बच्चों को उनके बचपन से ही सही सीख दी जाए तो उनका आने वाला भविष्य निखर जाता हैं और उनमें गलत आदतें नहीं पनपती हैं। अक्सर बच्चों में हाथ उठाने या मारने की आदत देखि जाती हैं जो उनके व्यवहार के लिए अच्छा नहीं होती हैं। शुरुआत में बच्चों की ये आदत नादानी भरी लगती हैं लेकिन आगे बढ़कर यह परेशानी बन जाती हैं। ऐसे में यह बहुत जरूरी हो जाता हैं कि बच्चों को समझाइश की जाए। आज इस कड़ी में हम आपको बताने जा रहे हैं कि किस तरह आप बच्चों के मारने या हाथ उठाने की आदत को दूर कर सकते हैं।
क्यों मारते या हाथ उठाते हैं बच्चे?
आमतौर पर छोटे बच्चे खासकर 1.5 से 2 साल की उम्र में बच्चों में इस तरह की आदतें आना शुरू हो जाती हैं। इसका कारण यह है कि इस उम्र तक बच्चों में पसंद-नापसंद की समझ आ जाती है। ऐसे में कई बार अपने पसंद की चीज न मिलने या अपने पसंद की बात न होने पर बच्चे हाथ उठाते हैं और मारने लगते हैं। इसी तरह कुछ बच्चे सामने वाले का ध्यान आकर्षित करने के लिए भी ऐसा करते हैं। बच्चों में सिर्फ मारने नहीं, बल्कि दांत कांटने, चिल्लाने, बाल खींचने जैसी आदतें भी इसी तरफ इशारा करती हैं। अगर आपका बच्चा ऐसा करता है, तो इन 3 तरीकों से उसे समझाएं।
बच्चे को तुरंत पकड़कर समझाएं
आपका बच्चा मारने या चिल्लाने की आदत घर के अन्य सदस्यों से ही सीखता है। ऐसे में सबसे पहले तो यही जरूरी है कि घर के सदस्यों को बच्चों के सामने सही से पेश आना चाहिए। दूसरी जरूरी बात ये है कि जब भी आपका बच्चा आप पर हाथ उठाता है, आपको उसे उसी समय सामने बिठाकर या खड़ा करके कुछ बातें समझानी चाहिए। बच्चे को समझाएं कि मारना या हाथ उठाना गलत आदत है। बच्चे को बताएं कि उन्हें कैसे पेश आना चाहिए। घर के अन्य सदस्यों को भी समझाएं कि वो सिर्फ थोड़े से मजे के लिए बच्चे को किसी को मारने के लिए या दांत काटने के लिए न उकसाएं।
बच्चे पर गुस्सा न करें
अगर आपका बच्चा आपको या किसी और को मारता है, तो उस पर तुरंत गुस्सा न करें, बल्कि उसे प्यार से समझाएं और बहुत प्यार से बात करें। अगर आपका बच्चा किसी अन्य के सामने ऐसा करता है या पब्लिक प्लेस पर ऐसा करता है, तो भी आपको उस पर हाथ नहीं उठाना चाहिए। क्योंकि इससे भी बच्चा हिंसा ही सीखेगा। जबकि आप उसे अगर प्यार से समझाएंगे तो वो आसानी से समझ जाएगा कि मारना या हाथ उठाना अच्छी आदत नहीं है।
बच्चे को बताएं कि हाथ उठाने की जगह वो क्या कर सकता है
सबसे पहले बच्चे से ये सवाल करें कि उसने मारा या हाथ क्यों उठाया। इसका जो भी जवाब बच्चा आपको देता है, तो उसी समय बच्चे को बताएं कि वो हाथ उठाने या मारने की जगह किन तरीकों का इस्तेमाल उसी एक्सप्रेशन को सभ्य तरीके से जाहिर करने के लिए कर सकता है। जैसे अगर बच्चे को कोई बात बुरी लगी है, तो वो इसे बोलकर या इशारा करके बता सकता है। अगर बच्चा अटेंशन पाना चाहता है, तो वो कोई खास शब्द बोलकर या छूकर बता सकता है। बच्चे को सिखाएं कि वो अपनी गुस्से/नापसंदगी/परेशानी की भावनाओं को कैसे प्रदर्शित कर सकते हैं।