आपका ऐसा बिहेवियर कर देगा बच्चों को आपसे दूर, ना करें ये गलतियां

हर कपल को जहां पेरेंट्स बनने की खुशी होती हैं, वहीँ यह एक बड़ी जिम्मेदारी भी होती हैं जिसे संभाल पाना बहुत मुश्किल होता हैं। पेरेंट्स और बच्चों के बीच का रिश्ता बेहद अनोखा होता हैं जो बच्चों की उम्र के साथ समय-समय पर बदलता रहता हैं। पेरेंट्स चाहते हैं कि बच्चों में अच्छी आदतें आए और उनका व्यवहार विनम्र रहें। ऐसे में सबसे पहले आपको अपने पेरेंटिंग स्टाइल पर ध्यान देना होगा। जी हां, आपका बिहेवियर बच्चों के साथ आपके रिश्ते को प्रभावित करता हैं, खासतौर से बच्चों से हुई गलती के दौरान। माता-पिता की जिम्मेदारी होती है कि बच्चों को उनकी गलती पर किस तरह से ट्रीट किया जाए। आज इस कड़ी में हम आपको पेरेंटिंग से जुड़ी उन गलतियों के बारे में बताने जा रहे हैं जो बच्चों को आपसे दूर कर सकती हैं।

बच्चे को मारकर नहीं, समझाने से बनेगी बात

बच्चों को किसी भी तरह से मारपीट नहीं करनी चाहिए, ना ही उन्हें इतना डांटा जाए कि वो मानसिक दबाव में खुद को घुटा हुआ महसूस करने लगे। याद रखें, जैसा व्यवहार आप बच्चे के साथ करेंगे वही बच्चा सीखेगा और बड़ा होने पर उसमें उसी तरह की प्रवृत्ति आ जाएगी। इसलिए आप बच्चे के साथ मारपीट न करें और उन्हें अपने बिहेवियर को ठीक करने के सही तरीकों के बारे में बताएं और उनकी मदद करें।

उन पर गर्व करें, कोसे नहीं

मां-बाप बनने के एहसास से खूबसूरत कोई एहसास नहीं होता है। यह हर किसी की जिंदगी में किसी तोहफे से कम नहीं होता है। आप खुद को खुशकिस्मत समझिए और अपने बच्चे को भी ऐसा ही महसूस कराइए। कई लोग कुछ वजहों से मां-बाप नहीं बन पाते हैं और उनकी सबसे बड़ी ख्वाहिश यही रह जाती है कि उनकी भी कोई औलाद हो। इसलिए कभी भी अपने बच्चों पर अफसोस ना करें और ना ही अपने बच्चों के अंदर ऐसी भावनाएं पनपने दें।

बच्चों के साथ ना करें दोहरा व्यवहार

बच्चे के साथ कभी भी ऐसा व्यवहार ना करें कि एक पल में उसे बहुत ज्यादा गुस्सा करें, और दूसरे ही पल उसे कुछ भी करने की छूट दे दें। ताकि उसे लगे कि आप उसे कितना प्यार करते हैं। ये व्यवहार गलत है। इसे ही डबल बिहेवियर करते हैं। ये बच्चे में भ्रम की स्थिति पैदा करता है। इससे अच्छा है कि आप किसी भी सिचुएशन में ये समझाएं कि उसे किस तरह का बिहेव करना है।

स्ट्रिक्ट रूल ना बनाएं

बच्चे के साथ कई बार माता-पिता अपनी मर्जी करवाने के लिए काफी सख्त रुख अख्तियार कर लेते हैं। उन पर ऐसे नियम थौंप देते हैं जिनका पालन करने बच्चों के लिए मुश्किल भरा होता है।बच्चे के साथ ज्यादा सख्त रुख अपनाने से उनके दिलो-दिमाग पर असर पड़ता है। बच्चे को कम शब्दों में अपनी बात को अच्छी तरह समझाने की कोशिश करें।

कभी भी उनकी तुलना ना करें

यह एक जुर्म है कि आप अपने बच्चे की तुलना किसी और से करती हैं। चाहे वे आपके बच्चे के दोस्त हों, भाई-बहन हों या फिर कोई और। आपको यह समझना चाहिए कि हर बच्चा अपने आप में खास होता है। हर बच्चे के अलग सपने और सोच हो सकती है और यह पैरेंट्स का काम है कि वे उनकी भावनाओं और सपनों का सम्मान करें। अगर आप अपने बच्चे को किसी से कमतर बताते हैं तो वह धीरे-धीरे हीनभावना का शिकार हो सकता है और उसका आत्मविश्वास कमजोर होने लगता है।

जबरदस्ती न करें

कई बार ये देखने में आया है कि पैरेंट्स बच्चों के आगे बढने, खाना खाने, कहीं घूमने जाने या फिर किसी फंक्शन या आयोजन में हिस्सा लेने के लिए जोर जबरदस्ती करते हैं। पेरेंटिंग का ये तरीका एकदम गलत है। ऐसे में बच्चों के मन में माता- पिता का डर जरूरत से ज्यादा हो जाता है और वे उनके साथ एक दोस्ताना रिश्ता रखने से भी डरने लगते हैं। ऐसे बच्चे किसी को अपने मन की बात बताने में भी घबराते हैं।

उन्हें समझाने के लिए स्वाभाविक नतीजे बताएं

आप चाहे कितना भी डांट लें और धमकी दें उन्हें कभी भी अपनी गलती समझ नहीं आएगी। सबसे अच्छा तरीका है कि उन्हें समझाने के लिए व्यावहारिक नतीजे देखने दें। उदाहरण के तौर पर- आपने अपने बच्चे को कमरा साफ रखने की हिदायत देती है तो छोड़ दें। जब उसकी चीजें खोने लगेंगी तो उसे खुद ही यह बात समझ आएगी। इसमें वक्त तो ज्यादा लगेगा लेकिन तरीका कारगर जरूर है।

जरूरत पड़ने पर पैरेंट्स बनें

ऐसा कहा जाता है कि हर किसी को अपने बच्चे के साथ दोस्त की तरह बर्ताव करना चाहिए लेकिन आप इस बात का ख्याल रखें कि यह आपको पैरेंट्स बनने से नहीं रोके। दोस्त हर गलतियों को नजरअंदाज करते हैं लेकिन पैरेंट्स को अपने बच्चों की गलतियां और गलत फैसले करने से रोकना चाहिए। आप इस बात से ना डरें कि उन्हें रोकने और सलाह देने से वे आपसे दूर हो जाएंगे या नाराज हो जाएंगे। हो सकता है कि वे कुछ समय के लिए आपसे नाराज हो जाएं लेकिन बेहतर यही है कि कुछ पलों की नाराजगी झेल ली जाएं। परिस्थियों के हिसाब से आपको सख्त भी होना ही पड़ेगा।