ही रूल्स फॉलो नहीं करेंगे तो बच्चा भी नहीं करेगा। उदाहरण, बच्चों को सिखाएं कि यदि कोई आपको कोई चीज देता है तो उसे थैंक्यू जरूर बोलें, उसे यह भी सिखाएं कि दो बड़ों के बीच में नहीं बोलना चाहिए, किसी की कोई चीज लेते समय उससे अनुमति लेनी चाहिए।
उन्हें सिखाएं कि ‘न’ कैसे कहना है
यह सुननेपढ़ने में आसान लगता है पर न कहना सीखना वाकई मुश्किल होता है। दुनिया अपने हिसाब से हमें चलाने की उम्मीद रखती है। ऐसे में न कहने के लिए काफी हिम्मत चाहिए। बच्चों को जल्दी ही न कहना सिखा देना उन्हें कई चीजों में मदद करता है। उन्हें सिखाएं कि जो तुम्हें पसंद नहीं आ रहा है उस के बारे में वे साफसाफ कहें। इस से उन का आत्मविश्वास बढ़ेगा, कोई उन्हें हलके में नहीं लेगा। अगर न कहना नहीं आएगा तो उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। वे तनाव नहीं झेल पाएंगे, झूठ बोल सकते हैं या किसी की भी बातों में फंस सकते हैं।