हर माता-पिता चाहते हैं कि अपने बच्चों को ऐसी परवरिश दी जाए कि वे सौम्य व्यवहार करें और उनके आचरण में एक प्रकार की विनम्रता हो। इसके लिए पेरेंट्स बच्चों को अच्छी सीख देने की कोशिश करते हैं। लेकिन देखा जाता हैं कि कई बार हालात, अकेलेपन, पेरेंट्स के ज्यादा प्यार और आसपास के वातावरण की वजह से बच्चे जिद्दी और गुस्सैल हो जाते हैं। जब कोई बच्चा अपनी भावनाओं को नहीं समझता है या उन्हें अपनी भावनाओं के बारे में बात करने में परेशानी होती है, तब ऐसा व्यवहार करने लगता हैं। ऐसे में जरूरी हैं कि बच्चों की समझाइश की जाए क्योंकि गुस्सा करना व्यवहार के साथ ही सेहत के लिए भी हानिकारक होता हैं। अपने बच्चे को समझाने के लिए यहां बताए तरीके भी अपना सकते हैं।
गुस्से के स्तर को समझें
सबसे जरूरी है कि बच्चे के गुस्से का स्तर क्या है, ये आपको पता होना चाहिए। इसके लिए बच्चे से पूछें कि उसे कितना गुस्सा आ रहा। आप बच्चे को सिखा सकते हैं कि 0 से 10 के बीच अपने गुस्सा का पैरामीटर तय कर लें। ऐसे में जब आपका बच्चा आपको अपने गुस्से का स्तर बताएगा तो आप उस हिसाब से उससे डील करेंगे। बच्चा भी इस पैरामीटर के जरिए अपनी भावनाएं कंट्रोल करना सीख जाएगा।
सिखाएं क्या होते हैं इमोशन
बच्चों को इमोशन यानि भावनाओं में अंतर सिखाना जरूरी है। दरअसल, जो लोग अपनी भावना व्यक्त नहीं कर पाते वो गुस्सा जल्दी होते हैं या दुखी रहते हैं। यही कारण है कि बच्चों को भी उनके इमोशन को पहचानना सिखाना जरूरी है जिससे की वो सही इमोशन दिखाएं और मन में कोई गुस्सा या दुख ना इकट्ठा हो। अगली बार जब बच्चा नाराज़ हो, तो उनसे बात करें। साथ ही ध्यान रहे कि बच्चे पर हाथ कम उठाएं नहीं तो वो आपसे अपने इमोशन शेयर करने में डरेगा।
बच्चे पर गुस्सा न करें
बच्चे के गुस्से का जवाब गुस्से से न दें। इससे दोनों तरफ मात्र गुस्सा हावी होगा और वह अपने दिल की बात आपको नहीं बताएंगे। अगर आपका बच्चा किसी बात पर गुस्सा है तो उससे परेशानी पूछें। प्यार से समझाएं, ताकि उसका गुस्सा कम हो सके।
शांत होना सिखाएं
अपने बच्चे को गुस्सा आने पर शांत होना सिखाएं। उन्हें बताएं कि नखरे करने के बजाय शांत होने के तरीके अपनाएं। इसके लिए आप एक किट भी बना सकते हैं जिसमें उनकी पसंदीदा रंग भरने वाली किताबें, पसंदीदा खिलौना, लोशन जिसे वे सूंघना पसंद करते हैं या कुछ खेल शामिल करें। जब बच्चा गुस्सा करे तो उसे सिखाएं कि इस किट का इस्तेमाल करे जिससे उसका गुस्सा कम हो और वो अपनी बात शांती से रख सके।
नखरे न करने दें
कई बच्चे जिद्दी या नखरे करने वाले होते हैं। उनकी हर मांग पूरी होने के कारण उनका स्वभाव ऐसा हो जाता है कि अगर उनकी किसी बात को नहीं माना जाता तो वह नाराज होकर चिल्लाने लगते हैं। उनको गुस्सा आने लगता है। ऐसे में उनके मन की हर बात न मानें बल्कि उनके जिद की वजह पूछें। वहीं अगर वह गुस्से में आपसे कुछ मांगे तो उनकी बात कभी न माने। ताकि बच्चे के दिमाग में रहे कि गुस्सा करने से उनकी कोई मांग पूरी नहीं होगी।
कुछ सीमाएं बनाएं
बच्चों को ये समझाएं कि उन्हें दूसरों के साथ कैसा व्यवहार करना है और कैसा नहीं करना है। उसके लिए कुछ नियम बनाकर रखें, साथ ही ये भी बता दें कि अगर वो इन नियमों को तोड़ता है तो उसे क्या सजा मिलेगी। बच्चे के मारने या काटने पर उसे तुरंत टोकें ताकि उसे सही और गलत की समझ हो।
उनके अच्छे दोस्त बने
अपने बच्चे को हर समय उसकी गलतियों पर डांटने की जगह कभी-कभी उसकी समस्या को भी सुनने और समझने की कोशिश करें। अगर आप अपने बच्चे के अच्छे दोस्त बनेंगे तो वो आपको सारी बातें बताएंगे। साथ ही उसका आपके ऊपर विश्वास और बढ़ जाएगा।
हिंसक गेम या वीडियो
बच्चे टीवी या फोन पर क्या देखते हैं या कौन सा वीडियो गेम खेलते हैं इसपर ध्यान रखें। कई बार हिंसक चीजें देखने और खेलने से भी आपके बच्चे के व्यवहार पर असर पड़ सकता है। बच्चे नकारात्मक भावनाओं के साथ पैदा नहीं होते। बच्चे तब गुस्सा होते हैं जब वो अपनी बात नहीं रख पाते। इसलिए उनकी छिपी भावनाओं को समझने की कोशिश करें।