बच्चों को जरूर सिखाएं दूसरों के घर जाने पर कैसा हो उनका व्यवहार, होगी आपके परवरिश की तारीफ

ऐसा कहा जाता है कि छोटे बच्चे दिल के सच्चे होते हैं और वे हमेशा वही बोलते व करते हैं, जो उनके मन को भाता है। ऐसे में कई बार पेरेंट्स की हालत तब खराब हो जाती हैं जब वे अपने बच्चों को अपने दोस्त या रिश्तेदारों के घर ले जाते हैं और बच्चा अभद्र व्यवहार कर देता हैं। कई बार हो सकता है कि आपका शांत बैठे रहने वाले बच्चा किसी दूसरे घर में जाकर एक जगह बैठे ही नहीं, या फिर कोई ऐसी शरारत कर जाए जो आपने उसे पहले कभी करते हुए नहीं देखा। ऐसे में पेरेंट्स को शर्मिंदगी का सामना करना पड़ जाता हैं। इसके लिए जरूरी हैं कि आप अपने बच्चों की परवरिश पर ध्यान दें और उन्हें सिखाएं कि दूसरों के घर जाने पर कैसा व्यवहार किया जाए। चलिए जानते हैं बच्चों को कौन सी आदतें सिखानी चाहिए ताकि आपके परवरिश की तारीफ हो।

बिना पूछे ना छुए किसी का सामान

बच्चे अक्सर अपने घर पर किसी भी सामान को छूने से पहले माता-पिता से नहीं पूछते। यहीं आदत वे दूसरे के घर में जाकर भी भूल नहीं पाते हैं। ऐसे में अगर माता-पिता अपने बच्चे को किसी दूसरे के घर में भेज रहे हैं तो सबसे पहले उसे यह समझाएं कि किसी भी चीज को छूने से पहले बड़ों से पूछना जरूरी है बिना पूछे किसी भी चीज को छूना गलत आदतों में से एक है।

सबका आदर करें

घर हो या बाहर एक बच्चे का जीवन सफल बनाने के लिए उसे ये चीजें सिखाना बहुत जरूरी है। अपने बच्चे को सिखाएं कि जब वह दूसरे के घर जाता है, तो अपने से बड़ों को नमस्ते करे और छोटे बच्चों के साथ हमेशा प्यार से पेश आए। छोटे बच्चों को हमेशा अपने से बड़ों के साथ आदर से बात करनी चाहिए।

ईटिंग हैबिट्स

घर में बच्चे क्या खाएंगे और क्या नहीं ये बहुत कुछ पैरेंट्स ही तय करते हैं। लेकिन, बाहर जाकर बच्चों को थोड़ा ही मौका मिले तो वे अपनी ईटिंग हैबिट्स से अलग कुछ भी खाने लगेंगे। इसलिए कहीं बाहर जाने से पहले ही बच्चों को ये समझा दें कि उन्हें खुद कुछ लेकर नहीं खाना है। खाने-पीने के तौर-तरीके उन्हें घर से ही सिखाने होंगे।

दूसरों के घर जाने का समय

हो सकता है बच्चों के कुछ ऐसे फ्रेंड्स हों जो अक्सर साथ खेलते हों। एक-दूसरे के घर भी अच्छा आना और जाना हो। लेकिन, कम उम्र से ही बच्चों को दोस्तों के घर जाने का सही समय समझाना जरूरी है। किसी के खाने या आराम करने के समय पर बच्चे उनके घर ना जाएं। इसके अलावा घर के लोगों के व्यस्त समय पर भी बच्चों का वहां जाना अच्छी बात नहीं मानी जाएगी।

तेज-तेज बात ना करें

बच्चे अपने घर में तेज-तेज बात करते हैं या चीखतें चिलाते रहते हैं और माता-पिता उनकी नादानी समझकर उन्हें रोकते भी नहीं है। लेकिन यह आदत आगे चलते उनके लिए घातक बन सकती है। ऐसे में अगर आपके बच्चों को चीखने चिल्लाने की आदत है तो उसे दूसरे के घर में भेजने से पहले समझाएं कि किसी के भी घर में जाकर तेज-तेज बात ना करें। जितना हो सके उतना सुनने की कोशिश करें।

जिद न करना

अकसर बच्चे अपने घर पर किसी ना किसी चीज के लिए जिद करते हैं। वहीं माता-पिता भी छोटे बच्चे समझकर उस जिद को पूरा कर देते हैं। लेकिन ये आदत उन्हें परेशान कर सकती है। ऐसे में माता-पिता की जिम्मेदारी है कि वे अपने बच्चों को सिखाएं कि किसी के घर में जाकर ऐसा ना करें और बड़ों की बात चुपचाप मानें। ऐसा करने से ना केवल आपको प्रेम मिलेगा बल्कि माता पिता का भी सर ऊंचा होता है।

बिना बताएं वापस न आए

ये छोटी-छोटी बातें बच्चे के व्यवहार को अच्छा बनाती हैं और फिर सब उससे प्यार करने लगते हैं। अगर आपको बच्चा पड़ोसी के घर पर उनके बच्चों के साथ खेल रहा है, तो उसे बिना बताए नहीं आना चाहिए। अगर बच्चे अपने घर पर वापस आना चाहता है, तो पड़ोसी के घर पर किसी भी बड़े को बताकर ही आना चाहिए। बिना पूछे उनके घर से चले जाना बच्चे के व्यवहार को गैर-जिम्मेदार और लापरवाह बनाता है।