आसान नहीं हैं सिंगल चाइल्ड की परवरिश करना, रखें इन बातों का ध्यान

एक जमाना था जब ज्यादातर जॉइन्ट फैमिली हुआ करती थी और बच्चे कब बड़े हो जाया करते थे पता ही नहीं चलता था। लेकिन आजकल एकल फैमिली बहुत बढ़ गई हैं जहां बच्चों की परवरिश करना उतना आसान नहीं होता हैं, खासतौर से सिंगल चाइल्ड की परवरिश करना बहुत मुश्किल होता हैं। कई बार देखने को मिलता हैं कि इकलौता बच्चा होने की वजह से पेरेंट्स बच्चों की परवरिश में कुछ गलतियां कर बैठते हैं जिसकी कारण चिंताजनक स्थिति पैदा हो सकती हैं। ये गलतियां बच्चे के व्यवहार और उसके भविष्य को खराब कर सकती हैं। ऐसे में आज हम आपको कुछ जरूर टिप्स बताने जा रहे हैं जिनकी मदद से आप सिंगल चाइल्ड की परवरिश अच्छे से कर पाएंगे। आइये जानते हैं इन टिप्स के बारे में...

ओवर प्रोटेक्टिव व्यवहार न अपनाएं

माता-पिता का अपने बच्चे को लेकर प्रोटेक्टिव होना स्वाभाविक है और जब बच्चा इकलौता हो तो यह स्थिति और भी ज्यादा गंभीर हो जाती है। लेकिन हर पैरेंट को प्रोटेक्टिव और ओवर प्रोटेक्टिव व्यवहार में अंतर का पता होना चाहिए। अगर बच्चा अपना कुछ काम कर रहा है या फोन पर किसी से बात कर रहा है तो तांका-झांकी न करें। उसके हर काम में हस्तक्षेप करना, उसके लिए हर छोटे-बाद निर्णय लेना, यह पैरेंटिग के लिहाज से सही नहीं है।

फैसले लेने का अधिकार न देना


अक्सर माता पिता बच्चों को नसमझ और जिम्मेदार न समझ कर उनके जीवन से जुड़े हर फैसले स्वयं ही लेते हैं। चाहे वह उनकी पसंद का खिलौना लेना हो या उनकी शिक्षा से जुड़ा फैसला हो। बच्चों को कुछ फैसले खुद से लेने दें। वह गलत निर्णय लेंगे तो भविष्य के लिए उन्हें सबक मिलेगा। गलतियों से सीखने का मौका दें। अगर आप उनके फैसले लेंगे तो वह जीवन में अपने फैसलों को लेकर हमेशा कंफ्यूज रहेंगे।

सोशल स्किल बढाएं

अक्सर देख गया है कि सिंगल चाइल्ड या तो अपने कंफर्ट जोन से बाहर निकलकर दूसरों से बात करने में हिचकते हैं या वे चाहते हैं कि उनके दोस्त उनके हिसाब से काम करें। उनका इंट्रोवर्ट या बॉसी नेचर उनके फ्यूचर के लिए अच्छा नहीं है। ऐसे में पेरेंट्स को उन्हें दोस्त बनाने या दोस्तों के साथ किस तरह शेयरिंग और दूसरे के इमोशंस को समझकर काम करने में मदद करनी चाहिए। उन्हें रेगुलर फैमिली या फ्रैंड्स के घर ले जाएं जहां बच्चे हों। जिससे उन्हें घर जैसे माहौल में दूसरे बच्चों के साथ एडजस्ट करने की आदत होगी। उन्हें कंफर्ट जोन से बाहर निकाल कुछ काम करने के लिए प्रोत्साहित करें।

हारना है जरूरी


घर में भाई या बहन के साथ खेलते समय बच्चे अक्सर हारते और जीतते रहते हैं। मगर अकेले होने पर बच्चों को हर चीज में एकाधिकार की आदत लग जाती है और बच्चे सिर्फ जीतना पसंद करते हैं। ऐसे में बच्चों के साथ खेलते समय जान-बूझकर न हारें और बच्चे को भी हार का सामना करने दें। इससे बच्चे हार को भी लाइफ के पार्ट के रूप में एक्सेप्ट कर सकेंगे।

बिहेवियर पर रखें ध्यान

अकेला होने के कारण ज्यादातर पेरेंट्स या तो खुद बच्चों के काम करते रहते हैं या अगर दोनों वर्किंग हैं तो बच्चे के लिए हाउसहैल्प रखते हैं। ऐसे में बच्चा अपने काम करना नहीं सीखता। बच्चों को अपने काम करने की आदत डालें। जैसे वे अपना सामान, कपड़े, खिलौने खुद सही जगह पर रखें। कई बार देखा गया है बच्चे हाउस हैल्प या दूसरे हैल्पर्स से अच्छा व्यवहार नहीं करते हैं। पेरेंट्स को उन्हें अपने से बड़ों को सम्मान देना और किसी को उसके काम की वजह से कम न आंकना सिखाना चाहिए। अगर आप उनके सामने खुद ऐसा व्यवहार करेंगे तो वे आपसे सीखेंगे।

साथ में समय बिताएं


अगर दोनों पेरेंट्स वर्किंग हैं तो ऐसे में इकलौते बच्चे अक्सर ज्यादा अकेलापन महसूस करते हैं। ऐसे पेरेंट्स को बच्चों के साथ टाइम स्पेंड करना चाहिए। ऑफिस के बाद टीवी या फोन पर बिजी रहने के बजाय बच्चे को समय दें। उनके साथ खेलें, दिनभर की उनकी दिनचर्या के बारे में बात करें। उन्हें अपने दिन के बारे में बताएं। ऐसा करने से बच्चे के साथ आपका बॉन्ड मजबूत बनेगा।

अपेक्षाओं का बोझ न थोपें

अकसर देखा जाता है कि माता-पिता अपनी अपेक्षाओं को अपने बच्चे पर थोपने का प्रयास करते हैं। और जब वह बच्चा इकलौता होता है तो उन सभी अपेक्षाओं को पूरा करने की जिम्मेदारी उसी पर आ पड़ती है। अपने बच्चे पर ज्यादा दबाव न डालें क्योंकि यह उन्हें मानसिक रूप से परेशान कर सकता है, यह बच्चे के विकास में भी बाधा डालने का काम करता है।

बच्चे को बाहर जाने से रोकना


समाज में जीने के लिए बच्चे को बाहर के माहौल में घुलना मिलना आना चाहिए। बच्चा बिगड़ न जाए या किसी मुसीबत में न पड़ जाए इसलिए माता पिता उन्हें बाहर जाने से मना करते हैं। ऐसे में वह बच्चा खुद को कैद में महसूस करता है और अकेलापन महसूस करता है। हो सकता है कि वह माता-पिता के इस बर्ताव की वजह से उनसे दूरी बनाने लगे।