बच्चों की शरारत उठाती हैं पेरेंट्स की परवरिश पर सवाल, उन्हें सिखाएं दूसरों के घर जाने पर क्या करना चाहिए

बच्चे जब भी कभी गलतियां करते हैं इसका इल्जाम पेरेंट्स की परवरिश पर जाता हैं। बच्चे सही अनुशासित हो तो वे पेरेंट्स का नाम ऊंचा करते हैं। खासतौर पर जब बच्चे अपने पेरेंट्स के साथ किसी दूसरे के घर जाते हैं तो वहां पर कैसा व्यवहार करते हैं यह बहुत मायने रखता हैं। ऐसे में जरूरी हैं कि अपने बच्चों को यह सिखाया जाए कि जब दूसरों के घर जाया जाए तो वहां कैसा व्यवहार किया जाना हैं यह उन्हें सिखाया जाए। आज इस कड़ी में हम आपको उन्हीं बातों के बारे में बताने जा रहे हैं।


बिना पूछे ना छुए किसी का सामान

बच्चे अक्सर अपने घर पर किसी भी सामान को छूने से पहले माता-पिता से नहीं पूछते। यहीं आदत वे दूसरे के घर में जाकर भी भूल नहीं पाते हैं। ऐसे में अगर माता-पिता अपने बच्चे को किसी दूसरे के घर में भेज रहे हैं तो सबसे पहले उसे यह समझाएं कि किसी भी चीज को छूने से पहले बड़ों से पूछना जरूरी है बिना पूछे किसी भी चीज को छूना गलत आदतों में से एक है।

तेज तेज बात ना करें

बच्चे अपने घर में तेज-तेज बात करते हैं या चीखतें चिलाते रहते हैं और माता-पिता उनकी नादानी समझकर उन्हें रोकते भी नहीं है। लेकिन यह आदत आगे चलते उनके लिए घातक बन सकती है। ऐसे में अगर आपके बच्चों को चीखने चिल्लाने की आदत है तो उसे दूसरे के घर में भेजने से पहले समझाएं कि किसी के भी घर में जाकर तेज-तेज बात ना करें। जितना हो सके उतना सुनने की कोशिश करें।

इधर उधर ताका झांकी करना

जब बच्चे किसी दूसरे के घर में जाते हैं तो वहां पर रखी चीजें देखकर उनका मन करता है कि वे उस चीज को और करीब से देखें। ऐसे में उनकी आदत दूसरों की नजर में ताकत झांकी कहला सकती है। माता-पिता की जिम्मेदारी है कि वे अपने बच्चों को समझाएं अगर आपको कोई चीज पसंद आ रही है तो उसके बारे में सीधे बड़ों से पूछें और अपनी ताका झांकी की आदत को छुड़ाने के लिए अपनी नजरों को केवल एक जगह पर टिकाएं रखें।

जो मिले वही खाएं

बच्चे अक्सर अपने घरों में माता-पिता से जिद करते हैं कि उन्हें यह नहीं खाना क्या उन्हें वह खाना है। ऐसे में घर पर इस तरीके की ज़िद आम बात है। लेकिन दूसरे के घर जाकर इस तरीके की जिद करना एक गलत आदत कहलाती है। ऐसे में माता-पिता की जिम्मेदारी है कि वह अपने बच्चे को समझाएं कि वहां जो मिले उसे चुपचाप खा लें। बच्चों की जिद करने की आदत बदलें। वहीं अगर उनका मन कुछ अच्छा खाने को कर रहा है तो उनके लिए घर पर कुछ अच्छा सा बना देंगे।

किसी की बात को बीच में रोक कर खुद की बात बोलना

अकसर बच्चे बिना किसी की बात सुनें अपनी बात बिना रुके बोले चले जाते हैं। ऐसे में दूसरे के घर में जाते हैं तो इस आदत के चलते वे वहां पर भी बड़ों को चुप करके या बड़ों को बीच में रोक कर खुद बोलना शुरू कर देते हैं। यह आदत भी गलत होती है। ऐसे में बड़ों का अपना अपमान नजर आता है। माता पिता की जिम्मेदारी है कि बच्चों को जब भी दूसरे के घर भेजें तो इसे समझाएं कि सामने वाले की पूरी बात खत्म होने के बाद ही अपनी बात को रखें।

किसी भी चीज के लिए जिद न करना

अकसर बच्चे अपने घर पर किसी ना किसी चीज के लिए जिद करते हैं। वहीं माता-पिता भी छोटे बच्चे समझकर उस जिद को पूरा कर देते हैं। लेकिन ये आदत उन्हें परेशान कर सकती है। ऐसे में माता-पिता की जिम्मेदारी है कि वे अपने बच्चों को सिखाएं कि किसी के घर में जाकर ऐसा ना करें और बड़ों की बात चुपचाप मानें। ऐसा करने से ना केवल आपको प्रेम मिलेगा बल्कि माता पिता का भी सर ऊंचा होता है।

बिन बताए कहीं बाहर न जाना

अकसर माता-पिता अपने बच्चे को बाहर घुमाने या घर के आस-पास किसी दुकान या कुछ चीज खरीदने के लिए ले जाते हैं। ऐसे में बच्चे घर के आसपास के रास्तों को याद कर लेते हैं। लेकिन जब वे दूसरे के घर में जाते हैं तो उन्हें वहां के रास्ते या गली के बारे में नहीं जानते। ऐसे में अगर वे बिना बताएं बाहर निकल जाएं तो खोने का डर बना रहता है। माता-पिता को सिखाना चाहिए कि जब भी वे घर से बाहर जाए तो किसी बड़े को बताकर जाएं।