इन संकेतों से दिखती हैं इंसान की मैच्योरिटी, जानें आप कितने हैं सक्षम

मुश्किलें और बाधाएं जिंदगी का अहम हिस्सा हैं। अगर आज जिंदगी में दुख है, तो कल खुशी भी होगी। इंसान अपने जीवन में आने वाले अनुभवों से सीखकर ही खुद को बेहतर बनाता है। समय के साथ इंसान मैच्योर हो जाता हैं और उसमें सही फैसला लेने की समझ विकसित हो जाती हैं। खुद को बेहतर बनाने के लिए लगातार प्रयास करते रहना बहुत जरूरी हैं। ऐसे में आपको यह समझना जरूरी हैं कि मैच्योरिटी की कोई उम्र नहीं होती हैं, यह पूरी तरह से आप पर निर्भर है कि आप कैसे सीखते हैं और कब मैच्योर होना चाहते हैं। आज इस कड़ी में हम आपको उन संकेतों के बारे में बताने जा रहे हैं जो इंसान की मैच्योरिटी को दर्शाते हैं। आइये जानते हैं इनके बारे में...

आप सुनते ज्यादा और बोलते कम हैं

जब हमें इस बात का अहसास होता है कि हमारे बोलने से ज्यादा हमारी सुनने की क्षमता अच्छी होती है तब हम ज्यादा जानकारी प्राप्त करने लगते हैं। इसके अलावा, हम तभी बोलते हैं जब हमें बोलने की जरूरत होती है और पहले से अधिक जानकारी होने की वजह से हम जब भी बोलते हैं तो वह सुनने वाले को तर्कसंगत लगता है। यह लोगों में हमारे लिए एक अच्छी छवि निर्माण करने का काम करता है। इससे हम विचारशील और गंभीर लगते हैं। लिहाज़ा, कम बोलना परिपक्वता की एक बहुत बड़ी निशानी है।

अपने मूल्यों पर टिके रहना

मैच्योर और सेंसिबल लोगों की सबसे बड़ी पहचान होती है कि वे अपने मूल्यों और फैसलों पर टिके रहते हैं। डॉ ललिता के मुताबिक अपनी वेल्यू पर काम करना सबसे ज्यादा जरूरी है। इससे आपका कॉन्फ़िडेंस लेवल बढ़ेगा और आप किसी भी हार्ड सिचुएशन का आसानी से सामना कर पाएंगी।

अपनी कमजोरियों और क्षमताओं के प्रति सजग रहना

ऐसे लोग जो अपनी कमजोरी और खूबियों के प्रति सजग रहते हैं। मुश्किल वक्त में घबराकर नहीं संभलकर फैसला लेते हैं, उन्हें हर बार किसी के सजेशन की जरूरत नहीं पड़ती, अपने फैसले खुद लेते हैं, ऐसे लोग जिंदगी को ज्यादा बैलेंस करके जी पाते हैं। इन खूबियों को पहचानने वाले लोग अपने आसपास के वातावरण के प्रति अवेयर रहते हैं, सेल्फ मोटिवेडिट रहते हैं और लोगों के साथ हेल्दी बाउंड्रीज बनाते हैं।

बहस करना पसंद नहीं करते

अक्सर, हम ज्यादा बहस करने वाले व्यक्ति को बचकानी हरकत करने वाला कहते हैं। वो कहावत तो आपने सुनी ही होगी कि आप बहस से बहस तो जीत जाएंगे लेकिन अपने करीबी को खो देंगे। ऐसे में, बहस से बचना ही सबसे बेहतर ऑप्शन है, क्योंकि यह जरूरी नहीं कि अगर आप किसी की बात से सहमत नहीं तो वह गलत है। लिहाजा, जब आप बहस जैसी चीजों से खुद को दूर करने लगते हैं और एडजस्टमेंट को बेहतर विकल्प समझते हैं तो यह आपकी मैच्योरिटी को दर्शात है।

अपने लिए स्पेस बनाना

जितना जरूरी खुद को कंफर्ट जोन से बाहर निकालना है, उतना ही जरूरी अपने लिए स्पेस बनाना भी है। एक्सपर्ट ललिता के अनुसार खुद को स्पेस देना आपकी मेंटल हेल्थ के लिए बेहद जरूरी है। इसलिए आपको खाली समय में अपनी इच्चाओं पर काम करना चाहिए। काम और जिम्मेदारियों से हटकर कुछ समय अपने लिए जरूर निकालना चाहिए। जिससे आपको आंतरिक रूप से खुशी मिल सकें।

गलतियों को छोड़ना

कुछ लोगों की आदत होती कि वे छोटी-छोटी बातों पर बहुत इमोशनल हो जाते हैं। उन बातों को लंबे समय तक दिल पर लगाकर रखते हैं। ऐसी बातों से जो जल्दी बाहर निकल जाते हैं या फिर कहें कि जब उनके सामने उनकी आलोचना होती है तब वे उसे कैसे हैंडल करते हैं। गलतियों को समय से छोड़ उनसे सीख लेने वाले लोग मैच्योर कहलाते हैं।

धैर्यवान होना

आजकल की डिमांडिंग दुनिया में धैर्यवान होना वाकई में काबिले-ए-तारीफ है। हम पता नहीं चलता है लेकिन हम से ज्यादातर लोगों की आदत कुछ ऐसी हो जाती है कि हमारा काम तुरंत होना चाहिए। सब्र नाम के शब्द से हमारा कोई खास नाता नहीं रहता है। लिहाजा, जब आप इन सब चीजों से परे हो जाते हैं और इन सब बातों से पैनिक करना बंद कर देते हैं तो आप मैच्योर होने की तरफ बढ़ रहे हैं। किसी भी काम में जल्दीबाजी न करना और किसी भी चीज के उसके समय पर होने देने के महत्त्व को समझना, ये सब मैच्योर होने की पहचान है।