इस तरह सिखाएं बच्चों को अच्छे संस्कार, करेंगे दूसरों के भावनाओं की क़द्र

संस्कार दूसरों की भावनाओं के प्रति एक संवेदनशील जागरूकता है। यदि आपके पास वह जागरूकता है, तो आपके पास अच्छे संस्कार हैं। वर्तमान समय में शिक्षा जरूरी है, लेकिन उससे ज्यादा परिवार और विद्यालय का कर्तव्य होना चाहिए कि प्रत्येक बच्चा संस्कारवान बने। बच्चों में संस्कारों का विकास हमेशा अपने से बड़ों को देखकर ही होता है इसलिए अपने आचरण को सही रखना भी उतना ही जरूरी है जितना बच्चे पर ध्यान देना। कहते हैं न 'अगर ठीक से खाद डाली जाए, तो पौधा बहुत सुंदर होता है' और संस्कार उसी खाद का काम करते हैं। जब बच्चा चीजों को जानने और समझने लगता है तभी से उसमें आदतों को विकास शुरू हो जाता है। ऐसे में इस बात का ध्यान जरूर रखा जाए कि कहीं लाड़-प्यार में आप अपने बच्चों को संस्कारों से दूर तो नहीं कर रहे।

छोटे बच्चों को सिखाये संस्कार

बच्चे जब समझने और बोलने लग जाये तभी से ही उन्हें नमस्ते और अलविदा कहना सिखाये। जैसे जैसे आपका बच्चा दूसरे शब्द बोलने की कोशिश करता है ,आप उसे प्लीज और थैंक यू जैसे शब्दों का प्रयोग करना सिखाये। हर बार वो जब भी आप को कुछ दे तो आप उन्हे थैंक यू बोले। वे धीरे-धीरे इस शब्द को समझना शुरू कर देते हैं और इसे स्वयं उपयोग करना शुरू करते हैं।

हर जिद पूरी ना करें

लोग अपने बच्चों को हर चीज उपलब्ध करवाने की जिद में उनकी हर जायज व नाजायज मांग को पूरा कर देते हैं, जिससे उनमें हर कीमत पर कुछ भी पाने की प्रवृत्ति का विकास होता है। ऐसा करते समय माता-पिता यह नहीं सोचते कि वे अपने बच्चे को सिर्फ लेना सिखा रहे हैं, देना नहीं।

बोलते समय चिल्लाएं नहीं

कई बच्चे इस उम्र में अधिक उत्साह के कारण जोर से बोल सकते हैं लेकिन असभ्य होने के उद्देश्य से नहीं। हालांकि, हमें उन्हें ये समझाना चाहिए कि सुनने वाला इसे असभ्य समझेगा , क्योंकि लोग तब चिल्लाते है जब वे गुस्से में होते हैं। नरम लहजे में बोलने का अभ्यास करें ताकि उन्हें इसकी आदत हो जाए।

मनमानी करने से हमेशा रोकें

अपने बच्चों की गतिविधियों पर नजर रखें। आज के व्यस्त जीवन में जहां माता-पिता दोनों ही कामकाजी हैं, बच्चों की हर एक गतिविधि पर पूरा ध्यान दे पाना थोड़ा मु‍श्किल हो जाता है। चाहे आप काम के सिलसिले में बाहर रहें या घर पर, बच्चों को मनमानी करने से हमेशा रोकें या उनमें यह आदत डालें कि वे आपकी सहमति से ही कोई काम करें।

कभी भी अपशब्दों का प्रयोग न करें

बच्चे दोस्तों और पड़ोसियों सहित विभिन्न स्रोतों से नए शब्द सीखते हैं। इनमें से कुछ अस्वाभाविक हो सकते हैं, और आपके बच्चे को ऐसी भाषा का उपयोग करते हुए सुनना चौंकाने वाला हो सकता है। तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करने के बजाय, उन्हें बताएं कि इस तरह के शब्द केवल परेशानी पैदा करते हैं और लोगों की भावनाओं को आहत करते हैं – वे कुछ भी अच्छा काम नहीं करते हैं।