बच्चों की परवरिश करना कोई आसान काम नहीं हैं। इसमें कई बार आपको बच्चों का रूठना-मनाना भी झेलना पड़ता हैं तो कई बार अपनी सोच से हटकर उनके बारे में सोचन पड़ता हैं। कई लोग सोचते हैं कि उनके पास बहुत पैसा होगा तभी बच्चों की अच्छी परवरिश हो पाएगी। लेकिन ऐसा नहीं हैं जिसका उदाहरण बनते हैं आपके खुद के पेरेंट्स जिन्होनें कम खर्चे में भी परिवार को मैनेज करते हुए आपको अच्छी परवरिश दी हैं। ऐसे में अब आपका टाइम हैं उनसे कुछ सीखते हुए और बच्चों को पैसों की अहमियत समझाते हुए फिजूलखर्ची से दूर रहने का। आज इस कड़ी में हम आपको बताने जा रहे हैं कि किस तरह आप कम खर्चे में बच्चों की परवरिश को मैनेज कर पाएंगे।
चाहत से पहले जरूरत
आपको बचपन में हमेशा अपने पेरेंट्स से यही सुनने को मिला होगा कि डेजर्ट तभी मिलेगा जब आप अपनी प्लेट का सारा खाना खत्म कर लेंगे। इससे आपको अपनी चाहत पूरी करने के लिए पहले शरीर की पोषण की जरूरत को पूरा करना होता था। बच्चों की परवरिश में भी यही बात मायने रखती है कि आपको अपने बच्चे की हर चाहत या डिमांड को पूरा करने की जरूरत नहीं है। पहले परिवार की जरूरतों पर ध्यान दें।
बच्चों को सिखाएं पैसों की अहमियत
बच्चों को पैसों की अहमियत, खर्च और बचत के बारे में जानकारी देनी जरूरी हैं। इससे अर्थव्यवस्था को लेकर बच्चे की समझ भी मजबूत होगी। आप अपने इकनॉमिक आइडियाज को अपने बच्चों के साथ शेयर करें और उन्हें बताए कि सुरक्षित भविष्य के लिए फाइनेंशियल प्लानिंग कितनी जरूरी है। अपने बच्चों के लिए पैसे को अदृश्य चीज न बनाएं।
खर्चों पर रखें पैनी नजर
पहले की महिलाएं काम पर नहीं जाती थीं और घर चलाती थीं। उन्हें पति की कम कमाई में ही परिवार के सभी सदस्यों की जरूरतों को पूरा करना होता था। वहीं पेरेंट्स बच्चों को एक फिक्स पॉकेट मनी देते थे। इससे बच्चों को यह समझने का मौका मिलता था कि उन्हें किस चीज पर कितने पैसे खर्च करने चाहिए और वो पहले जरूरत की चीजें खरीदा करते थे।
बच्चों से करें बजट की बातचीत
जिस तरह से आप घरों में बच्चों की परवरिश करते वक्त उन्हें रिश्तों के बारे में बताते हैं। खेलों के बारे में जानकारी देते हैं, उसी तरह से पैसों को लेकर भी उनकी समझ को विकसित करें। बच्चों के साथ संभव हो तो घर में बजट को लेकर बातचीत करें। उन्हें गुल्लक दें और पैसे जमा करना सिखाएं। अगर आपका बच्चा आपसे पैसों को लेकर बातचीत करता है तो उसे प्यार से अर्थ के बारे में जानकारी दें।
क्रेडिट कार्ड को भूल जाएं
हमारे पेरेंट्स उतना ही खर्च करते थे, जितना उन पर कैश होता था। इससे वे उधारी लेने से बच जाते थे और ये बात भी समझते थे कि पहले किस चीज पर खर्च करना है। वो कभी वो चीज नहीं खरीदते थे, जिसके लिए उनके पास पैसे न हों। आजकल क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल का चलन काफी बढ़ गया है और अपने बच्चों की जरूरतों को पूरा करने के लिए हम अपनी क्षमता से ज्यादा खर्च कर देते हैं। इसका असर पूरे परिवार की फाइनेंशियल स्थिति पर पड़ता है इसलिए अपने पेरेंट्स से सीखें कि उतना ही खर्च करना चाहिए, जितना आपके पास पैसा हो। अगर आपका बच्चा आपसे डेबिट और क्रेडिट कार्ड के बारे में पूछता है तो उसे झिड़के न बल्कि आसान भाषा में इन चीजों के बारे में बताएं। बच्चों को बैंक और खाते के बारे में भी जानकारी दें। इन सभी चीजों को बच्चों की परवरिश में शामिल करें।
करनी होगी एक्स्ट्रा मेहनत
आप जब कोई एक्स्ट्रा काम करते थे, तो आपके मां-बाप आपको एक्स्ट्रा पैसे या कैंडी देते थे। इससे यह सीख मिलती है कि लाइफ में कुछ ज्यादा पाने के लिए एक्स्ट्रा काम भी करना पड़ता है। आप भी अपने बच्चे को रिवॉर्ड देकर समझाएं कि कोई भी चीज मुफ्त में नहीं मिलती है। अपनी पसंद और चाहत को पूरा करने के लिए हमेशा मेहनत करनी पड़ती है।