कोरोनाकाल जारी हैं जिसमें काफी लंबे समय से स्कूल बंद थे जो कि बच्चों के विकास का सबसे महत्वपूर्ण जरिया हैं। हांलाकि अब एहतियात बरतते हुए स्कूल खोले जा रहे हैं और बच्चों की सुरक्षा के समुचित उपाय किए जा रहे हैं। लेकिन इसी के साथ ही पेरेंट्स की भी जिम्मेदारी हैं कि अपने बच्चों में कुछ ऐसी आदतें विकसित की जाए जो इस कोरोनाकाल में उन्हें फायदा पहुंचाने का काम करें। आज इस कड़ी में हम आपको कुछ ऐसी ही आदतों की जानकारी देने जा रहे हैं जिनकी मदद से आप बच्चों को स्कूल के लिए तैयार कर सकते हैं। तो आइये जानते हैं इन आदतों के बारे में।
वाटर बॉटल जरूर दें
बच्चों के लिए पानी की खतरनाक हो सकती है। आजकल स्कूलों में वाटर कूलर और सिंगल यूज कप आदि की सुविधाएं होती हैं, जिसके कारण बहुत से मां-बाप बच्चों के लिए वाटर बॉटल को जरूरी नहीं समझते हैं। मगर देखा जाता है कि बच्चे वाटर कूलर या डिस्पेंसर तक जाकर बहुत कम पानी पीते हैं। कम पानी पीना उनके मानसिक और शारीरिक दोनों स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। इसलिए बच्चों को अपनी तरफ से वाटर बॉटल दें और उन्हें हिदायत दें कि वो स्कूल के दौरान कम से कम 2 बॉटल (एक से डेढ़ लीटर) पानी जरूर पी लें।
हाथ धोने की डलवाएं आदत
स्कूली बच्चों को हाथ धोने की आदत डलवाना बहुत जरूरी है। स्कूल के दौरान बच्चों का संपर्क ऐसी बहुत सारी चीजों से होता है, जिनमें बैक्टीरिया और वायरस हो सकते हैं। इसलिए बच्चों को यह आदत डलवाएं कि वो स्कूल में हर बार टॉयलेट जाने के बाद, खाना खाने से पहले, पेशाब करने के बाद हाथ को साबुन या हैंड वॉश से जरूर धोएं। अगर बच्चे को हैंड वॉश से हाथ धोने में किसी तरह की परेशानी आती है, तो उसे हैंड सैनिटाइजर दें और इसे इस्तेमाल करना बताएं।
लंच और ब्रेकफास्ट में हेल्दी चीजें बनाएं
बच्चों के लिए लंच और ब्रेकफास्ट दोनों ही बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। जल्दबाजी में कई बार बच्चे ब्रेकफास्ट छोड़ देते हैं, जो कि उनकी सेहत के लिए बहुत गलत आदत है। इसलिए बच्चों को रोजाना ब्रेकफास्ट में हेल्दी चीजें खिलाएं। इसके साथ ही उन्हें लंच में भी कुछ हेल्दी खाना पैक कर के दें। ध्यान दें कि बच्चे का ब्रेकफास्ट हैवी और लंच थोड़ा लाइट होना चाहिए। इससे बच्चे को स्कूल में नींद नहीं आएगी और उसमें एनर्जी बनी रहेगी।
खेलना भी है जरूरी
बहुत सारे मां-बाप बच्चों को सिर्फ पढ़ाई करने के लिए ही डांटते-डपटते रहते हैं। ऐसे मां-बाप मानते हैं कि पढ़ाई से ही बच्चा बड़ा होकर सफल व्यक्ति बन सकता है। मगर यह सनक बच्चे का वर्तमान और भविष्य दोनों खराब कर सकती है। छोटे बच्चों के लिए खेल-कूद पढ़ाई के जितना ही जरूरी है और विज्ञान की मानें तो पढ़ाई से भी ज्यादा जरूरी है। खेल-कूद से बच्चों का शरीर एक्टिव रहता है, जिससे उनके शरीर के अंगों का विकास बेहतर होता है और वो स्वस्थ रहते हैं। इसलिए बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ खेल-कूद के लिए भी थोड़ा समय दें।
बच्चों को जल्दी सुलाएं
बच्चों के लिए जितना जरूरी पढ़ाई और खेलकूद है, उतनी ही जरूरी पर्याप्त नींद है। आमतौर पर बच्चों के स्कूल सुबह होते हैं, जिसके कारण उन्हें जल्दी उठना पड़ता है। ऐसे में बच्चे अगर रात में देर से सोएंगे, तो उनकी नींद पूरी नहीं हो पाएगी। मगर 13 साल से छोटे बच्चों के लिए 9-10 घंटे की नींद बेहद जरूरी है। इसलिए बच्चों को रात में जल्दी सुलाएं, ताकि उनकी नींद पूरी हो। आपको बता दें कि बच्चों के शरीर का ज्यादातर विकास नींद की अवस्था में ही होता है। इसलिए उनके लिए सोना बहुत जरूरी है।