घर पर एक से अधिक बच्चे होते हैं तो उनमें लड़ाई-झगड़ा होना आम बात हैं। इस कोरोनाकाल में तो यह समस्या और भी ज्यादा होने लगी हैं क्योंकि बच्चे घर में ही अपना अधिक समय बिता रहे हैं। यह लड़ाई-झगड़ा कभीकभार हो तो ठीक हैं लेकिन लगातार होना बच्चों के लिए ही नुकसानदायक होता हैं और उनके स्वभाव में बदलाव आने लगता हैं जो कि पेरेंट्स की चिंता बढ़ाने का काम करती हैं। ऐसे में पेरेंट्स को कुछ तरीकों की मदद से बच्चों में समझाइश करने और झगड़ों का समाधान करने की जरूरत होती हैं जिनके बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं।
बच्चों के साथ पक्षपात न करें
अगर घर में 2 बच्चे हैं, तो अक्सर मां-बाप छोटे बच्चे पर ज्यादा ध्यान देते हैं क्योंकि उसको उनकी मदद की ज्यादा जरूरत होती है। मगर दूसरे बच्चे को ये बात खराब लग सकती है और इसका गुस्सा वो छोटे बच्चे से झगड़ने या मार-पीट के जरिए निकालने लगता है। बच्चे नासमझ होते हैं मगर उनके मन में अपने लिए ज्यादा सहानुभूति पाने की चाहत तो होती ही है। इसलिए कोशिश करें कि अगर लगभग एक सी उम्र के 2 बच्चे हैं, तो आप उनमें पक्षपात न करें।
इस तरह बढ़ाएं बच्चों में प्यार
बच्चे अक्सर इसलिए भी आपस में लड़ते हैं क्योंकि वो सिर्फ अपने बारे में सोचते हैं। ऐसे में अगर आप बच्चों में आपस में प्यार बढ़ाना चाहते हैं, तो उन्हें उनका मनपसंद काम साथ करने के लिए कहें। जैसे- साथ खेलने, साथ खाने, घर के कामों में मदद और साथ-साथ रहने को कहें। इससे धीरे-धीरे बच्चे एक दूसरे को समझने लगेंगे और लड़ाई-झगड़ा कम हो जाएगा।
बच्चों के साथ करें ये काम
बच्चे लड़ते हैं तो उन्हें पहले प्यार से समझाएं और फिर अपने पास बिठाएं। अब एक सादे कागज पर उन्हें एक-दूसरे की अच्छाईयां लिखने को कहें। अगर बच्चे लिख नहीं सकते हैं, तो उन्हें एक दूसरे की अच्छाईयां बताने को कहें। उनके सभी प्वाइंट्स को कागज पर लिखें। इसके बाद आप उन दोनों को अपनी तरफ से उनकी अच्छाईयां बताइए। इससे बच्चों के बीच मनमुटाव कम होगा और आपस में प्यार बढ़ेगा।
बच्चों को मारें नहीं
कई मां-बाप लड़ने-झगड़ने के कारण बच्चों को उल्टा मारने लगते हैं। बच्चों को मारना-पीटना किसी समस्या का समाधान नहीं है। उन्हें समझाएं और यह बात भी ध्यान रखें कि छोटे-मोटे झगड़े और विवाद होते रहते हैं। इसके लिए बहुत घबराने की जरूरत नहीं है। बड़े होने पर बच्चे खुद ही समझ जाएंगे। बस आप यह ध्यान रखें कि उनमें एक दूसरे के लिए इतना गुस्सा न भर जाए कि वो आपस में नफरत करने लगें।