अपनी इन 6 आदतों में सुधार लाकर रिलेशनशिप की डोर को बनाए मजबूत

शादी का रिश्ता आपसी भरोसे और प्यार पर टिका होता हैं जिसकी डोर बेहद नाजुक होती हैं और समय के साथ मजबूत होती चली जाती हैं। लेकिन इसे मजबूत बनाने के लिए जरूरी हैं की आप खुद में समय के साथ बदलाव लाए और अपने पार्टनर का साथ दे। रिश्ते में पनपी खटास उस रिश्ते के रंग को फीका कर देती हैं। ऐसे में आज हम आपके लिए उन आदतों की जानकारी लेकर आए हैं जिनमें सुधार लाने की जरूरत हैं और ये आपके रिलेशनशिप की डोर को मजबूत बनाने का काम करेंगी। तो आइये जानते हैं इन आदतों के बारे में।

ज्यादा उम्मीदें रखना

हर इंसान रिश्ते निभाने के दौरान एक दूसरों से हद से ज्यादा उम्मीद रखने लगता है, जो कहीं ना कहीं आपके लिए खतरनाक साबित हो सकती है। कोई भी इंसान आपको हर तरह से संतुष्ट नहीं कर सकता। आपको ये समझने की जरूरत है कि आप ज्यादा उम्मीदें रखने की बजाए अपने लाइफ पार्टनर से प्यार और आदर करें।

पार्टनर को अनदेखा करना

कई बार लोग खुद में इतने खो जोत हैं कि वह अपने पार्टनर को ही अनदेखा कर देते हैं। हर काम को अपने हिसाब से करने की कोशिश करते हैं। अगर आपका पार्टनर आपके अनुसार चले तो उसके लिए ये एकतरफा समझौता बन जाता है और अगर विरोध करे तो झगड़े बढ़ते हैं और रिश्ता कमजोर होता है। इसलिए हमेशा आपस में राय मशविरा करके ही कोई फैसला लें।

शक


अगर पति-पत्नी के बीच में शक की दीवार खड़ी हो जाए तो उसे कोई तोड़ नहीं सकता। पत्नी को घर छोड़ने आए पुरुष सहकर्मी को लेकर शंका। पति के कमरे के बाहर जाते ही चोरी-छिपे उसका मोबाइल चेक करना या कभी-कभी अपने साथी के पीछे जासूस लगाना, ये सब चीजें आपके रिश्ते को कमजोर कर देती है। इसलिए एक दूसरे के साथ में पूरी ईमानदारी बरतें और रिश्ते में शक की कोई गुंजाइश न छोड़ें।

आलोचना करना

अकसर देखा जाता है कि पति पत्नी बाहर वालों के सामने ही एक दूसरे की आलोचना करना शुरू कर देते हैं। ऐसा करना गलत है। आपको किसी और को ना बताकर अपने पार्टनर को बताना चाहिए कि कौन सी बात आपको पसंद नहीं आई। एक दूसरे के साथ बैठकर आप अपने रिश्ते काे सुधारने की कोशिश कर सकते हैं।

रोक-टोक लगाना


आज के दौर में हर कोई अपने अनुसार जिंदगी जीना चाहता है। शादी के बाद पति- पत्नी तरह-तरह की रोक-टोक लगाना शुरु कर देते हैं। इससे दोनों के स्वभाव में चिड़चिड़ापन आ जाता है। ऐसे में यह समझने की जरूरत है कि हर किसी को अपनी आजादी चाहिए, ताकि वो अपने जीवन में स्वतंत्र महसूस कर सकें और उन्हे आपका साथ किसी तरह का बंधन महसूस ना हो।

ईगो


अपने रिश्ते में कभी ईगो को बीच में न लाएं।अपनी गलती को स्वीकार करना ही समझदारी है। ईगो आपके आपसी बॉन्ड को कमजोर करता है। एक सॉरी बोलने से अगर बिखरा हुआ रिश्ता बच सकता है तो इसे बोलने में कोई हर्ज नहीं है।