इन तरीकों से सुलझाए बच्चों के आपसी झगड़े, होगी आसानी

जिस घर में बच्चें हो, वहां रौनक बनी रहती है लेकिन कई बार यही रौनक उनके आपसी लड़ाई-झगड़े के कारण शोर-शराबे में बदल जाती है। बच्चों में आपस में जितना प्यार देखने को मिलता है, पेरेंट्स को उनके उतने ही झगड़े भी सुनने को मिलते हैं। कई बार पेरेंट्स उनके झगड़े को लेकर इतने परेशान हो जाते हैं कि उन्हें अपने बच्चों को कंट्रोल में करना मुश्किल हो जाता है। अगर आप भी अपने बच्चों के झगड़ों से परेशान है तो आज हम आपको ऐसे टिप्स बताएंगे, जिसे अपनाकर बच्चों को बड़ी आसानी से कंट्रोल में कर सकेंगे।

पक्षपात न करें

कई बार पेरेंट्स बच्चों को झगड़ने से रोकते हुए कहते हैं कि तुम बड़े हो, तुम्हें समझना चाहिए। ऐसे में बड़े के दिल को ठेस पहुंच सकती है। इसलिए उन्हें समझाते हुए यह देखें कि गलती किसकी है। जिसकी गलती हो उसे डांटने की बजाय प्यार से समझाएं।अक्सर बच्चों के बीच झगड़ा होने पर मां-बाप उनके साथ समान व्यवहार पर ध्यान नहीं दे पाते। कई बार किसी बच्चे को गलती के लिए ज्यादा डांट पड़ जाती है तो कई बार दूसरे बच्चे की शैतानी इग्नोर हो जाती है। इससे बच्चों के बीच असंतोष बढ़ता है और वे मम्मी-पापा से भी गुस्सा हो जाते हैं। अगर आप चाहते हैं कि बच्चे कम से कम झगड़ा करें तो उनके साथ बैलेंस तरीके से पेश आएं।

बच्चों को रिलैक्स करने के लिए वक्त दें


बच्चे जितनी जल्दी गुस्सा होते हैं, उतनी जल्दी उनका मूड अच्छा भी हो जाता है। ऐसे में इस बात का ध्यान रखें कि बच्चों के झगड़े में आप अपना आपा मत खोएं। अगर बच्चे किसी बात पर फाइट कर रहे हैं तो उन्हें खुद उसका निपटारा करने दें। अगर बात बहुत ज्यादा ना बढ़ रही हो तो उसमें पड़ने से बचें। अगर किसी सामान्य बात पर बच्चे एक-दूसरे से बहस कर रहे हैं तो उन्हें दूसरे कमरे में जाने को कह सकती हैं। वहीं बच्चों को अलग-अलग जगह पर अपना काम करने को कहने से भी उन्हें रिलैक्स होने का वक्त मिल जाता है।

पूरी बात सुनें

जब बच्चे आपसे कोई बात साझा करें, तो उनकी पूरी बात सुनें। खासतौर पर यदि आपके बच्चे अपनी बात को पहले आपके सामने रखने की होड़ कर रहे हों, तो ध्यान रखें कि आपको दोनों को समझाना होगा और उनको सुनने के लिए समान समय देना होगा। दोनों के बीच झगड़े के बाद उनसे अलग-अलग बात करें। उन्हें एहसास दिलाएं कि उनके इस तरह के व्यवहार की वजह से दूसरे को कितना बुरा लगा होगा। उनसे पूछें कि उनका यह व्यवहार सही था या गलत? ताकि उन्हें उनकी गलती का एहसास खुद हो और वे अगली बार एक-दूसरे से झगड़ने से पहले दोबारा सोचें।

बच्चों के लिए बनाएं रूल

बड़ों की तरह बच्चों के लिए व्यवहार के नियम बनाएं कि उन्हें कैसे एक-दूसरे के साथ पेश आना चाहिए। चाहें कितना भी गुस्सा क्यों ना आए, बच्चों को एक-दूसरे को कैसे रेसपेक्ट देनी है। अगर बच्चे गुस्से में एक-दूसरे से ऊंची आवाज में बात करें तो भी उन्हें एक-दूसरे पर हाथ उठाने के लिए पूरी तरह से मनाही होनी चाहिए। अगर आप पहले से ही यह नियम बनाकर रखेंगी तो बच्चे अपनी लिमिट में रहेंगे और सभी पॉजिबल सॉल्यूशन्स पर काम करेंगे।

बच्चों को बताएं कि कैसे झगड़े का निपटारा किया जाए

बच्चों को बचपन से ही यह सिखाएं कि किसी परेशानी के आने पर उन्हें उससे कैसे डील करना है। आप बच्चों को एक ही सिचुएशन को अलग-अलग तरह से देखने के लिए प्रेरित कर सकते हैं और उसका हल निकालने के लिए उसे बेहतर ऑप्शन दे सकते हैं। इससे बच्चे को अपना नजरिया बदलने में मदद मिलती है और उसका गुस्सा भी पहले की तुलना में कम हो जाता है।