पेरेंट्स अपने बच्चों को बहुत प्यार करते हैं और उनकी हर सुविधा का ध्यान रखते हैं। लेकिन कई बच्चे ऐसे होते हैं जो अपनी शैतानियों से पेरेंट्स को परेशान कर देते हैं। एक समय ऐसा आता हैं जब पेरेंट्स बच्चों से परेशान हो जाते हैं और उनपर हाथ उठा देते हैं। हालांकि पेरेंट्स का इरादा बस इतना होता है कि बच्चे उस गलती को बार-बार न दोहराएं। लेकिन पीटकर बच्चों को सबक सिखाना बिल्कुल गलत है। पैरेंट्स के बच्चों पर हाथ उठाने का भावात्मक और शारीरिक असर पड़ता है। आज इस कड़ी में हम आपको उन दुष्परिणाम के बारे में बताने जा रहे हैं की किस तरह बच्चों पर हाथ उठाने से उपोअर गलत प्रभाव पड़ता हैं।
- अक्सर बच्चे गलती करने के बाद होने वाली पिटाई से बचने के लिए झूठ बोलते हैं, इस तरह धीरे-धीरे झूठ बोलना उनकी आदत में शुमार हो जाता है। इसलिए समय रहते उनकी इस आदत को सुधारना बहुत आवश्यक है
- बच्चों को मार-पीटकर पैरेंट्स उन्हें कंट्रोल करने की कोशिश करते हैं, तो बच्चों को पैरेंट्स का यह तरीका सही लगने लगता है। वो भी बाकी बच्चों के साथ भी मारपीट करने करने लगता है।
- पैरेंट्स बच्चों के रोल मॉडल होते हैं और ज्यादातर बातें अपने पैरेंट्स और आसपास के लोगों से ही सीखते हैं। छोटी-छोटी बातों पर बच्चे को डांटने और मारने से उसके मन में डर बैठ जाता है।
- बच्चों को मारने पर न केवल उन्हें शारीरिक पीड़ा होता है, बल्कि वे मानसिक रूप से भी आहत महसूस करते हैं।
- कुछ पैरेंट्स ऐसे होते हैं, जो बात-बात पर बच्चों को उनकी गलती का अहसास कराने लगते हैं। धीरे-धीरे बच्चा भी यही सोचने लगता है कि वह बहुत बुरा इंसान है।
- बच्चों के साथ मारपीट करने पर उनके आत्मविश्वास को गहरी चोट लगती है, जिससे उनका आत्मविश्वास कमज़ोर पड़ने लगता है।
- बच्चों को जितना मारेंगे, वे उतनी ही ज्यादा गलतियां करेंगे और उनके मन में अपने और पैरेंट्स के प्रति हीनभावना पनपने लगती है।
- बच्चों के साथ मारपीट करनेवाले पैरेंट्स यह भूल जाते हैं कि उनके ऐसे व्यवहार से धीरे-धीरे बच्चा उनसे दूर होता चला जाएगा।
- बार-बार मार खाने के बाद बच्चा भी ढीठ बन जाता है और किशोर अवस्था तक वह पूरी तरह से विद्रोही बन जाता है।
- बच्चों को पता रहता है कि वह चाहे जो कुछ भी गलत करें, उसकी पिटाई तो होनी ही है। फिर वह हर काम अपने मन का ही करता है।