एक समय था जब पुरुष प्रधान समाज हुआ करता था और महिलाओं के अधिकारों का हनन हुआ करता था। लेकिन अब बढ़ते समय के साथ लोगों की सोच में अंतर आने लगा हैं और महिलाओं को भी सम्मान और बराबर का दर्जा दिया जाने लगा हैं। इसी सोच के तहत हर साल 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता हैं। इस मौके पर महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक किया जाता है। बात करें भारतीय महिलाओं की, तो वर्तमान में वे शिक्षा, कार्यालय का कामकाज, खेलकूद और देश की सुरक्षा जैसे कई क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही हैं। लेकिन इसके बावजूद भी महिलाओं को घरेलू हिंसा, लिंग भेद और महिला उत्पीड़न क्जैसी परेशानियों को झेलना पड़ता है। ऐसे में आज हम आपको भारतीय महिलाओं को मिलने वाले कानूनी अधिकारों के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं जो उन्हें सशक्त बनाने का काम करते हैं। इन अधिकारों की जानकारी हर महिला को होनी चाहिए।
समान वेतन अधिकारइस कानून के तहत आय या मेहनताना देने में लिंग का भेदभाव नहीं किया जा सकता। यानी किसी भी कामकाजी महिला को उस पद पर कार्यरत पुरुष के बराबर वेतन लेने का अधिकार है। महिला-पुरुष के बीच सैलरी का भेदभाव नहीं किया जाएगा।
घरेलू हिंसा के खिलाफ अधिकारये अधिनियम मुख्य रूप से पति, पुरुष लिव इन पार्टनर या रिश्तेदारों द्वारा एक पत्नी, एक महिला लिव इन पार्टनर या फिर घर में रह रही किसी भी महिला जैसे मां या बहन पर की गई घरेलू हिंसा से सुरक्षा करने के लिए बनाया गया है। आप या आपकी ओर से कोई भी शिकायत दर्ज करा सकता है।
मैटरनिटी लाभ का अधिकारगर्भवती महिलाओं के लिए मैटरनिटी लाभों को किसी एक विशेषाधिकार के रूप में नहीं माना जाना चाहिए क्योंकि वे मैटरनिटी लाभ अधिनियम, 1961 के तहत आते हैं। अधिनियम प्रत्येक वर्किंग महिला को अपने और अपने बच्चे की देखभाल के लिए काम से पेड लीव का अधिकार देता है। कोई भी संगठन जिसमें 10 से अधिक कर्मचारी हैं, इस अधिनियम का पालन करने के लिए बाध्य है।
गिरफ़्तारी के समय अधिकार आपको बता दें कि भारतीय नागरिक प्रक्रिया संहिता के अनुसार यदि किसी महिला आरोपी को सूर्यास्त यानी शाम 6 बजे के बाद या सूर्योदय यानि सुबह 6 बजे से पहले गिरफ्तार किया जाता है तो वह भी कानून के खिलाफ है। धारा 160 के अनुसार अगर किसी महिला से पूछताछ भी करनी है तो उसके लिए एक महिला कांस्टेबल या उस महिला के परिवार के सदस्यों की मौजूदगी होना जरूरी है।
दफ्तर या कार्यस्थल पर उत्पीड़न से सुरक्षा का अधिकार
भारतीय कानून के मुताबिक अगर किसी महिला के खिलाफ दफ्तर में या कार्यस्थल पर शारीरिक उत्पीड़न या यौन उत्पीड़न होता है, तो उसे शिकायत दर्ज करने का अधिकार है। इस कानून के तहत, महिला 3 महीने की अवधि के भीतर ब्रांच ऑफिस में इंटरनल कंप्लेंट कमेटी (ICC) को लिखित शिकायत दे सकती है।
पहचान जाहिर न करने का अधिकार कानून महिला की निजता की सुरक्षा का अधिकार देता है। इसके तहत अगर कोई महिला यौन उत्पीड़न का शिकार है तो वह अपनी पहचान गोपनीय रख सकती है और अकेले जिला मजिस्ट्रेट व किसी महिला पुलिस अधिकारी के मौजूदगी में बयान दर्ज करा सकती है।
मुफ्त कानूनी मदद के लिए अधिकारबलात्कार की शिकार हुई किसी भी महिला को मुफ्त कानूनी मदद पाने का पूरा अधिकार है। स्टेशन हाउस आफिसर के लिए ये जरूरी है कि वो विधिक सेवा प्राधिकरण को वकील की व्यवस्था करने के लिए सूचित करे।
वर्चुअल शिकायत दर्ज करने का अधिकार
कोई भी महिला वर्चुअल तरीके से अपनी शिकायत दर्ज कर सकती है। इसमें वह ईमेल का सहारा ले सकती है। महिला चाहे तो रजिस्टर्ड पोस्टल एड्रेस के साथ पुलिस थाने में चिट्ठी के जरिये अपनी शिकायत भेज सकती है। इसके बाद एसएचओ महिला के घर पर किसी कांस्टेबल को भेजेगा जो बयान दर्ज करेगा।