बच्चों का स्वभाव चंचल होता है। वह आए दिन शरारतें करते हैं। उनकी ये शरारतें और नादानियां घर की रौनक बनाए रखती हैं। घर में मौजूद बच्चों का जमावड़ा किसी भी घर को जीवंत रखता हैं। लेकिन जब घर के बच्चों का बर्ताव ऐसा हो जाएं कि वे बात-बात पर लड़ने लगते हैं, तो माहौल को बिगड़ने में समय नहीं लगता हैं। ऐसे में उन्हें सुधारना और सही दिशा दिखाना पैरेंट्स की जिम्मेदारी बन जाती है। आज इस कड़ी में हम आपको कुछ ऐसी बातें बताने जा रहे हैं जिनका अनुसरण कर आप अपने बच्चों के बीच स्नेह और प्यार बढ़ाने का काम करेंगे। आइये जानते हैं कि बच्चों की लड़ाई की यह आदत कैसे दूर की जाए।
बच्चों से पहले खुद को सुधारेंअगर आप चाहते हैं कि बच्चा बहसबाजी से बचे और लोगों से सही से बात करे तो सबसे पहले खुद को सुधारें। आप बच्चे के सामने सही तरीके से बात करेंगे तो बच्चा भी अच्छी आदतें सीखेगा। अगर आप तू-तड़ाक में बात करेंगे या उसके सामने किसी से भी लड़ाई झगड़ा करेंगे तो बच्चा बहुत जल्दी कैच करेगा। आप चाहे तो ये बात खुद भी गौर करें कि जिन बच्चों के पेरेंट्स थोड़ा धीरे बोलते हैं या शांत होते हैं वो बच्चे भी ज्यादा एग्रेसिव नहीं बनते।
शांति से समझाएंबच्चे अगर जरूरत से ज्यादा लड़ने झगड़ने लगें और एक दूसरे के साथ समय बिताना पसंद ना करें तो माता-पिता को उनके विवादों को सुलझाने के लिए हस्तक्षेप करना चाहिए। बच्चों से बात करें और यह जानने की कोशिश करें कि वह एक दूसरे से इतना क्यों लड़ते हैं। कई बार कई बड़ा भाई या बहन अपने छोटे भाई/बहन से इनसिक्योर महसूस करने लगता है। बच्चों के बीच प्रतिस्पर्धा या जलन की भावना भी उन्हें एक दूसरे के खिलाफ कर देती है। ऐसे में माता पिता को उनके बीच की परेशानी को समझ कर बच्चों को समझाना चाहिए।
बच्चों के प्रति विनम्र रहें
बच्चों के सामने हमेशा विनम्र रहें। विनम्रता बच्चों को मिलजुलकर रहना सिखाती है। उनके सामने कभी पछपात न करें। ऐसा करने पर बच्चों के मन में असमानता का भाव और हीन भावना आएगी। इसलिए बच्चों को कभी ये फील होने न दें। कि आप उससे कम और दूसरे बच्चे से ज्यादा प्रेम करते हैं। ऐसे में आप विनम्र रहें।
बीच में ना आएंअपने बच्चों का बीच-बचाव करना कभी-कभी तो अच्छा लगता है लेकिन हर बार सही नहीं है। ऐसे में बच्चे ना केवल आपके ऊपर निर्भर हो जाएंगे बल्कि वे हर बार लड़ाई होने पर आप को ही बुलाएंगे। ऐसा करने से बच्चों का आत्मविश्वास भी कम होता है। इससे अलग यदि लड़ाई भाई-बहन में हुई है और अगर आपने कि सामने वाले का पक्ष लिया ऐसा करने से बच्चों के मन में ईर्ष्या की भावना पैदा हो जाती है।
एक-साथ काम करना सिखाएंअपने बच्चे को अगर आप एक-साथ काम करना सिखाएंगी तो उनमें प्यार बढ़ेगा और बच्चों की आपस में लड़ाई भी नहीं होगी। एक-साथ काम करने से वह एक-दूसरे को बेहतर तरह से समझ पाएंगे और इससे उनकी लड़ाई भी कम होगी।
संगत पर ध्यान देंजन्म से ही पारिवारिक रिश्ता होने के साथ ही भाई बहन एक दूसरे के दोस्त भी होते हैं। लेकिन जब वह कुछ बड़े होते हैं तो घर से बाहर निकल कर नए दोस्त बनाते हैं। घर से बाहर बच्चे को खराब संगत मिलने पर अपने भाई बहन से झगड़े कर सकते हैं । अभिभावक को इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि बच्चा कैसी संगत में है अगर वह झगड़ालू लोगों से दोस्ती करता है तो घर आकर अपने भाई बहन से भी झगड़ा करना सीख जाता है।
बच्चे में ईगो न पनपने दें
अपने बच्चे को शुरु से है थोड़ा पोलाइट बनायें, यानी उसे गलती करने पर सॉरी कहने में शर्म ना लगे या छोटी छोटी बातों को ईगो पर ना ले और नजरअंदाज करने वाला एटीट्यूड रखने के लिये समझायें। अगर बच्चा हर बात पर गुस्सा करेगा या खिसियेगा तो जब वो और बच्चों के साथ होगा तो हर छोटी-बड़ी बात पर दूसरे बच्चों से लड़ाई झगड़ा करेगा।