कहीं पछतावे का कारण ना बन जाए लिव-इन-रिलेशनशिप, चुनाव से पहले दें इन बातों पर ध्यान

लिव इन रिलेशनशिप में जिंदगी भर रहें। मगर, किसी रिश्ते को लंबे समय तक टिकाने के लिए उसके नियम-कानून और कुछ व्यवहारिक बातों को जानने के लिए कम से कम दो-चार मिनट देना चाहिए। लिव इन रिलेशनशिप में रहने के लिए आपका एक्साइटमेंट समझ सकते हैं। आपका लिव इन में रहने का फैसला कितना सही या गलत हो सकता है ये तो कोई नहीं बता सकेगा। अगर कोई केवल मौज-मस्ती के हिसाब से लिव इन रिलेशनशिप का चयन कर रहा है तो उनको संभलने की जरुरत है। आज की इस पोस्ट में हम लिव-इन रिलेशनशिप में जाने से पहले जानने क्या-क्या जान लेना चाइये वो बताने वाले है जिससे आपको कोई बड़ी परेशानी का सामना नहीं करना पड़े।

कानूनी मान्यताए जान लें

देश की शीर्ष अदालत सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, दो बालिग (लड़का व लड़की) अगर शादी किए बगैर भी अपनी मर्जी से पारिवारिक-वैवाहिक जीवन जी सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि विधायिका भी लिव इन रिलेशनशिप को वैध मानती है। सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में लिव इन रिलेशनशिप को लेकर एक गाइडलाइंस जारी किया था। इसके मुताबिक जो रिश्ता पर्याप्त समय (लंबे समय) से चल रहा है, इतना होना चाहिए कि वह टिकाऊ माना जा सके, ये कोर्ट तय करेगा। अगर दोनों पार्टनर लंबे समय से अपने आर्थिक व अन्य प्रकार के संसाधन आपस में बांट रहे हों तो ये भी रिश्ता लिव इन ही कहलाएगा।

मनी मैनेजमेंट की बता कर लें

अक्सर देखने को मिलता है की लिव-इन में रहने के बाद लड़का ही सारे खर्चे उठता है! अगर आपको लगता है कि पैसों को लेकर बाद में परेशानियां आ सकती हैं तो पहले ही इस बारे में बातें क्लियर कर लें।

लिव-इन में बच्चे के अधिकार

लिव-इन रिलेशनशिप के माध्यम से पैदा हुआ बच्चा वैध माना जाता है। जिसका अर्थ यह है कि, उस बच्चे की देखभाल की ज़िम्मेदारी उस जोड़े की ठीक उसी तरह होगी जैसी एक शादीशुदा पति-पत्नी की होती है। इसके अलावा कन्या भ्रूण हत्या और गर्भपात से संबंधित सभी प्रावधान और कानून उस बच्चे पर भी लागू होते हैं। इसके साथ ही लंबे समय से लिव-इन में रह रहे कपल्स बच्चे पैदा तो कर सकते हैं, लेकिन ऐसे जोड़ों को बच्चा ‘गोद’ लेने का अधिकार नहीं होता। लिव-इन रिलेशनशिप में पैदा हुए कपल के बायोलॉजिकल बच्चे को पूरे कानूनी अधिकार मिलते हैं।
कब होती है कानूनी कार्रवाई?

महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कानून बनाए गए हैं। इससे कोई पुरुष केवल सेक्स संबंध के लिए किसी लड़की के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहने के बाद छोड़ ना सके। अगर वह छोड़ता है तो उस पर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। लिव इन में रहने वाली महिलाओं के पास वो सारे कानूनी अधिकार हैं, जो भारतीय पत्नी को संवैधानिक तौर पर दिए गए हैं।घरेलू हिंसा से संरक्षण प्राप्त,प्रॉपर्टी पर अधिकार,संबंध विच्छेद की,स्थिति में गुजारा भत्ता,बच्चे को विरासत का अधिकार,लिव इन में रहने के बाद कोई लड़का उक्त लड़की को छोड़ देता है तो उसको उपरोक्त सुख-सुविधाएं कोर्ट दिलाने का काम करेगा। इसके लिए पीड़िता लड़की को लिव इन में होने के सबूत खासकर, आर्थिक लेनदेन के कागज कोर्ट के सामने पेश करने होंगे।

जब बाहर आना हो लिव-इन रिलेशन से

जो महिलाएं अपने पार्टनर से अलग होती हैं या होना चाहती हैं, वह हर तरह से उनका अपना यानि ‘इंडिविजुअल’ निर्णय होता है। वे किसी भी तरह से, रखरखाव के लिए पैसे यानि गुजारे भत्ते की मांग करने की हक़दार उसी स्थिति में होंगी, जबकि वह लिव इन रिलेशनशिप की बात साबित कर पाती हैं। अन्यथा नहीं।