इन 5 नियमों के साथ करें बच्चों की परवरिश, बचपन जीने के साथ ही आएगी समझदारी

हर बच्चा अपनी विशेषता लिए हुए होता हैं जिस वजह से उनकी दूसरों से तुलना करना उचित नहीं हैं। हर पेरेंट्स की चाहत होती हैं कि उनके बच्चे समझदार बने और अपनी जिम्मेदारियां समझे। इसके लिए पेरेंट्स को भी अपनी परवरिश पर ध्यान देने की जरूरत होती हैं। जी हाँ, बच्चे कच्ची मिट्टी की तरह होते हैं जिन्हें बचपन में जिस रूप में ढाला जाए, वे उसमें बदल जाते हैं। इसलिए आज हम आप पेरेंट्स के लिए बच्चों की परवरिश से जुड़े कुछ नियमों की जानकारी लेकर आए हैं जिन्हें अपनाकर आप बच्चों की अच्छी परवरिश कर पाएँगे और बच्चे भी अपना बचपन एन्जॉय कर पाएँगे। तो आइये जानते हैं बच्चों की परवरिश से जुड़े इन नियमों के बारे में।

तय करें सीमाएं
बच्चों के खेलने,पढ़ने यहां तक कि उनके खान-पान की सीमाएं जरुर तय करें। बेहतर परवरिश के लिए बच्चों को सीमाओं में रखना बेहद जरुरी है। इससे बच्चा जिम्मेदार बनने के साथ-साथ आने वाले जीवन में अनुशासन फॉलो करने वाला भी बनेगा। वे कितना फास्टफूड खा सकते हैं या कंप्यूटर और टीवी पर कितनी देर गेम खेल सकते हैं इन सब की सीमाओं को निर्धारित करना बेहद जरुरी है।

सीमाओं पर रहें अडिग|
बच्चे कई बार जिद्द करके अपनी बात मनवा लेते हैं। उनका भोला चेहरा हमें ऐसा करने पर मजबूर कर देता है। हुआ कभी-कभार बात मान ली, मगर हर बार उनकी जिद्द पूरी करना उन्हीं के लिए आऩे वाले भविष्य में गलत बात साबित होगी। आपने जो रुल्स तय किए हैं उनपर खुद भी डटे रहें और बच्चों को भी उन्हें फॉलो करने के लिए प्रेरित करें।

बच्चा की जिद यूं करें हैंडल
बच्चा जब किसी चीज के लिए जिद्द करे तो उसे जितना हो सके इगनोर करें। बच्चों की जिद के आगे हम अक्सर हथियार डाल देते हैं। मगर एक बार ऐसा करने पर बच्चे बिगड़ते जाते हैं। इसका सबसे अच्छा तरीका है बच्चे जब जिद करें तो उन्हें पूरी तरह नजर अंदाज करें। कुछ देर बाद बच्चे को एहसास हो जाएगा कि उसके रोने-धोने से उसकी बात नहीं मानी जाएगी। आगे से बच्चा ऐसा करना बंद कर देगा।

हाथ उठाना सोल्यूशन नहीं
कई बार मां-बाप गुस्से में आकर बच्चे पर हाथ उठा देते हैं। मगर ऐसा करने से बच्चे जिद्दी हो जाते हैं। साथ ही उन पर हाथ उठाकर हम उन्हें भी हिंसा करना सिखा रहे हैं। जब बच्चे स्कूल जाएंगे तो छोटी-मोटी नोक झोक पर वह भी ऐसा ही करेंगे।

फैसला न कर पाने की स्थिति
कई बार बच्चे कुछ ऐसा पूछ लेते हैं जिनका जवाब दे पाना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में सबसे पहले बच्चे को स्वाल पूछने के पीछे छिपा कारण पूछें। अगर आपको स्वाल ठीक नहीं लग रहा तो बच्चे को बहुत ही तरीके से उसके किसी मनपसंद काम में लगा दें। कोई कैंडी देकर आप उसका मन बहला सकते हैं।