क्या आप भी कर रहे हैं लिव इन रिलेशनशिप में आने की प्लानिंग, रखें इन बातों का ख्याल

एक रिलेशनशिप की शुरुआत करना बेहद आसान होता है, लेकिन उसे सच्चे मन से निभाना बेहद मुश्किल होता है। दो लोगों के बीच का रिश्ता बहुत ही प्यार भरा होना चाहिए। वरना एक रिश्ता दो लोगों के लिए प्यार की जगह बोझ बनकर रह जाता है। आजकल लोग लिव इन रिलेशनशिप में रहने लगे हैं। लिव इन रिलेशनशिप में एक अविवाहित जोड़ा जैसे गर्लफ्रेंड और बॉयफ्रेंड एकसाथ एक ही घर में रहते हैं। दोनों पार्टनर एकसाथ सभी जिम्मेदारियों को उठाते हैं। लेकिन कई बार लिव इन रिलेशनशिप में रहने का फैसला भारी पड़ जाता हैं। ऐसा इसलिए होता है क्‍योंकि आप अपने पार्टनर को सही तरीके से समझने में गलती कर देते हैं। तो आपको लिव इन रिलेशनशिप में आने के इस फैसले पर पहुंचने से पहले कुछ बातों पर ध्यान रखने की जरूरत हैं। आइये जानते हैं इनके बारे में...

फाइनैंशल सपोर्ट है जरूरी

जब आप लिव इन रिलेशनशिप में होते हैं, तो आपको एक पूरा घर बसाने की जरूरत होती है। ऐसे में आपको आर्थिक तौर पर तैयार होना होगा। इसके बिना आपका लिव इन रिलेशनशिप में रहना आसान नहीं है। फाइनैंशल सपोर्ट दोनों पार्टनर्स की ओर से होना भी बहुत जरूरी है, वरना कुछ ही वक्त में आपका रिश्ता बोझ बन सकता है। आप दोनों के बीच फाइनैंशल सपोर्ट को लेकर मनमुटाव भी पैदा हो सकता है। ऐसे में पहले से तैयार रहें।

कमिटमेंट का रखें ध्‍यान

रिलेशन में आने से पहले ये बात जरूर जान लें कि आपका पार्टनर कमिटमेंट को लेकर कितना पक्के है? कई लोग कमिटमेंट को लेकर बिलकुल भी सीरियस नहीं रहते है। वे लोग आपको कह सकते हैं कि फ्यूचर का सोचकर वर्तमान क्यों खराब करना, बाद की बाद में देखेंगे। ऐसा कहने वाले लोग आपको बाद में दिक्‍कत दे सकते हैं। जो फ्यूचर के बारे में नहीं सोचता है वो रिलेशनशिप को लेकर सच में क्‍या सीरियस होगा?

एक-दूसरे का कमियों को एक्सेप्ट करें

लिव इन रिलेशनशिप में आने के बाद आपको अपने पार्टनर की इच्छाओं और कमियों को स्वीकार करना होगा। आप उन्हें अलग नहीं समझ सकते। ऐसे में आपको एक-दूसरे से अपनी हर बात कहनी होगी। इसके साथ ही एक-दूसरे को अच्छे से समझने की कोशिश करनी होगी। तभी आपका ये रिश्ता मजबूत होगा।

पर्सनल स्पेस

अक्सर साथ रहने के कारण कपल में बोन्डिंग बढ़ने के साथ-साथ लड़ाई-झगड़े भी बढ़ जाते हैं। इसका एक कारण यह भी होता है कि आप खुद के लिए एक पर्सनल स्पेस नहीं रख पा रहे हैं। बता दें कि आज के टाइम में कामकाज का स्ट्रेस और जिम्मेदारियों के बाद हर दूसरे इंसान को पर्सनल स्पेस की आवश्कता होती है और कई बार हमारा पार्टनर इस बात को गलत तरीके से समझ लेते हैं। इसलिए कोशिश करें कि सही शब्दों का इस्तेमाल करके अपने पार्टनर को समझाएं और अपने लिए पर्सनल स्पेस जरूर निकालें।

टॉक्सिक रिलेशनशिप पर दे ध्यान

अगर आप दोनों का रिश्ता पहले से ही अच्छा नहीं चल रहा या कहें टॉक्सिक है तो एकसाथ लिव-इन रिलेशनशिप में रहना सही फैसला नहीं है। टॉक्सिक रिलेशनशिप में आपसी समझ की कमी होती है जिससे एक पल तो आप खुश रहते हैं लेकिन अगले ही पल सोचने लगते हैं कि इस व्यक्ति से आपको प्यार क्यों है।

अपनी पहचान को न भूलें

कई बार नए-नए रिश्ते की एक्साइटमेंट में आकर हम अपने पार्टनर की गलत बातों को भी नजरअंदाज कर देते हैं और दूसरे इन्सान की भावनाओं को ठेस न पहुंचे। इसके लिए आप अपने मन की बात नहीं कह पाते हैं। बता दें कि यही चीजें मन में इकट्ठी हो जाती हैं और बाद में लड़ाई-झगड़े के समय सामने आती है, जिसके कारण कभी-कभी छोटी सी बात ही काफी बड़ी बन जाती है।

सीमा न लांघना

लिव-इन रिलेशनशिप में दोनों लोगों को एक-दूसरे की सीमा का अंदाजा होना चाहिए और उसे लांघने का प्रयास नहीं करना चाहिए। आप एक साथ रहते हैं, इसका मतलब यह नहीं कि पर्सनल स्पेस जैसी कोई चीज़ नहीं होनी चाहिए। हर व्यक्ति की अपनी एक निजी जिंदगी होती है। एक पर्सनल स्पेस होता है। पार्टनर को उस स्पेस का ख्याल रखना चाहिए। आप रिलेशनशिप में हैं इसका मतलब ये बिल्कुल भी नहीं कि आप दायरा लांघ जाए और अपने पार्टनर की बातों का सम्मान न करें। अगर आपका पार्टनर इस बात का ख्याल रखता है तो आप लिव-इन के बारे में सोच सकते हैं।

लिव-इन में हमेशा के लिए न रहें

कपल्स को साथ रहने की समय-सीमा तय करनी चाहिए। यदि यह एक लंबा समय रहा है, तो उनमें से एक उम्मीद करना शुरू कर सकता है और सोच सकता है कि शादी का फैसला अभी तक क्यों नहीं आया। यह देखते हुए कि रिश्ते के लिए आपके इरादे स्पष्ट हैं, कोई भी शादीशुदा जोड़े के लेबल के बिना नहीं रह सकता। लेकिन जो लोग उसी तरह रहने में सहज हैं, उनके लिए समाज और आंख उठाने वालों का सामना करने के लिए तैयार रहें।

अपनों से संपर्क बनाए रखना


लिव-इन में आने के बाद या अगर आप अभी रह रहे हों तो इसका मतलब यह नहीं कि अपनों से बातचीत बंद कर दी जाए। या बाहरी दुनिया से संपर्क एकदम खत्म कर लिया जाए। अपने दोस्तों या फैमिली के नजदीकी मेंबर से हमेशा अपनी तकलीफें बताते रहें, ताकि उन्हें आपकी स्थिति के बारे में मालूम हो और वह आपकी बुरे वक्त में मदद कर सकें।